मुहर्रम के 50 महत्वपूर्ण तथ्य | क्यों मानते हैं मुहर्रम पर शोक?

Spread the love! Please share!!

मुहर्रम के 50 महत्वपूर्ण तथ्य | क्यों मानते हैं मुहर्रम पर शोक?

इस्लाम धर्म में चार पवित्र महीने होते हैं, उनमें से एक पवित्र महीना मुहर्रम का होता है,

मुहर्रम  में एक विशेष दिन सभी मुस्लिम शोक मनाते हैं

मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है. इस महीने की 10वीं तारीख को इस्लाम के अनुनायी रंज और गम के तौर पर मनाते हैं|

मुहर्रम शब्द में से हरम का मतलब होता है किसी चीज पर पाबंदी और ये मुस्लिम समाज में बहुत महत्व रखता है।

पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत हुसैन कि शहादत पर मानते हैं मुहर्रम:

ऐसा इसलिए क्योंकि आज से करीब 1337 साल पहले मुहर्रम की इसी तारीख को पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत हुसैन को कत्ल किया गया था|

632 ई. में पैगंबर मोहम्मद का निधन हो जाने के बाद उनके परिवार और इस्लाम के दुश्मन मजबूत होने लगे| पहले दुश्मनों ने मोहम्मद की बेटी फातिमा जहरा पर हमला किया और जुल्म किया जिसकी गोद में 6 माह का बेटा था |

फिर उनके दामाद हजरत अली पर तलवार से वार कर उन्हें कत्ल कर दिया गया|

इसके बाद अली के बड़े बेटे हसन की शहादत हुई|

6 महीने के अली असगर को पानी तक नहीं पीने दिया गया |

कर्बला कि जंग ने सुन्नियों कि क्रूरता को उजागर किया:

इराक की राजधानी बगदाद से करीब 120 किलोमीटर दूर कर्बला नाम की एक जगह है जहाँ सबसे बड़ी जंग की गई और , जिसमें जुल्म की इंतेहा हो गई|

यजीद और हुसैन में क्या विवाद था:

पैंगबर के परिवार को खत्म करने की साजिश मक्का-मदीना से निकलकर कर्बला तक पहुंच गई. यजीद (जो कि खुद को खलीफा मानता था) ने हुसैन पर अपने मुताबिक चलने का दबाव बनाय| हुसैन को हुक्म किया कि वो उसे अपना खलीफा मान|

वह चाहता था कि अगर हुसैन उसे मानने लगा तो इस्लाम पर उसका बोलबाला हो जाएगा, जिसे वो अपने मुताबिक चला सकेगा| मगर, हुसैन ने ऐसा मानने से इनकार कर दिया|

जब मक्का मदीना छोड़ हुसैन कर्बला पहुंचे थे, उनके साथ एक छोटा सा लश्कर था. इस काफिले में औरतों के अलावा छोटे बच्चे भी थे|

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मुहर्रम की दूसरी तारीख को हुसैन कर्बला पहुंचे थे.

इसके बाद 7 मुहर्रम को यजीद ने हुसैन के लश्कर का पानी बंद कर दिया और उन पर अपनी बात मानने का हर मुमकिन दबाव बनाया| पर हुसैन शहीद हो गए लेकिन अन्याय से समझौता नहीं किया |

बावजूद इसके हुसैन अपने उसी दीन पर कायम रहे, जो उनके नाना और पैगंबर मोहम्मद का इस्लाम है|

कर्बला में हुआ था 72 लोगों का हुआ कत्ल:

आखिरकार मुहर्रम की 10 तारीख को यजीद की फौज ने हुसैन के लश्कर पर हमला बोल दिया.

इस जंग में हुसैन समेत 72 लोगों को कत्ल कर दिया गया.

  • इनमें हुसैन के 6 महीने के बेटे अली असगर,
  • 18 साल के अली अकबर और
  • 7 साल के उनके भतीजे कासिम (हसन के बेटे) भी शहीद हो गए|

हुसैन को क़त्ल करने के बाद उनके घरों में आग लगा दी गई. जितनी औरतें और बच्चे बचे उन्हें एक ही रस्सी में बांधकर यजीद के दरबार ले जाया गया. यजीद ने सभी को अपना कैदी बनाकर जेल में डलवा दिया|

मुसलमानों का मानना है कि यजीद ने इस्लाम को अपने ढंग से चलाने के लिए लोगों पर जुल्म किए.

यजीद ने खलीफा बनने के लिए इस्लाम के आखिरी पैगंबर मोहम्मद के नवासे हुसैन को कत्ल कर दिया.

हुसैन की उसी कुर्बानी को याद करते हुए मुहर्रम की 10 तारीख को मुसलमान अलग-अलग तरीकों से दुख जाहिर करते हैं.

शिया मुस्लिम अपना खून बहाकर मातम मनाते हैं, सुन्नी मुस्लिम नमाज-रोज के साथ इबादत करते हैं|

 

Facebook Comments

Spread the love! Please share!!
Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is the copyright of Shivesh Pratap.