100 अलगाव जुदाई शायरी ग़म और होता सुन के गर आते न वो ‘वसीम’ अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं दा हवा में बहुत दूर तक गयी…
100 अलगाव जुदाई शायरी ग़म और होता सुन के गर आते न वो ‘वसीम’ अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं दा हवा में बहुत दूर तक गयी…