अपनी शक्ति पर नियंत्रण
क्या आपको पता है महाभारत में सबसे खतरनाक दिव्यास्त्र किसके पास थे?
द्रोण के पास ‘ब्रह्मशिरस’ जो ब्रह्मास्त्र के भी ऊपर की चीज थी।
भीष्म के पास ‘प्रस्वपास्त्र’ जिसके सामने भगवान परशुराम को भी पीछे हटना पड़ा। अर्जुन के पास ‘पाशुपतास्त्र’ और कृष्ण के पास ‘सुदर्शन चक्र’। लेकिन इनमें से किसी ने भी महाभारत जैसे मरणांतक संग्राम में अपने अपने दिव्यास्त्रों का प्रयोग नहीं किया क्योंकि वे उनके भयानक परिणामों से अवगत थे। लेकिन अश्वत्थामा ने क्रोध में आते ही पहले नारायणास्त्र द्वारा हजारों निरीह सैनिकों के प्राण ले लिये और फिर अपनी तुच्छता में ब्रह्मशिरस का प्रयोग पांडवों को निर्वीर्य बनाने के लिए कर दिया।
यही वह चीज है जो महान योद्धा और एक पशु रूपी तुच्छ मनुष्य के बीच अंतर करती है-
‘अपनी शक्ति का ज्ञान व उस पर नियंत्रण’ जिस व्यक्ति के हाथों में सैकड़ों परमाणु हथियारों को चलाने की शक्ति हो, जो अपने एक पायलट के बंदी बनाये जाने पर विश्वप्रसिद्ध व विश्व की सबसे तेज मिसाइल ब्रह्मोस को पाकिस्तान पर तान देता हो, जो आतंकवादी हमलों पर दुश्मन को घुसकर मारता हो, जो विश्वशक्ति चीन को पहले डोकलाम और फिर गलवान में घुटनों पर ला देता हो वह टिकैत जैसे चंद मुट्ठीभर गुंडों और खालिस्तानी देशद्रोहियों के पिछवाड़े लट्ठ नहीं बजा सकता?
मोदीजी की सोच:
मोदीजी द्वारा कृषि कानून वापस लेने पर मैं भी क्षुब्ध हुआ लेकिन राष्ट्र की अखंडता की शपथ लेने वाले प्रधानमंत्री की सोच में मैंने पाया कि मैं गलत था और मोदी जी ने वही किया जो एक प्रधानमंत्री कर सकता है।
वे वही कर रहे हैं जो एक शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्ष को करना चाहिए- ‘अपनी शक्ति पर नियंत्रण’
छोटी-छोटी क्षति पर सुलग उठने वालों को जब शक्ति मिल जाती है तो वे भ्रूणहत्यारे अश्वत्थामा बन जाते हैं। स्वयं को भी पहचानिए और उस व्यक्ति को भी जो अपनी अबाध शक्ति पर इतना विस्मयकारी नियंत्रण रखता है।
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