संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और भारत की दावेदारी पर निबंध

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`संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का इतिहास:

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है, जिसका गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 24 अक्तूबर 1945 को हुआ था।
  • इसका मुख्यालय न्यू यॉर्क, न्यू यॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।

 

  • सुरक्षा परिषद में मूल रूप से 11 सदस्य थे, जिन्हें 1965 में बढ़ाकर 15 कर दिया गया। इनमें 5 स्थायी तथा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं।

  • सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन हैं।
  • UNSC के स्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर होता है। इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्व युद्ध के बाद के शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है।
  • सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है। इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्व युद्ध के बाद के शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है।
  • गौरतलब है कि इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को दो वर्ष के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है।
  • अस्थायी सदस्य देशों को चुनने का उदेश्य UNSC में क्षेत्रीय संतुलन कायम करना है। इस अस्थाई सदस्यता के लिये सदस्य देशों में चुनाव होता है।
  • इसमें पाँच सदस्य एशियाई या अफ्रीकी देशों से, दो दक्षिण अमेरिकी देशों से, एक पूर्वी यूरोप से और दो पश्चिमी यूरोप या अन्य क्षेत्रों से चुने जाते हैं।
  • स्थायी और अस्थायी सदस्य क्रमशः एक माह के लिये परिषद के अध्यक्ष बनाए जाते हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अधिकार व शक्तियां: 

  • सुरक्षा परिषद की पहली बैठक 1946 में हुई।

  • सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है जिसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखना है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सभी सदस्य देश सुरक्षा परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिये बाध्य हैं।
  • इसको कई अधिकार प्राप्त हैं। नए राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता प्रदान करना, महासचिव का चयन आदि।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायधीशों की नियुक्ति आदि ऐसे काम हैं जिनको वह महासभा के साथ मिलकर करती है।
  • सुरक्षा परिषद के निर्णय में 9 सदस्यों सहित पांच स्थाई सदस्यों के स्वीकरोक्ति भी शामिल होनी चाहिए।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शक्तियों में शांति अभियानों का योगदान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करना तथा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के माध्यम से सैन्य कार्रवाई करना शामिल है।
  • यह सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने का अधिकार वाला संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र निकाय है।

  • स्थाई सदस्यों के निर्णय से अगर कोई भी एक स्थाई सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पाॅवर का इस्तेमाल करके उस निर्णय को रोक सकता है।
  • मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार है। वीटो पॉवर का अर्थ होता है ‘निषेधाधिकार’

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग:

  • भारत, जर्मनी, ब्राज़ील और जापान ने मिलकर जी-4 नामक समूह बनाया है। ये देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यता के लिये एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। जी-4 समूह का मानना है कि सुरक्षा परिषद को और अधिक प्रतिनिधित्त्वपूर्ण, न्यायसंगत व प्रभावी बनाने की ज़रूरत है।

  • L-69 समूह भारत, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के क़रीब 42 विकासशील देशों के एक समूह की अगुवाई कर रहा है। L-69 समूह ने UNSC सुधार मोर्चा पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
  • अफ्रीकी समूह में 54 देश शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की वकालत करने वाला दूसरा महत्त्वपूर्ण समूह है। इस समूह की मांग है कि अफ्रीका के कम से कम दो राष्ट्रों को वीटो की शक्तियों के साथ सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाए।

सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी:

  • 130 करोड़ आबादी के साथ भारत, संसार का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
  • यहाँ  विश्व की कुल जनसंख्या का करीब 1/5वाँ हिस्सा निवास करता है।
  • भारत विश्व की उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति है। वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते आर्थिक कद ने भारत के दावों को और मज़बूत किया है। मौजूदा समय में भारत विश्व की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

  • भारत संयुक्त राष्ट्र की सेना में सबसे ज़्यादा सैनिक भेजने वाला देश है।
  •  भारत की विदेश नीति ऐतिहासिक रूप से विश्व शांति को बढ़ावा देने वाली रही है।
  • भारत को अब विश्व व्यापार संगठन, ब्रिक्स और जी-20 जैसे आर्थिक संगठनों में सबसे प्रभावशाली देशों में गिना जाता है।
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Shivesh Pratap

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