मालकांगनी के पौधे का उपयोग एवं फायदे | मालकांगनी तेल का उपयोग

Spread the love! Please share!!

मालकांगनी के पौधे का उपयोग एवं फायदे 
मालकांगनी तेल का उपयोग

#मालकांगनी का वानस्पतिक नाम: सिलीस्ट्रस पैनिकुलेटा (Celastrus paniculatus) 

संस्कृत नाम: ज्योतिष्मती

हिंदी नाम: मालकांगनी

अंग्रजी नाम: स्टाफ ट्री (Staff Tree)

मालकांगनी के गुण: 

मालकांगनी रस में कटु, तिक्त, गुण में तीक्ष्ण, स्निग्ध, प्रकृति में गर्म, विपाक में कटु, कफ़ और वात नाशक, वमनकारक, अग्निवर्द्धक, बुद्धि और स्मरणशक्तिवर्द्धक होती है।

यह पक्षाघात, संधिवात, बेरी-बेरी, कास-श्वास, मूत्र रोग, खुजली, अर्श, नपुंसकता, दाद, व्रण, चर्मरोग, शोथ, स्मरणशक्ति-वर्धक है।

मालकांगनी के रासायनिक संघटन:

#मालकांगनी के बीज में 30 % गाढ़ा, लाल, पीला, कड़वा और गन्धयुक्त तेल, कषाय द्रव्य तथा क्षार 5 % की मात्रा में निकलता है।

मालकांगनी के पौधे:

मालकांगनी की लता भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषकर कश्मीर और पंजाब आदि में अधिक मात्रा में पाई जाती है।

पते नोकीले, लट्वाकार, 2 से 4 इंच लंबे और डेढ़ से तीन इंच चौड़े होते हैं।

पुष्प पीले हरे रंग के गुच्छों में लगते हैं।

फल मटर के समान गोल और पीले होते हैं।

इसके बीज भूरे होते हैं तथा सिन्दूरी बीज चोल से ढंके होते हैं।

मालकांगनी के उपयोग एवं फायदे:

बुद्धि, याददाश्त बढ़ाने में लाभ:

मस्तिष्क की दुर्बलता या दिमाग की सुस्ती में इसके तेल की 2 से 10 बूंदें गोघृत में मिलाकर दें। इससे स्मरण-शक्ति और मेधा-शक्ति बढ़ती है।

मालकांगनी के बीच, बच, देवदारु, अतीस चारों समभाग मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना शुद्ध घी के साथ सेवन करें। तेल की 5-10 बूद मक्खन के साथ सेवन करने से भी यही लाभ मिलेगा।

सफेद दाग (चर्मरोग) में लाभ:

मालकांगनी और बावची के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर एक शीशी में रख लें, इसको सफेद दागों पर रोजाना सुबह-शाम लगाने से लाभ मिलता है।

 दमा, श्वास  के रोग में लाभ:

मालकांगनी के बीज और छोटी इलायची, दोनों समभाग मिलाकर पीस लें, फिर आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम चटाएं। इस प्रकार एक माह तक करने से रोग ठीक होने लगता है |

नपुंसकता  में उपयोग एवं फायदे:

इसके लिए मालकांगनी के तेल को पान के पते पर लगाकर शिश्न पर लपेटकर रात्रि में बांधे और 2 ग्राम बीजों को दूध की खीर के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इस प्रकार 2-3 सप्ताह करने से असर दिखने लगता है और लगभग 2-3 माह यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है |

मिर्गी में लाभ:

मालकांगनी के तेल में कस्तूरी को मिलाकर रोगी को चटाने से मिर्गी का दौरा आना बंद हो जाता है।

गठिया रोग में लाभ:

20 ग्राम मालकांगनी के बीज और 10 ग्राम अजवायन को पीस-छानकर चूर्ण बनाकर रोजाना 1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम खाने से गठिया रोग में आराम होता है।

10-10 ग्राम मालकांगनी, काला जीरा, अजवाइन, मेथी और तिल को लेकर पीस लें फिर इसे तेल में पकाकर छानकर रख लें। इस तेल से कुछ दिनों तक मालिश करें। इससे गठिया रोग ठीक हो जाता है।

 

 

 

 

Facebook Comments

Spread the love! Please share!!
Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is the copyright of Shivesh Pratap.