बबूल (कीकर) के फायदे एवं उपयोग | Acacia (Babul) Benefits & Uses in Hindi

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बबूल (कीकर) के फायदे एवं उपयोग
Acacia (Babul) Benefits & Uses in Hindi

बबूल (कीकर) का वानस्पतिक नाम: आकास्या नीलोतिका

संस्कृत नाम: दीर्घकंटका,बबूल, बर्बर

हिंदी नाम: बबूर, कीकर

बबूल (कीकर) के प्रयोज्य अंग: इसके फूल , पत्ते , छाल , कली , लकड़ी तथा गोंद सभी का प्रयोग दवा के रूप में किया जाता है |

बबूल (कीकर) का परिचय:

यह भारत में पाया जाने वाला एक कांटेदार वृक्ष होता है |

बबूल (कीकर) के पेड़ घने एवं बड़े होते है एवं इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है|

इसके पत्ते आवले के पत्ते की अपेक्षा बहुत छोटे एवं घने होते है बबूल की छाल मोटी एवं खुरदुरी होती है |

बबूल (कीकर) के फूल पीले एवं कम सुगंध वाले होते है बबूल की फलिया जो की लगभग 7 से 8 इंच लंम्बी होती है एवं इनकी आकृति चपटी होती है।

भारत में बबूल की हरी पतली टहनियां गाँवो में दन्त मंजन का एक बेहतरीन विकल्प है |

बबूल (कीकर) के फायदे एवं उपयोग:

घुटने के दर्द में लाभ:

बबूल की फली को धूप में सुखाकर पाउडर बना लें एवं सुबह 1 चम्मच की मात्रा मे गुनगुने पानी से खाने के एक घंटे के बाद खाये|

2-3 महीने लगातार सेवन करने से आपके घुटने का दर्द बिल्कुल सही हो सकता है|

नेत्र रोग में लाभ:

बबूल के पत्ते पीसकर टिकिया के रूप में आँखों पर रखने से कुछ समय बाद आराम आ जाता है|

दांतों की समस्या:

बबूल की फली के छिलके की राख बना ले और उसमें नमक मिला कर मंजन करे सभी प्रकार के दांत के दर्द दूर हो जायेंगे |

दांतों में कीड़े लग गए हो तो बबूल छाल के काढ़े से दिन में 4 बार कुल्ला करे |

सुखी खाँसी में लाभ:

बबूल का गोंद व शक्कर समभाग लेकर पीस ले | छोटे बेर के समान गोली बनाकर एक गोली चूसने से खाँसी में शीघ्र लाभ होता है|

बबूल के गौंद के छोटे से टुकड़े को मुंह में लेकर चूसने से खांसी की समस्या में लाभ मिलता है|

मुंह के छालों के लिए:

 बबूल की छाल को सुखा कर सका चूर्ण बना ले और  छालो वाली जगह पर लगावे जल्दी  ही छाले ठीक हो जायेंगे |
पौरुष शक्ति के लिए:
 बबूल (कीकर) के 100 ग्राम गौंद को भून ले और इसमें 500 ग्राम की मात्रा में अश्वगंधा मिलाले |
सुबह – शाम 5 ग्राम की मात्रा में 15 दिन तक सेवन करे | शीघ्रपतन , वीर्य की कमी और धातु दुर्बलता में लाभ  मिलता है |

 

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Shivesh Pratap

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