मराठा के बारे में 50 रोचक तथ्य | 50 Interesting Facts about Maratha

Spread the love! Please share!!

मराठा के बारे में 50 रोचक तथ्य | 50 Interesting Facts about Maratha

मराठा कौन थे? | Who were the Marathas?:

प्राचीन महाराष्ट्र क्षेत्र दंडक वन (दण्डकारण्य) में स्थित था | देशिक भाषा में महाराष्ट्र का नाम “मरहट्ट” था जो कन्नड़ भाषा के दो शब्दों  मर और हट्ट से हुआ है |

“मर” का अर्थ है झाडी और “हट्ट” का अर्थ है स्थान और इस तरह मरहट्ट का अर्थ है “झाड़ियों में रहने वाला”  | “मराठा” शब्द इसी “मरहट्ट” शब्द से ही निकला है |

मराठा प्रारंभ में एक वनवासी लड़ाकू जाति थी जो बहादुरी के बल पर स्वयं को एक प्रख्यात वंश के रूप में स्थापित कर पाए |

1882 के ठाणे जिला गैजेटियर में, विभिन्न जातियों में कुलीन परतों को निरूपित करने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया गया था: उदाहरण के लिए, कृषि जाति में “मराठा-कृषि”, कोली जाति के भीतर “मराठा-कोली” और इसी तरह पुणे जिले में , कुणबी और मराठा शब्द मराठा-कुनबी जाति परिसर को जन्म दे, का पर्याय बन गया था।

1882 के पुणे जिला गैजेटियर ने कुनबीस को दो वर्गों में विभाजित किया: मराठों और अन्य कुनबिस 1 901 की जनगणना में मराठा-कुनबी जाति परिसर के भीतर तीन समूहों को सूचीबद्ध किया गया था: “मराठों को उचित”, “मराठा कुनबिस” और ” कोंकणी मराठ”।

मराठों ने स्वयं को क्षत्रिय दर्जे का होने के साथ राजपूत वंश का होने का दावा किया, और शासकों, अधिकारियों और जमींदारों को शामिल किया। राजपूत वंश का दावा करने वाले कुछ मराठा परिवारों में भोंसले (सिसोदिया), चावन (चौहान), और पवार (परमार) शामिल हैं।

1900 के बाद से, सत्यशोधक समाज आंदोलन ने मराठों को गैर- ब्राह्मण समूहों की एक व्यापक सामाजिक श्रेणी के रूप में परिभाषित किया।

कालांतर में मराठा शब्द मराठी भाषी समूह विशेष को दर्शाता है|

महाराष्ट्र के बाहर मोटे तौर पर इससे समूची क्षेत्रीय मराठी भाषी आबादी का बोध होता है, जिसकी संख्या लगभग 6.5 करोड़ है।

अपने चरम प्रभाव में मराठों का राज्य तंजावूर (तमिलनाडु) से अटकाक (पाकिस्तान में) तक था।

मराठा गोरिल्ला वारफेयर के मास्टर थे और उन्होंने उस रणनीति के साथ कई दुश्मनों को हराया।

मुगल कभी मराठा साम्राज्य को हरा नहीं पाए।

मराठा साम्राज्य, पुणे में पेशवा, ग्वालियर में शिंदे/सिंधिया, नागपुर में भोसले, बड़ौदा में गायकवाड़, इंदौर आदि में होल्कर जैसे राज्यों का परिसंघ था।

पानीपत (1761) की तीसरी लड़ाई ने मराठों को कमजोर कर दिया, लेकिन बाद में मराठों ने दिल्ली जीत ली (1771-72) और महादजी शिंदे ने मुगल सम्राट को केवल कठपुतली रखा।

महादजी शिंदे वक्कल-उल-मुतलक (मुगल मामलों के रीजेंट) और अमीर-उल-उमर (अमीरों के प्रमुख) थे।

1857 के विद्रोह के बाद भगवान कैनिंग (वायसराय) ने लिखा था कि “अगर ग्वालियर के सिंधिया ने विद्रोहियों की मदद की होती तो शायद हमारे जीत कि सम्भावना का अंत हो गया होता”।

आज, एक अनुमान है कि बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में लोग मराठों के वंशज हैं जो पानीपत की लड़ाई में पकड़े गए थे। वे अभी भी मराठों की कुछ परंपराओं का पालन करते हैं।

मराठा लाइट इन्फैंट्री:

छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा लोगों के लिए भगवान की तरह है।

1768 में बनाई गई भारतीय सेना में मराठा लाइट इन्फैंट्री सबसे पुरानी पैदल सेना की रेजिमेंट है।

मराठा लाइट इन्फैंट्री का युद्ध घोष है “बोल, श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की जय” 

शिवाजी महाराज के दोनों वंशज आज संसद सदस्य हैं इनके नाम हैं उदयन राजे और संभाजी राजे|

मराठा कि एक समाज के रूप में पहचान:

16वीं एवं 17वीं शताब्दी में भारत में हुए धार्मिक आन्दोलनों ने महाराष्ट्र में तुकाराम, रामदास, वामन पंडित एवं एकनाथ जैसे धर्म सुधारकों को जन्म दिया। इन सबके उपदेशों ने मराठों को एकता के सूत्र में बांधने एवं देशभक्ति की भावना जगाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

इन धर्मोंपदेश द्वारा महाराष्ट्र की भाषा ‘मराठी’ को अपने उपदेशों का माध्यम बनाने के कारण मराठी साहित्य का विकास हुआ। भाषा एवं साहित्य के विकास ने भी मराठों के उत्कर्ष में भूमिका निभायी।

औरंगज़ेब की हिन्दू विरोधी नीति का ही परिणाम था कि, शिवाजी ने ‘हिन्दू पद पादशाही’ एवं ‘हिन्दुत्व धमोद्धारक’ की उपाधि ग्रहण कर पुनः ब्राह्मणों की रक्षा का प्रण किया, जो मराठा उत्कर्ष का एक कारण रहा।

शिवाजी ने अणु के कणों की तरह फैले हुए मराठों को अपने कुशल नेतृत्व एवं राष्ट्रीयता के संदेशों के माध्यम से एकता के सूत्र में बाँधा और इसके साथ ही मराठों की उस शक्ति का जगाया।

 

Facebook Comments

Spread the love! Please share!!
Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is the copyright of Shivesh Pratap.