अपने गांव की यात्रा: स्वर्गिक सुख की अनुभूति

|| मातृपितृ चरणकमलेभ्यो नमः|| कल पैत्रिक निवास पर अपने गाँव एक साल के दीर्घ अंतराल पर आया …… और एक साल बाद अपने वास्तविक सामाजिक प्रतिबिम्ब में स्वयं को परख…

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