वच (बच) का पौधा, उपयोग एवं फायदे | वच (बच) के आयुर्वेदिक गुण

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वच (बच) का पौधा, उपयोग एवं फायदे 
वच (बच) के आयुर्वेदिक गुण

वच का लैटिन नाम: एकोरस कैलामस (Acorus calamus)

संस्कृत नाम: वाचा, गोलोमी

अंग्रेजी नाम: Sweet flag

वनस्पति का प्रकार: शाकीय

वच का प्रकार: 1.घोड़ा बच 2. बाल बच

 

वच (बच) के आयुर्वेदिक गुण:

यह तेज गंध वाली ,कड़वी , गरम ,विरेचक ,अफरा, शोध ,कफ, वातज्वर पेट की गर्मी और शूल को दूर करने वाली तथा वाक शक्ति बढ़ाने वाली है|

बच का इस्तेमाल आयुर्वेद में अपस्मार , उन्माद , कृमि , स्मरण शक्ति आदि रोगों में किया जाता है |

वच (बच) के रासायनिक संगठन:

इसकी जड़ में असारिल , एर्डीहाईड , एकोरिन , केफीन , केलामाइन आदि तत्व पाए जाते है |

इसमें स्टार्च , गौंद और एक प्रकार का कैसला द्रव्य होता है |

वच (बच) का पौधा:

वच (बच) की उत्पत्ति भारत में कश्मीर, मणिपुर, कर्नाटक और उत्तर–पूर्व हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है।

यह पौधा चिकनी मिट्टी से नदी तटों के हल्की कछरी मिट्टी में बढता है ।

वच का पौधा गुल्म जातीय 3से 5 फुट तक उच्चा होता हे । इसके पते लम्बे , पतले ईंख के पते के समान होते है।

इसकी पत्तियों से नींबू की तरह सुगंध आती है|

फूल 3 से 8 से.मी. लंबे आकार में बेलनाकार हरे-भूरे रंग के और चारों से वाली से ढ़के हुये होते है।

फल छोटे और बेर की तरह गोल आकार के होते है।

इसकी जड़ की शाखाये चारो तरफ फैली होती है और जड़ों से मधुर मीठी गंध आती है।

वच (बच) के उपयोग एवं फायदे:

सिरदर्द में उपयोग एवं फायदे:

बच की जड़ को पानी में घिसकर लेप बना ले | लेप को माथे पर लगाने से सिर दर्द बंद हो जाता है|

मुंहासे में उपयोग एवं फायदे:

इसकी जङोँ मेँ ग्लूकोसाइड, एकोरिन, कैलेमिन, टैनिन, स्टार्च, विटामिन-सी, वसा अम्ल, चीनी और कैल्शियम ऑक्सेलेट होते हैँ। इसका तेल सौँदर्य प्रसाधन, इत्र उद्योग और कीटनाशकोँ मेँ भी प्रयोग होता है।

स्मरणशक्ति को बढाये:

आधा चम्मच रोज बच का चूर्ण घी में मिलाकर सुबह और रात को सोते समय चाट कर उसके ऊपर मीठा दूध पीने से स्मरण शक्ति तेज होती है|

मिर्गी में उपयोग एवं फायदे:

बच का महीन चूर्ण बना ले और इसे कपड़छान करके 1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह – शाम चाटने से उन्माद और मिर्गी जैसे रोग का नाश होता है |

खांसी में उपयोग एवं फायदे:

25 ग्राम वच को मोटा कूटकर एक गिलास पानी में डालकर खूब अच्छी तरह उबाले| उबाले के बाद ठंडा करले | इस पानी को छान कर दिन में 3 से 4 बार 20 ml की मात्रा में इस्तेमाल करने से सुखी खांसी ठीक हो जाती है |

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

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