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मित्रता पर संस्कृत श्लोक | Friendship Day Quotes in Sanskrit

भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही मित्रता का महत्व रहा है। हमारे जीवन में माता- पिता और गुरू के बाद मित्र को स्थान दिया गया है। आज कल इस सम्बन्ध हेतु लोग मित्रता दिवस (Friendship Day) भी मनाते हैं। जब भी मित्रता की बात होती है तो लोग द्वापर युग वाली कृष्ण सुदामा मित्रता की मिसाल देना नहीं भूलते।

इसी क्रम में यहाँ मित्रता पर संस्कृत श्लोक (Friendship Day Quotes in Sanskrit) दिया जा रहा है जिसे आप पढ़ कर मित्र के लक्षण, उनके महत्त्व को समझ पाएंगे।

 

जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं !
मानोन्नतिं दिशति पापमपा करोति !!

अच्छे मित्रों का साथ बुद्धि की जटिलता को हर लेता है, हमारी बोली सच बोलने लगती है, इससे मान और उन्नति बढती है और पाप मिट जाते है|

 

चन्दनं शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः !
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः !!

इस दुनिया में चन्दन को सबसे अधिक शीतल माना जाता है पर चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल होती है लेकिन एक अच्छे मित्र चन्द्रमा और चन्दन दोनों से शीतल होते है|

वनानी दहतो वन्हे: सखा भवति मारुतः!
स एव दीपनाशाय कृशे कस्यास्ति सौहृदम !!

जब जंगल में आग लग जाती है तो हवा उसका मित्र बन जाता है, और आग को फ़ैलाने में उसकी मदद करता है, लेकिन वही हवा एक छोटी से चिंगारी को पलक झपकते हुए बुझा देती है। इसलिए कमजोर व्यक्ति का कोई मित्र नहीं होता है।

कश्चित् कस्यचिन्मित्रं, न कश्चित् कस्यचित् रिपु:।
अर्थतस्तु निबध्यन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा ॥

न कोई किसी का मित्र है और न ही शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं ।

मित्रता पर श्लोक

जानीयात्प्रेषणेभृत्यान् बान्धवान्व्यसनाऽऽगमे।
मित्रं याऽऽपत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये ॥

किसी महत्वपूर्ण कार्य पर भेज़ते समय सेवक की पहचान होती है । दुःख के समय में बन्धु-बान्धवों की, विपत्ति के समय मित्र की तथा धन नष्ट हो जाने पर पत्नी की परीक्षा होती है ।

ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः सः पिता यस्तु पोषकः।
तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या या निवृतिः ॥

पुत्र वही है, जो पिता का भक्त है । पिता वही है,जो पोषक है, मित्र वही है, जो विश्वासपात्र हो । पत्नी वही है, जो हृदय को आनन्दित करे ।

न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।
कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ॥

कुमित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए और मित्र पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए । कभी कुपित होने पर मित्र भी आपकी गुप्त बातें सबको बता सकता हैं ।

परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥

पीठ पीछे काम बिगाड़नेवाले था सामने प्रिय बोलने वाले ऐसे मित्र को मुंह पर दूध रखे हुए विष के घड़े के समान त्याग देना चाहिए।

विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गॄहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मॄतस्य च॥
प्रवास (घर से दूर निवास) में विद्या मित्र होती है, घर में पत्नी मित्र होती है, रोग में औषधि मित्र होती है और मृतक का मित्र धर्म होता है

Knowledge is a friend during travel. Wife is a friend in home. Medicines are the friends during illness and our good deeds (Dharma) are friends after death!

 

Shlokas for Friendship with Hindi Meaning

व्यसने मित्रपरीक्षा शूरपरीक्षा रणाङ्गणे भवति |
विनये भॄत्यपरीक्षा दानपरीक्षाच दुर्भिक्षे ||

मित्र की परीक्षा बुरे वक़्त में होती है। योद्धा की परीक्षा युद्ध के मैदान में होती है। एक सेवक की परीक्षा उसके अपने मालिक के साथ अच्छे व्यव्हार से होती है। दानी की परीक्षा दुर्भिक्ष यानि सूखे के दौरान होती है।

Friendship of a friend is tested in our bad times, the warrior’s heroism is tested in a war, a servant’s test lies in his good attitude towards the owner and a donor’s test is at the time of drought.

The point explained here is that the person who donates wealth/food even at the time of a drought, i.e. at the times when the food is a scarcity, is a real donor. If we do not live up to our expectations at the tough times then there is no use of what we stand for.

महाजनस्य संसर्ग: कस्य नोन्नतिकारक: |
पद्मपत्रस्थितं तोयं धत्ते मुक्ताफलश्रियम् ||

अच्छे लोगों का साथ किसके लिए उन्नतिकारक नहीं है ? जल की बूँद कमल पर पड़ने पर उसे भी मोती की शोभा प्राप्त होती है।

Company of great person is always beneficial. (see how) drop of water on lotus leaf appears like a pearl. (i.e.. it gains status similar to pearl) Hear Subhashitkar explains how useful it is to be with great persons.

माता मित्रं पिता चेति स्वभावात् त्रतयं हितम् |
कार्यकारणतश्चान्ये भवन्ति हितबुद्धय: ||

माता पिता और मित्र हमारे कल्याण के विषय में निःस्वार्थ भाव से सोचते हैं इनके अलावा सभी अपने स्वार्थ से ऐसी भावना रखते हैं।

Mother, father and friend are the one who think about our interests (well-being) in a very much natural manner. [It’s part of their nature (‘swaBAv’).They think this without expecting any thing in return.] All others having the similar feelings towards us do so due to their personal benefits or any other reason [It is not part of their nature (‘swaBAv’)].

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

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