‘चैत्रे मासि जगद ब्रह्मा ससर्ज प्रथमे अहनि, शुक्ल पक्षे समग्रेतु तदा सूर्योदये सति’
– ब्रह्म पुराण में वर्णित इस श्लोक के मुताबिक चैत्र मास के प्रथम दिन प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी | इसी दिन से संवतसर की शुरूआत होती है|
नव वर्ष का आवाहन मन्त्र :
ॐ भूर्भुवः स्वः संवत्सर अधिपति आवाहयामि पूजयामि च
आवाहन पश्चात
यश्चेव शुक्ल प्रतिपदा धीमान श्रुणोति वर्षीय फल पवित्रम भवेद धनाढ्यो बहुसश्य भोगो जाह्यश पीडां तनुजाम , च वार्षिकीम
अर्थात जो व्यक्ति चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को इस पवित्र वर्ष फल को श्रृद्धा से सुनता है तो धन धान्य से युक्त होता है ।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्राह्मण या ज्योतिषी को बुलाकर नव संवत्सर का फल सुनने की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है ।
चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :
1. चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा सेएकअरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 114 साल पहले इसी दिन को ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन किया था।
2. सम्राट विक्रमादित्य ने 2072 साल पहले इसी दिन राज्य स्थापित कर विक्रम संवत की शुरुआत की।
3.भगवान राम का राज्याभिषेक इसी दिन किया गया।
4. शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन।
5. शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस. विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु इसी दिन का चयन किया।
6. समाज को अच्छे मार्ग पर ले जाने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की।
7. सिख परंपरा के द्वितीय गुरु अंगददेव का जन्म दिवस।
8. सिंध प्रांत के प्रसिद्घ समाज रक्षक वरुणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए।
9. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन, 5117 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ।
10. इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार का जन्मदिवस भी है।
भारतीय नव वर्ष “विक्रम संवत् २०७२, युगाब्द (कलियुग वर्ष) ५११७” यानि नव संवत्सर को मनाने की विधि –
१. घर के आंगन को गेरुए रंग से या अन्य रंगोँ से पोत कर साफ करिये, आंगन में तुलसी का पौधा नहीं है तो अभी लगायें।
२. घर की छत या सबसे उपर के हिस्से पर एक मजबूत बाँस गडवा दीजिए, नये वर्ष पर केसरीया ध्वज जो लगाना है।
३ . घर के बाहर लगाने के लिए ओउम् व स्वास्तिक के अच्छे स्टिकर इत्यादि ले आईये या पक्के रंगोँ से स्वयं बना लीजिए।
५. घर के आसपास नीम का पेड ढूंढ कर रखिए। नव वर्ष तक उसमें नई कोंपलें आ जायेंगी। नव वर्ष के दिन सुबह सुबह वे कोपलें मिश्री के साथ स्वयं भी खानी है और ओरोँ को भी बांटनी है। कुछ तुलसी के पत्ते भी।
५ . अच्छे शुभकामना संदेश मित्रों को अवश्य भेजिए इसे लोगोँ मेँ जागरुकता भी आती हे ओर वह भी नव संवत्सर मनाने की ओर आकर्षित होते हैं।
६. ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो चुका है इसलिए घर के बाहर थोडी सी जगह पर पानी रखवा दीजिए जिससे प्यासोँ को पीने का पानी मिल सके।
७. सम्राट विक्रमादित्य, डॉ हेडगेवार आदि महापुरुषों के अच्छे चित्र ढूंढना प्रारंभ कर दीजिये। घर को महापुरुषोँ के अच्छे छायाचित्रोँ से सजाना है और दूसरोँ को देना भी है।
८. अगर सम्भव हो तो, नव वर्ष की पूर्व संध्या पर आपके गाँव, मोहल्ले, प्रतिष्ठान में सांस्कृतिक कार्यक्रम कवि सम्मेलन, नव वर्ष की वैज्ञानिकता पर भाषण का आयोजन करेँ।
९ . नववर्ष के दिन घरों में, प्रतिष्ठानों में रोशनी करना नहीं भूलें।
१० .उस दिन सुबह “धर्म जागृति” पर प्रभात फेरी भी निकाली जा सकती है।
११ . नव वर्ष पर मंदिर जाना न भूलेँ।
१२. सम्भव हो तो गरीबोँ को भोजन कराएँ।
१३. वृक्षारोपण जरुर करेँ और दूसरोँ से करवाएँ। नीम, तुलसी, पीपल, वरगद, बहेडा आदि के पेड जरुर लगाएँ।
१४. अच्छी पुस्तकेँ जैसे श्रीमदभगवदगीता, हनुमानचलीसा, रामचरितमानस, आदिका पाठ सुबह शाम करना शुरु कर देँ और अगर सम्भव हो तो इन पुस्तकोँ का दान करेँ या मित्रोँ को या किसी को उपहार स्वरुप भेँट करेँ।
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