चिरचिटा (अपामार्ग, लटजीरा) का पौधा, उपयोग एवं लाभ | लटजीरा की जड़ एवं टोटके

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चिरचिटा (अपामार्ग, लटजीरा) का पौधा, उपयोग एवं लाभ 
लटजीरा की जड़ एवं टोटके

चिरचिटा (अपामार्ग, लटजीरा) का वैज्ञानिक नाम: एचिरेन्थस ऐस्पेरा (Achyranthes Aspera)

हिंदी नाम: चिरचिटा, लटजीरा, चिचड़ा

संस्कृत नाम: अपामार्ग, प्रत्यकपुष्पी

अंग्रेजी नाम: Prickly Chalf flower

चिरचिटा (अपामार्ग, लटजीरा) के औषधीय गुण: 

चिरचिटा तिक्त, कटु, तीक्ष्ण, गर्म प्रकृति, विपाक में कटु होता है।

यह अग्निप्रदीपक, दस्तावर, चरपरा, पाचक, रुचिकारक और दर्द-निवारक, विष, कृमि व पथरी नाशक,रक्तशोधक, ज्वरहर, श्वास रोग नाशक, क्षुधा नियंत्रक एवं गर्भधारणार्थ उपयोगी है।

चिरचिटा में 30 % पोटाश क्षार, 13 % चूना, 7 % सोरा क्षार, 4 % लोहा, 2 % नमक एवं 2 % गंधक पाया जाता है। पत्तों की अपेक्षा जड़ की राख में ये तत्व अधिक मिलते हैं।

चिरचिटा (अपामार्ग, लटजीरा) का पौधा:

अपामार्ग का पौधा एक औषधीय है जो भारत के समस्त शुष्क स्थानों पर उत्पन्न होता है।

चिरचिटा (अपामार्ग, लटजीरा) लाल और सफेद दो प्रकार के होते हैं।

इसका पौधा 1 से 3 फुट उंचा होता है ,शाखाएं पतली,पत्ते अंडाकार एक से पांच इंच लम्बे होते हैं|

इसके फूल हरे या गुलाबी कलियों से युक्त होते हैं तथा बीजों का आकार चावल की तरह होता है|

अपामार्ग का पौधा औषधीय में  उपयोग पंचांग (मूल, तना, पत्र, पुष्प, बीज) का होता है|

चिरचिटा (अपामार्ग, लटजीरा) का उपयोग एवं लाभ:

हैजा में उपयोग: 

हैजा होने पर चिरचिटा की जड़ को सुखाकर उसका चूर्ण बना लेना चाहियें और उस चूर्ण को रोगी को रोजाना 3 बार 4 से 6 ग्राम की मात्रा में खिलाना चाहियें. इससे उन्हें तुरंत आराम मिलता है|

विषैले जीवों के काटने पर उपयोग:

सांप, बिच्छू, जहरीले कीड़ों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरन्त घट जाता है|

मुह के रोगों में उपयोग:

चिरचिटा कि जड़ से प्रतिदिन दातुन करने से दन्त चमकने लगते है तथा दांतों का हिलना ,मसुडो कि कमजोरी ,तथा मुंह कि दुर्गन्ध को दूर करता है|

गठिया रोग:

चिरचिटा के पत्ते को पीसकर गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है।

पित्त की पथरी में उपयोग:

पित्त की पथरी में चिरचिटा की जड़ आधा से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पूरा लाभ होता है। काढ़ा अगर गर्म-गर्म ही खायें तो लाभ होगा।

खूनी बवासीर:

चिरचिटा की 25 ग्राम जड़ों को चावल के पानी में पीसकर बकरी के दूध के साथ दिन में 3 बार लेने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।

शारीरिक दर्द में लाभ:

चिरचिटा की लगभग 1 से 3 ग्राम पंचांग का क्षार नींबू के रस में या शहद के साथ दिन में 3 बार देने से शारीरिक दर्द में लाभ मिलता है।

भूख ना लगना:

अपामार्ग की पंचांग (जड़,तने,पत्ती,फूल एवं फल ) का क्वाथ बनाकर इसे बीस से पच्चीस मिली की मात्रा में खाली पेट सेवन करें तो इससे पाचक रसों की वृद्धि होकर भूख लगने लगती है तथा हायपरएसिडिटी में भी लाभ मिलता है|

मिर्गी में उपयोग:

इसके हरे पौधे का रस भूरी मिर्च और सौफ के पाउडर के साथ गोली बना कर देने से मिर्गी के रोगी को बहुत आराम मिलता है|

लटजीरा की जड़ एवं टोटके:

इसकी जड़ का तिलक माथे पर लगाने से सम्मोहन प्रभाव उत्पन्न हो जाता है।

सफेद लटजीरे की जड़ अपने पास रखने से धन लाभ, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।

अभिमन्त्रित श्वेत अपामार्ग-मूल को ताबीज में भर कर लाल,पीले या हरे धागे में गूंथकर गले वा वांह में धारण करने से शत्रु, शस्त्र  आदि से रक्षा होती है।

 

 

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

One thought on “चिरचिटा (अपामार्ग, लटजीरा) का पौधा, उपयोग एवं लाभ | लटजीरा की जड़ एवं टोटके

  1. This is a great and important blog post for Health Tips .keep up the good work sir <<>>

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