100 प्यार इश्क का नशा शायरी
चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय
नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़
यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए
तुम आज साक़ी बने हो तो शहर प्यासा है,
हमारे दौर में ख़ाली कोई गिलास न था।
किसी की आँख में मस्ती तो आज भी है वही
मगर कभी जो हमें था ख़ुमार, जाता रहा
न तुम होश में हो न हम होश में हैं
चलो मय-कदे में वहीं बात होगी
बड़ी लज़्ज़तें हैं गुनाह में जो न कीजिए
जो न पीजिए तो अजब नशा है शराब में
यूँ बिगड़ी बहकी बातों का
कोई शौक़ नही है मुझको,
वो पुरानी शराब के जैसी है
असर सर से उतरता ही नहीं।
| नशा शायरी 2 लाइन्स |
तर्क-ए-मय ही समझ इसे नासेह
इतनी पी है कि पी नहीं जाती
देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार,
जब तक शराब आई कई दौर चल गये।
मय को मेरे सुरूर से हासिल सुरूर था
मैं था नशे में चूर नशा मुझ में चूर था
हम इंतिज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं
पिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं
लोग कहते हैं रात बीत चुकी
मुझ को समझाओ! मैं शराबी हूँ
Nasha Shayari Hindi
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की,
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
भरे मकाँ का भी अपना नशा है क्या जाने
शराब-ख़ाने में रातें गुज़ारने वाला
थोड़ी सी पी शराब थोड़ी सी उछाल दी,
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी।
ख़ुश्क बातों में कहाँ है शैख़ कैफ़-ए-ज़िंदगी
वो तो पी कर ही मिलेगा जो मज़ा पीने में है