संस्कृत श्लोक का संग्रह हिंदी अर्थ सहित | Collection of Sanskrit Shlokas on Various Topics

संस्कृत के श्लोक भारतीय संस्कृति का विश्व को सबसे बड़ा उपहार है| इस वेबसाइट पर जीवन से सम्बंधित कई विषयों कर संस्कृत में श्लोकों का हिंदी अर्थ सहित एक सुन्दर संकलन तैयार किया गया है।

कोई भी श्लोकों तथा संस्कृत को पढ़ने वाले या विद्यार्थी विशेष रूप से इन श्लोकों को याद कर सकते हैं और उन्हें अपने जीवन में उतार कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे | yasya krityam na jananti mantram va mantritam pare

गोपनीयता के महत्व पर श्लोक यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे | कृतमेवास्य जानन्ति स वै पण्डित उच्यते…

2 years ago

क्षिप्रं विजानाति चिरं शृणोति विज्ञाय चार्थं भजते न कामात | kshipram vijanati chiram shrinoti vijnaya chartham bhajate na kamata

एक विद्वान व्यक्ति के लक्षण पर श्लोक क्षिप्रं विजानाति चिरं शृणोति विज्ञाय चार्थं भजते न कामात | ना संपृष्टो व्युपयुङ्क्ते…

2 years ago

अमित्रं कुरुते मित्रं मित्रं द्वेष्टि हिनस्ति च | amitram kurute mitram mitram dveshti hinasti cha

मूर्खों की मित्रता के लक्षण पर श्लोक अमित्रं कुरुते मित्रं मित्रं द्वेष्टि हिनस्ति च | कर्म चारभते दुष्टं तमाहुर्मूढचेतसम् ||…

2 years ago

अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते | anahutah pravishati aprishto bahu bhashate

मूर्ख और दुष्ट प्रकृति के व्यक्ति पर श्लोक अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते | अविश्वस्ते विश्वसति मूढचेता नराधमः || -…

2 years ago

ईर्ष्यी घृणि न संतुष्टः क्रोधिनो नित्यशङ्कितः | irshyi ghrini na santushtah krodhino nityashankitah

दुःखी व्यक्ति पर श्लोक ईर्ष्यी घृणि न संतुष्टः क्रोधिनो नित्यशङ्कितः | परभाग्योपजीवी च षडेते नित्य दुःखिता || - विदुर नीति…

2 years ago

सोSस्य दोषो न मन्तव्यः क्षमा हि परमं बलं | soSsya dosho na mantavyah kshama hi paramam balam

क्षमा करने की परम शक्ति पर श्लोक सोSस्य दोषो न मन्तव्यः क्षमा हि परमं बलं | क्षमा गुणो अशक्तानां शक्तानां…

2 years ago

अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च | arthagamo nityamarogita cha priya cha bharya priyavadini cha

सुख पर श्लोक अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च | वश्यस्य पुत्रोsर्थकरी च विद्या षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन्…

2 years ago

चत्वारि ते तात गृहे वसन्तु श्रियाभिजुष्टस्य गृहस्थधर्मे | chatvari te tata grihe vasantu shriyabhijushtasya grihasthadharme

गृहस्थ का कर्तव्य एवं शरण पर श्लोक चत्वारि ते तात गृहे वसन्तु श्रियाभिजुष्टस्य गृहस्थधर्मे | वृद्धो ज्ञातिरवसन्नः कुलीनः सखा दरिद्रो…

2 years ago

पञ्चाग्नयो मनुष्येण परिचर्याः प्रयत्नतः | panchagnayo manushyena paricharyah prayatnatah

पिता, माता, अग्नि , आत्मा तथा गुरु पर श्लोक  ***** पञ्चाग्नयो मनुष्येण परिचर्याः प्रयत्नतः | पितामाताग्निरात्मा च गुरुश्च भरतर्षभः ||…

2 years ago