माँ की ममता पर शायरी
चलती फिरती आंखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।
जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ,
में खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ।
मां वो सितारा है जिसकी गोद में जाने के लिए हर कोई तरसता है,
जो मां को नहीं पूछते वो जिंदगी भर जन्नत को तरसता है।
माँ की बूढी आंखों को अब कुछ दिखाई नहीं देता,
लेकिन वर्षों बाद भी आंखों में लिखा हर एक अरमान पढ़ लिया।
मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा
झुक कर करू तेरा सजदा
तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए
ना कर कभी मुझे माँ से जुदा!
ना आसमां होता ना जमीं होती,
अगर मां तुम ना होती।
घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए,
लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई।
हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,
पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।
मुसीबतों ने मुझे काले बादल की तरह घेर लिया,
जब कोई राह नजर नहीं आई तो मां याद आई।
दुआ है रब से वो शाम कभी ना आए,
जब माँ दूर मुझसे हो जाए।
जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया,
मां ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया।
मां तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है,
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है।
माँ का आँचल शायरी
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई मां के पैर छूकर नहीं निकलता।
रूह के रिश्तो की यह गहराइयां तो देखिए,
चोट लगती है हमें और दर्द मां को होता है।
हम खुशियों में मां को भले ही भूल जाए,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है मां।
खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी…
जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी..
सख्त राहों में भी आसान सफर लगता है,
यह मेरी मां की दुआओं का असर लगता है।
हालात बुरे थे मगर अमीर बना कर रखती थी,
हम गरीब थे यह बस हमारी मां जानती थी।
जब जब कागज पर लिखा मैंने मां का नाम,
कलम अदब से बोल उठी हो गए चारों धाम।
मां तेरे एहसास की खुशबू हमेशा ताजा रहती है,
तेरी रहमत की बारिश से मुरादें भीग जाती है।
तकिए बदले हमने बेशुमार लेकिन तकिए हमें सुलाते नहीं,
बेखबर थे हम कि तकिए में मां की गोद को तलाशते नहीं।
राहे मुश्किल थी रोकने की कोशिश बहुत की,
लेकिन रोक न पाए क्योंकि मैं घर से मां के पैर छू निकला था।
जब दवा काम नहीं आती है,
तब माँ की दुआ काम आती है।
कोई सरहद नहीं होती,
कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती,
तो बंटवारा नहीं होता।
मुश्किल घड़ी में ना पैसा काम आया,
ना रिश्तेदार काम आये,
आँख बंद की तो सिर्फ मां याद आयी।
उम्र भर खाली यूं ही मकान हमने रहने दिया,
तुम गए तो दूसरे को कभी यहां रहने ना दिया,
मैंने कल सब चाहतों की किताबे फाड़ दी,
सिर्फ एक कागज पर लिखा मां रहने दिया।
कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है,
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है।
माँ की यादें शायरी
हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका,
दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका।
काम से घर लौट कर आया तो सपने को क्या लाए,
बस एक मां ने पूछा बेटा कुछ खाया कि नहीं।
हर गली, हर शहर, हर देश-विदेश देखा,
लेकिन मां तेरे जैसा प्यार कहीं नहीं देखा।
पैसो से सब कुछ मिलता है पर,
माँ जैसा प्यार कही नही मिलता।
कभी चाउमीन, कभी मैगी, कभी पीजा खाया लेकिन,
जब मां के हाथ की रोटी खायी तब ही पेट भर पाया।
माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमो में जन्नत,
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा।
हजारो गम है जिन्दगी में,
फिर माँ मुस्कराती है,
तो हर गम भूल जाता हू।
माँ तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा!
तू है नाराज ती खुश मुझसे खुदा क्या होगा!
Shayari Maa ke Liye
रब से करू दुआ बार-बार
हर जन्म मिले मुझे माँ का प्यार
खुदा कबूल करे मेरी मन्नत
फिर से देना मुझे माँ के आंचल की जन्नत।
माँ खुद भूखी होती है, मुझे खिलाती है,
खुद दुःखी होती है, मुझे चेन की नींद सुलाती है।
न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी,
माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी।
माँ कर देती है पर गिनाती नहीं है,
वो सह लेती है पर सुनाती नहीं है।
हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।
जो शिक्षा का ज्ञान दे उसे शिक्षक कहते है,
और जो खुशियों का वरदान दे उसे मां कहते है।
भटकती हुई राहों की धूल था मैं
जब मां के चरणों को छुआ तो
चमकता हुआ सितारा बन गया।
पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
बस इक औलाद के सितम से माँ टूट जाती है।
मां तो वो है जो अगर खुश होकर सर पर हाथ रख दे,
तो दुश्मन तो क्या काल भी घबरा जाए।
जो सब पर कृपा करे उसे ईश्वर कहते है,
जो ईश्वर को भी जन्म दें उसे मां कहते है।
जब नींद नहीं आती,
तब मां की लोरी याद आती है।
मां कहती नहीं लेकिन सब कुछ समझती है,
दिल की और जुबां की दोनों भाषा समझती है।
मां की दुआ को क्या नाम दूं,
उसका हाथ हो सर पर तो मुकद्दर जाग उठता है।
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें है कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
बर्तन माज कर माँ चार बेटो को पाल लेती है,
लेकिन चार बेटो से माँ को दो वक्त की रोटी नही दी जाती।
माँ की याद स्टेटस
खाली पड़ा था मकान मेरा,
जब माँ घर आयी तो घर बना।
उसकी डांट में भी प्यार नजर आता है,
माँ की याद में दुआ नजर आती है।
बिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती है,
बिन कहे जो गलती माफ़ कर दे वो माँ है।
बिना हुनर के भी वो चार ओलाद पाल लेती है,
कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
तन्हाई क्या होती उस माँ से पूछो,
जिसका बेटा घर लोट कर नही आया।