नागरमोथा का पौधा, उपयोग एवं लाभ | Nagarmotha Tree of Uses & Benefits in Hindi

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नागरमोथा का पौधा, उपयोग एवं लाभ 
Nagarmotha Tree of Uses & Benefits in Hindi

नागरमोथा का वानस्पतिक नाम : Cyperus scariosus

संस्कृत नाम: नागरमुस्तक

नागरमोथा के गुण: नागरमोथा का रस तिक्त , कषाय और कटु होता है |

#नागरमोथा का रासायनिक संगठन : #नागरमोथा की जड़ की ग्रंथि में एक प्रकार का उड़नशील तेल पाया जाता है इसके अलावा इसमें एल्बुमिन , वसा , शर्करा एवं एंटीसेप्टिक तत्व पाए जाते है |

नागरमोथा का पौधा:

#नागरमोथा एक महत्वपूर्ण औषधि है जिसका उपयोग आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में प्राचीन समय से किया जाता रहा है |

यह पौधा संपूर्ण भारत में नमी तथा जलीय भू-भागों में प्रचुरता से दिखाई देता है, आमतौर से घास की तरह दिखाई देने वाले इस पौधे को मोथा या मुस्तक के नाम से भी जाना जाता है|

नागरमोथा में प्रोटीन, स्टार्च के अलावा कई कार्बोहाड्रेट पाए जाते है।

नागरमोथा के क्षुप 1 से 2 फीट तक ऊँचे हो सकते है इसका कोई ठोस तना नहीं होता लेकिन यह पतली पतियों के जोड़ से बड़ा होता रहता है |

इसकी पत्तियां 6 इंच तक लम्बी और पतली होती है पुष्प मंजरियों के रूप में लगते है|

इसकी जड़े अधिक गहरी होती है इसकी जड़ के निचे गहराई में एक कंद लगता है जो अंडाकार आकृति में काले या गहरे भूरे रंग का होता है|

नागरमोथा का उपयोग एवं लाभ:

नेत्र रोग में लाभ:

इसकी जड़ों के रस की 2- 2 बूंद की मात्रा आंखों में डालने से कंजक्टीवायटिस की समस्या में आराम मिलता है।

नेत्र रोग होने पर नागर मोथा को रात को एक कोरे मिट्टी के बरन में पानी डालकर त्रिफला के साथ भिंगों दें। सुबह उठकर उस पानी को छानकर उससे अपनी आंखों को धोयें। एक हफ्ते के प्रयोग से ही नेत्र रोग दूर हो जाएंगे।

प्रसूता स्त्री के लिए लाभ:

नागरमोथा को पीसकर स्त्री के स्तनों पर लेप करने से प्रसूता के स्तनों की कठोरता और गांठे ठीक हो जाती है|

इसको अच्छी तरह पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में  दूध के साथ मिलाकर प्रसूता को पिलाने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है |

उदर कृमियों में लाभ:

पेट में अगर कीड़े हो  तो 1 ग्राम की मात्रा में नागरमोथा का चूर्ण नित्य पानी के साथ पिने से जल्द ही पेट के कीड़े मर जाते है |

नागर मोथा का चूर्ण, चुकन्दर तथा गाजर के रस के साथ 5 ग्राम सुबह-शाम सेवन कराने से में पाचन शक्ति बढ जाती है तथा शरीर में नया खून बनने लगता है।

खांसी, कुंडू और कुष्ठ रोग में लाभ:

खांसी, कुंडू व कुष्ठ रोग हो जाने पर 5 ग्राम नागरमोथा के चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ रोगी को सेवन कराने से तीन दिन में खांसी दूर हो जाती है तथा 40 दिन के सेवन कुंडू और कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।

अतिसार में लाभ:

दस्त होने पर नागरमोथा , आंवला , अदरक इन सभी को 10 – 10 ग्राम की मात्रा में ले और इसमें 30 ग्राम सौंठ मिलाकर चूर्ण बना ले | इसका प्रयोग करने से दस्त बंद हो जाते है एवं प्लीहा के रोगों में भी फायदा पहुँचता है |

गठिया रोग में लाभ:

गठिया रोगी को नागरमोथा और गोखरू का चूर्ण समान मात्रा में लेकर मिलकर चूर्ण बनाके सेवन करवाने से गठिया के रोग में लाभ मिलता है |

 

 

 

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

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