रेप की घटनाओं के विरुद्ध कविता !!! Poem on Nirbhaya Kand 2012 Memories
देहली के ह्रदय पर जो कालिमा सी छा गई;
इन महिषासुरों के पाप से मनुजता भी थर्रा गई,
बिखरे पड़े थे सरस्वती के भग्न वीणा तार;
टूटे हुए दुर्गा भवानी के सभी हथियार,
मातृ पूजक देश में ये हाल होता देखकर,
उन्मुक्त होकर हंस रहा बेशर्म अत्याचर;
सीता सुरक्षित रह गई थी रावणों के देश में |
लो आज सीता लुट गई है राम के ही देश मे ||
प्रखर अभिव्यक्ति , shivesh proud on you
Thanks!!!