कुटज (इन्द्रजौ) का पौधा, उपयोग एवं लाभ | Kutaja Information, Uses & Benefits in Hindi

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कुटज (इन्द्रजौ) का पौधा, उपयोग एवं लाभ 
Kutaja Information, Uses & Benefits in Hindi

कुटज का वानस्पतिक नाम: राइटिया एटिडिसेंटेरिका (Wrightia antidysenterica)

Family: Apocynaceae

संस्कृत नाम: कुटज

हिंदी नाम: इंद्रजौ (इन्द्रयव), कुरैया

अंग्रेजी नाम: ओवल् लीब्ड रोजवे

रासायनिक संघटन: कुटज की छाल तथा बीज-अंगों में कुर्चिसिन तथा कुर्चीन तत्त्व पाये जाते हैं।

कुटज की जातियाँ: 1. कृष्ण-कुटज (कड़वा इंद्रजौ)
                              2. श्वेत-कुटज (मीठा इंद्रजौ)

कुटज का परिचय:

#कुटज का पेड़ मध्यम आकार का, कत्थई या पीलाई लिये कोमल छालवाला होता है।

पत्ते चार इंच से आठ इंच तक लंबे, शाखा पर आमने-सामने लगते हैं। कुटज के फूल सफेद, 1-1 इंच लम्बे, चमेली के फूल की तरह कुछ गन्धयुक्त होते हैं।

#कुटज के फल 8-16 इंच लम्बे, फली के समान होते हैं। दो फलियाँ डंठल तथा सिरों पर भी मिली-सी रहती हैं। इनके भीतर बीज कच्चे रहने पर हरे और पकने पर जौ के रंग के होते हैं।

कुटज हिमालय प्रदेश, बंगाल, असम, उड़ीसा, दक्षिण भारत तथा महाराष्ट्र में प्राप्त होता है।

 

 

कुटज के गुण:

#कुटज स्वाद में कड़वा, कसैला, पचने पर कटु तथा हल्का, रूखा और शीतल होता है। इसका मुख्य प्रभाव पाचन-संस्थान पर स्तम्भक रूप में पड़ता है। यह व्रण-रोपण (घाव भरनेवाला) अग्निदीपक, कृमिहर, रक्तशोधक, ज्वरहर, धातुशोषक तथा रक्त-स्तम्भक है।

कुटज का उपयोग एवं लाभ:

मियादी बुखार में कुटज का सत्व, प्रमेह और कामला में शहद के साथ कुटज का स्वरस तथा प्रदर में कुटज का चूर्ण लोहभस्म के साथ देने का विधान है।

बवासीर (अर्श) में लाभ:

कड़वे इन्द्रजौ को पानी के साथ पीसकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। रात को सोते समय दो गोली ठंडे जल के साथ खायें। इससे बादी बवासीर ठीक होती है। बवासीर के खून को भी बंद करती है।

मधुमेह में लाभ: 

छल को पानी में रात भर भिगो कर, और सुबह पानी का सेवन करे |

रक्तार्श में लाभ: 

इसकी छाल पीसकर पानी में रात्रि को भिगोकर सुबह छानकर पीने से खूनी बवासीर में निश्चित लाभ होता है।

बुखार में लाभ:

इन्द्र जौ के पेड़ की छाल और गिलोय का काढ़ा पिलायें अथवा रात को छाल को पानी में गला दें और सुबह उस पानी को छानकर पिलायें। इससे पुराना बुखार दूर हो जाता है।

रक्त-पित्तातिसार में लाभ: 

कुटज की छाल को पीसकर सोंठ के साथ देने से रक्त बन्द होता है। रक्त-पित्त में घी के साथ देने से रक्त आना रुकता है। कुटज के फल पीसकर देने से रक्तातिसार और पित्तातिसार में लाभ होता है।

पीलिया में लाभ:

काले इन्द्रजौ के बीजों का रस निकालें और थोड़ा-थोड़ा तीन दिनों तक खायें।

पथरी में लाभ:

इन्द्र जौ और नौसादर का चूर्ण दूध अथवा चावल के धोये हुए पानी में डालकर पीना चाहिए। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।

दर्द में लाभ:

इन्द्र जौ का चूर्ण गरम पानी के साथ देना चाहिए।

पेट के कीड़े:

इन्द्रजौ को पीस और छानकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पीने से पेट के कीडे़ मरकर, मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

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