नरेन्द्र मोदी के प्रेरक कथन | Narendra Modi Quotes in Hindi

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नरेन्द्र मोदी के प्रेरक कथन
Narendra Modi Quotes in Hindi

नाम: नरेन्द्र दामोदरदास मोदी

जन्म: 17 सितम्बर 1950 वड़नगर, गुजरात, भारत

राष्ट्रीयता: भारतीय 

राजनीतिक दल: भारतीय जनता पार्टी

उपलब्धियाँ: भारत के 14वें प्रधानमन्त्री तथा वाराणसी से सांसद हैं|

जब कोई व्यक्ति यह तय कर ले कि उसे कुछ हासिल करना है, तो उसे कोई भी रोक नहीं सकता। यह लोगों की शक्ति का प्रमाण है। देश का निर्माण सरकार या प्रशासन या कोई नेता नहीं करता है, देश का निर्माण इसके नागरिकों की ताकत से होता है।

जज़्बा होना सबसे जरूरी है… मुझे बहुत ख़ुशी है कि आज सवा सौ करोड़ लोगों के मन में एक उमंग, आशा और संकल्प का भाव है और लोग मुझसे अपेक्षा कर रहे हैं।

चार साल पहले पूरी दुनिया में जब भारत की चर्चा होती थी, तो कहा जाता था, Fragile Five …। आज भारत के Fragile Five की नहीं, भारत के Five Trillion Dollar Economy के लक्ष्य की चर्चा होती है। अब पूरी दुनिया भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती है।

आज भारत दुनिया की तेजी से बढती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हम कृषि से लेकर एरोनोटिक्स तक और अन्तरिक्ष मिशन से लेकर सेवा पहुंचाने तक, उपयोगी तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

समय का सदुपयोग किन किन चीजों में है ये बात हमें पता होनी चाहिए। एक ही टाइम टेबल 365 दिन काम नहीं आता। हमें समय का पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए।

आप खुद के साथ स्पर्धा कीजिए कि मैं जहाँ कल था उससे 2 कदम आगे बढ़ा क्या, अगर आपको ऐसा लगता है तो यही आपकी विजय है। कभी भी दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा मत कीजिए बल्कि खुद के साथ अनुस्पर्धा कीजिये।

आत्मविश्वास खुद को चुनौती देने और कड़ी मेहनत करने से ही आता है। हमें हमेशा अपने आप को बेहतर बनाने के बारे में सोचना चाहिए।

मैं सभी माता-पिता से अनुरोध करता हूँ कि वे अपने बच्चों की उपलब्धियों को सोशल स्टेटस न बनाएं। दूसरों बच्चों से अपने बच्चों की तुलना मत करें। आपके बच्चे के अन्दर जो सामर्थ्य है उसे पहचानिए। अंक और परीक्षा जीवन का आधार नहीं है।

खेल हमारे युवाओं के जीवन का एक अभिन्न अंग बनना चाहिए। खेल व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

अगर व्यक्ति कुछ करने की ठान ले तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है। जन-आन्दोलन के माध्यम से बड़े से बड़े बदलाव लाये जा सकते हैं।

समाज के सभी लोगों को सही मायने में विकास का लाभ मिल सके इसके लिए जरूरी है कि हमारा समाज कुरीतियों से मुक्त हो। आइये हम सब मिलकर कुरीतियों को समाज से ख़त्म करने की प्रतिज्ञा लें और एक New India, एक सशक्त एवं समर्थ भारत का निर्माण करें।

एक बार भारत के लोग कुछ करने की ठान लें तो कुछ भी असम्भव नहीं है।

हमारी राष्ट्रीय भक्ति सभी बाधाओं से परे है। यह हमें भारत और विश्व में सभी भारतीयों की मदद करने के लिए प्रेरित करती है।

जैसे सरदार पटेल में देश का एकीकरण किया था वैसे ही देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाला काम GST के माध्यम से हुआ है। दशकों बाद One Nation- One Tax का सपना साकार हुआ है।

21 वीं सदी में भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए, न्यू इंडिया बनाने के लिए हम सभी को संकल्प लेना होगा। संकल्प साथ मिलकर काम करने का, संकल्प एक-दुसरे को मजबूत करने का।

हमारा प्रयास है कि देश का हर व्यक्ति सशक्त हो। एक समावेशी समाज का निर्माण हो। ‘सम’ और ‘मम’ के भाव से समाज में समरसता बढ़े और सब एकसाथ मिलकर आगे बढ़ें।

मेरी पूंजी है- कठोर परिश्रम और सवा सौ लोगों का प्यार।

युवा आकांक्षाओं से परिपूर्ण भारत एक युवा राष्ट्र है। हमारे युवा, भारत और विश्व के लिए काफी कुछ कर सकते हैं।

डिजिटल इंडिया से पारदर्शिता आएगी, सेवाओं का आदान-प्रदान प्रभावी होगा और सुशासन की दिशा में कदम आगे बढ़ेंगे।

 मैं वर्तमान की चिंता में देश के भविष्य को दाँव पर नहीं लगा सकता। हमारा उद्देश्य है – देश के गरीबों के जीवन में बदलाव आए और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारत में हम एक ऐसा इको-सिस्टम तैयार कर रहे हैं जहाँ भारत के नौजवान ‘रोजगार’ तलाशने वाले (जॉब सीकर) नहीं बल्कि ‘रोजगार बनाने वाले’ (जॉब क्रियेटर) बनें।

जल हो, जमीन हो, जीव हो – उनका संरक्षण हमारा संकल्प होना चाहिए।

मुझे इस बात की भी चिंता सता रही है कि टेक्नोलॉजी दूरियां कम करने के लिए आई लेकिन उसका दुष्परिणाम ये हुआ कि एक ही घर में छः लोग एक ही कमरे में बैठे हैं लेकिन दूरियां इतनी है कि कल्पना नहीं कर सकते।

जिन लोगों ने गरीबों को लुटा है, उन्हें गरीबों का हक़ वापस लौटाना होगा। देश में ‘ईमानदारी’ के युग की शुरुआत हो चुकी है।

सत्याग्रह का उद्देश्य था – स्वतंत्रता और स्वछाग्रह का उद्देश्य है – स्वच्छ भारत का निर्माण।

हम परीक्षा को जीवन-मरण का सवाल बना लेते हैं, जबकि परीक्षा केवल आपके साल भर की पढाई की है। ये आपके जीवन की कसौटी नहीं है।

भारत की शक्ति तीन D में निहित है : 1. डेमोक्रेसी, 2. डेमोग्राफी, 3. डिमांड|

आज हमारा उद्देश्य एक कुशल भारत बनाना है। भारत के युवा विश्वभर के युवाओं के साथ मुकाबला करने में सक्षम होने चाहिए।

मेरा उद्देश्य है- एक ही पीढ़ी में भारत को विकसित देश बनाना।

यदि भ्रष्टाचार और कालेधन की बुराई को पहले ही समाप्त कर दिया गया होता तो मुझे वो फैसला नहीं लेना पड़ता जो मैंने 8 नवम्बर 2016 को लिया।

हम एक ऐसे देश से सम्बन्ध रखते हैं जो केवल अपने हितों के बारे में सोचता है। हम एक स्वार्थी देश नहीं है। हम भविष्य की पीढ़ियों के बारे में सोचते हैं।

अब अटकाने, लटकाने और भटकाने वाला काम नहीं होता, अब फाइलों को दबाने वाली संस्कृति खत्म कर दी गयी है। सरकार अपने हर मिशन, हर संकल्प को जनता के सहयोग से पूरा कर रही है।

भारत आँख झुकाकर या आँख उठाकर नहीं बल्कि आँख मिलाकर बात करने में विश्वास करता है।

तब और अब” में जमीन आसमान का अंतर क्योंकि जब नीति स्पष्ट हो, नीयत साफ़ हो और इरादे नेक हों तो उसी व्यवस्था के साथ आप इच्छित परिणाम ले सकते हैं।

“आयुष्मान भारत” की सोच सिर्फ सेवा तक सीमित नहीं है बल्कि ये जनभागीदारी का एक आव्हान भी है ताकि हम स्वस्थ, समर्थ और संतुष्ट न्यू इंडिया का निर्माण कर सकें।

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

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