लाल बहादुर शाश्त्री के अनमोल कथन | Lal Bahadur Shastri Quotes in Hindi

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लाल बहादुर शाश्त्री के अनमोल कथन 
Lal Bahadur Shastri Quotes in Hindi

नाम: लाल बहादुर शाश्त्री (Lal Bahadur Shastri)

जन्म: 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय, अब पंडित दीन दयाल उपाध्याय ब्रिटिश भारत 

राजनैतिक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

जीवन संगी (पत्नी): ललिता शास्त्री

कार्यक्षेत्र: राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी

धर्म: हिन्दू  धर्म 

मृत्यु: 11 जनवरी 1966 (उम्र 61) ताशकन्द, सोवियत संघ

उपलब्धियाँ: 

  • भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे (2nd Prime Minister of India)
  • जय जवान-जय किसान का नारा दिया|
  • लाल बहादुर शाश्त्री मरणोपरान्त वर्ष 1966 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

लाल बहादुर शाश्त्री के अनमोल विचार: 

क़ानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और और भी मजबूत बने।

जब स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में होतो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही एकमात्र कर्त्तव्य होता है, हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।

आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी हैजिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्‍मन गरीबी और बेराजगारी से लड़ सके।

हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं|

यदि कोई एक व्यक्ति को भी ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा|

भ्रष्टाचार को पकड़ना बहुत कठिन काम है, लेकिन मैं पूरे जोर के साथ कहता हूँ कि यदि हम इस समस्या से गंभीरता और दृढ संकल्प के साथ नहीं निपटते तो हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफल होंग|

हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने जो ज़रूरी काम हैं उनमे लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करने से बढ़ कर कोई काम नहीं है|

यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा. लेकिन यह मेरा नीजी मामला है राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष कल्याण, स्वास्थ्य, संचार, विदेशी संबंधो, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा ,लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं वो सबका निजी मामला है|

देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है. और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है|

हम अपने देश के लिए आज़ादी चाहते हैं, पर दूसरों का शोषण कर के नहीं , ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखा कर………..मैं अपने देश की आजादी ऐसे चाहता हूँ कि अन्य देश मेरे आजाद देश से कुछ सीख सकें , और मेरे देश के संसाधन मानवता के लाभ के लिए प्रयोग हो सकें|

लोगों को सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसा से प्राप्त नहीं हो सकता है|

आज़ादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नही है  पूरे देश को मजबूत होना होगा|

मेरी समझ से प्रशाशन का मूल विचार यह है कि समाज को एकजुट रखा जाये ताकि वह विकास कर सके और अपने लक्ष्यों की तरफ बढ़ सके|

जो शाशन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशाशन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं अंततः जनता ही मुखिया होती है|

 

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

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