हिमालय पर्वत शृंखला – उत्पत्ति, उत्पत्ति का सिद्धांत और भौगोलिक विशेषताएं

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हिमालय का निर्माण सेनोजोइक महाकल्प में हुआ था।

कोबर के भूसन्नति का सिद्धांत:

हिमालय पर्वत शृंखला के विकास की सबसे अच्छी व्याख्या कोबर के भूसन्नति का सिद्धांत द्वारा होता है। यह एक जर्मन भूगर्भ शास्त्री थे।

भूसन्नति (Geosyncline) का सिद्धांत के अनुसार भी आज के हिमालय की जगह टेथिस भूसन्नति थी।

इसके उत्तर में अंगारालैण्ड और दक्षिण में गोंडवाना लैंड की नदियों के द्वारा करोड़ों वर्षों में अवसादों के निक्षेपण से भूसन्नति में दबाव पड़ते हुए जब दोनों भूमियों में सिकुड़न हुआ तो दोनों भूमियों के किनारे उठ गए एवं इसके बीच का स्थान भी थोड़ा सतह से ऊपर उठ गया।

आज के समय में यही दोनो किनारे हिमालय पर्वत शृंखला एवं कुनलुन पर्वत शृंखला एवं बीच का भाग तिब्बत का पठार है।

भूसन्नति (Geosyncline) भूविज्ञान की एक अपेक्षाकृत पुरानी संकल्पना और शब्द है जिसका व्यवहार अभी भी कभी-कभी ऐसे छिछले सागरों अथवा सागरीय द्रोणियों के लिए किया जाता है जिनमें अवसाद जमा होने और तली के धँसाव की प्रक्रिया चल रही हो।

 

हैरिहैस का प्लेट टेक्टोनिक थ्योरी:

प्लेटेक्टोनिक थ्योरी के अनुसार भी आज के हिमालय की जगह टेथिस सागर था।

धरती के भीतर पृथ्वी 6 गतिशील दृढ़ भूखंडों में विभाजित है। इसमें इंडियन प्लेट उत्तर की ओर सरकते हुए, युरेशियन प्लेट से टकराने से टेथिस सागर में वलन क्रिया हुई एवं इसी से हिमालय की नवीन मोड़दार पर्वत का निर्माण हुआ।

हिमालय पर्वत शृंखला – भौगोलिक विशेषताएं:

संसार की सभी मुख्य पर्वत मालाएं जैसे एंडीज़, रॉकी, यूराल, ग्रेट डिवाइडिंग रेंज आदि सभी का विस्तार उत्तर से दक्षिण में हुआ है।

इन सबसे अलग पूर्व से पश्चिम तक फैली सबसे लंबी पर्वत माला हिमालय है।

हिमालय पश्चिमी में नंगा पर्वत से पूर्व में अरुणाचल के उत्तर में तिब्बत में नामचा बरवा तक फैला है और इसकी लंबाई 2500 किमी है।

हिमालय पश्चिम में चौड़ा लेकिन कम ऊंचा और पूर्व में संकरा लेकिन अधिक ऊंचा है।

इसका क्षेत्रफल 5 लाख वर्ग किमी है।

हिमालय के उत्तर में तिब्बत का पठार और उसके उत्तर में कुनलुन पर्वत शृंखला है।

हिमालय पूर्व में नागा पर्वत के पहले तथा पश्चिम में नामचा बरवा के बाद दक्षिण दिशा में मुड़ा हुआ है।

पश्चिम में हिमालय का दक्षिणी झुकाव नागा पर्वत के आगे एक श्रेणी के रूप में पाकिस्तान में सुलेमान पर्वत एवं दूसरी श्रेणी के रूप में अफगानिस्तान में हिंदुकुश पर्वत के रूप में जानी जाती है।

पूर्व में नामचा बरवा के बाद हिमालय की दक्षिणी झुकाव म्यांमार सीमा पर अराकान योमा, तथा पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर में मिजो, नागालैंड में नागा पहाड़ी, अरुणाचल प्रदेश में पटगोई बूम पहाड़ी के नाम से मौजूद हैं।

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Shivesh Pratap

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