दुःखी व्यक्ति पर श्लोक ईर्ष्यी घृणि न संतुष्टः क्रोधिनो नित्यशङ्कितः | परभाग्योपजीवी च षडेते नित्य दुःखिता || – विदुर नीति भावार्थ – अन्य व्यक्तियों से घृणा करने वाला , ईर्ष्या…
Category: संस्कृत श्लोक का संग्रह हिंदी अर्थ सहित | Collection of Sanskrit Shlokas on Various Topics
संस्कृत के श्लोक भारतीय संस्कृति का विश्व को सबसे बड़ा उपहार है| इस वेबसाइट पर जीवन से सम्बंधित कई विषयों कर संस्कृत में श्लोकों का हिंदी अर्थ सहित एक सुन्दर संकलन तैयार किया गया है।
कोई भी श्लोकों तथा संस्कृत को पढ़ने वाले या विद्यार्थी विशेष रूप से इन श्लोकों को याद कर सकते हैं और उन्हें अपने जीवन में उतार कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
सोSस्य दोषो न मन्तव्यः क्षमा हि परमं बलं | soSsya dosho na mantavyah kshama hi paramam balam
क्षमा करने की परम शक्ति पर श्लोक सोSस्य दोषो न मन्तव्यः क्षमा हि परमं बलं | क्षमा गुणो अशक्तानां शक्तानां भूषणं क्षमा || – विदुर नीति भावार्थ – हमें किसी…
अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च | arthagamo nityamarogita cha priya cha bharya priyavadini cha
सुख पर श्लोक अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च | वश्यस्य पुत्रोsर्थकरी च विद्या षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन् || – विदुर नीति भावार्थ – हे राजन् ! इस…
चत्वारि ते तात गृहे वसन्तु श्रियाभिजुष्टस्य गृहस्थधर्मे | chatvari te tata grihe vasantu shriyabhijushtasya grihasthadharme
गृहस्थ का कर्तव्य एवं शरण पर श्लोक चत्वारि ते तात गृहे वसन्तु श्रियाभिजुष्टस्य गृहस्थधर्मे | वृद्धो ज्ञातिरवसन्नः कुलीनः सखा दरिद्रो भगिनी चानपत्या || – विदुर नीति भावार्थ – हे तात…
पञ्चाग्नयो मनुष्येण परिचर्याः प्रयत्नतः | panchagnayo manushyena paricharyah prayatnatah
पिता, माता, अग्नि , आत्मा तथा गुरु पर श्लोक ***** पञ्चाग्नयो मनुष्येण परिचर्याः प्रयत्नतः | पितामाताग्निरात्मा च गुरुश्च भरतर्षभः || -विदुरनीति भावार्थ – हे राजाओं में श्रेष्ठ धृतराष्ट्र ! पिता,…