मूर्ख और दुष्ट प्रकृति के व्यक्ति पर श्लोक अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते | अविश्वस्ते विश्वसति मूढचेता नराधमः || – विदुर नीति भावार्थ – जो व्यक्ति बिना बुलाये आ धमके…
Category: संस्कृत श्लोक सुभाषित संग्रह हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित | Collection of Sanskrit Shloka with Meaning
ShiveshPratap.com इंटरनेट पर संस्कृत श्लोकों एवं सुभाषित का सबसे बड़ा, प्रामाणिक एवं विश्वसनीय पोर्टल है। इस पोर्टल के संस्कृत श्लोक उनके हिंदी एवं अंग्रेजी अर्थों के साथ दिए जाते हैं। साथ ही हम संस्कृत श्लोकों के IAST को भी प्रकाशित करते हैं जिससे देवनागरी न जानने वाले भी इसे पढ़ सकें।
हमें यह बताते हार्दिक प्रसन्नता हो रही है की यहाँ आपको 5000 + संस्कृत श्लोक पढ़ने को मिलेंगे तथा अभी आने वाले समय में 15000 अन्य संस्कृत श्लोकएवं सुभाषित को सूचीबद्ध करने की योजना है।
आने वाले समय में प्रत्येक संस्कृत श्लोक के ऑडियो भी हम उपलब्ध करेंगे।
*****
ShiveshPratap.com is the biggest and most authentic and reliable portal of Sanskrit Shlokas and Subhashit on the Internet. Sanskrit shlokas of this portal are given along with their authentic Hindi and English translation. Also we publish IAST of Sanskrit shlokas so that even those who do not know Devanagari can read it.
We are very happy to inform that here you will get to read 5000+ Sanskrit shlokas and there are plans to list 15000 more Sanskrit shlokas and subhashit in the coming time.
ईर्ष्यी घृणि न संतुष्टः क्रोधिनो नित्यशङ्कितः | irshyi ghrini na santushtah krodhino nityashankitah
दुःखी व्यक्ति पर श्लोक ईर्ष्यी घृणि न संतुष्टः क्रोधिनो नित्यशङ्कितः | परभाग्योपजीवी च षडेते नित्य दुःखिता || – विदुर नीति भावार्थ – अन्य व्यक्तियों से घृणा करने वाला , ईर्ष्या…
सोSस्य दोषो न मन्तव्यः क्षमा हि परमं बलं | soSsya dosho na mantavyah kshama hi paramam balam
क्षमा करने की परम शक्ति पर श्लोक सोSस्य दोषो न मन्तव्यः क्षमा हि परमं बलं | क्षमा गुणो अशक्तानां शक्तानां भूषणं क्षमा || – विदुर नीति भावार्थ – हमें किसी…
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः | trividham narakasyedam dvaram nashanamatmanah
दुर्गुणों के त्याग पर श्लोक त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः | कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत् त्रयं त्यजेत् || – विदुर नीति भावार्थ – कामवासना , क्रोध्, तथा लोभ ये दुर्गुण नरक के…
अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च | arthagamo nityamarogita cha priya cha bharya priyavadini cha
सुख पर श्लोक अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च | वश्यस्य पुत्रोsर्थकरी च विद्या षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन् || – विदुर नीति भावार्थ – हे राजन् ! इस…