डिजिटल साक्षरता का आशय उन तमाम तरह के साक्षरता से है, जो इंटरनेट का प्रयोग करने और डिजिटल संसार के अनुकूल बनने के लिये किसी व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं। चूँकि मोबाइल तकनीकि के कारण इंटरनेट की सुगमता और बढ़ता प्रभाव, प्रिंट माध्यम का दायरा धीरे-धीरे कम करता जा रहा है और ऑनलाइन उपलब्ध जानकारियों का दायरा व्यापक होता जा रहा है इसलिये ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी को समझने के लिये डिजिटल साक्षरता आवश्यक है।
#डिजिटल साक्षरता के महत्त्व को देखते हुए ही भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आने वाले निजता के अधिकार और शिक्षा के अधिकार का एक हिस्सा बनाते हुए इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया है।
यह विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण broadband सम्पर्क का कार्यक्रम है। यह शत-प्रतिशत Make in India के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है अर्थात् इसमें कोई विदेशी कंपनी का सहयोग नहीं लिया जा रहा है है। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को पंचायत स्तर तक पहुँचा देना है।
सरकार ने इस नेटवर्क को दूरसंचार सेवा के लिए उपलब्ध कराया है और ग्रामीण क्षेत्रों में आवाज, डेटा और वीडियो के संचरण के लिए एक राजमार्ग के रूप में नेटवर्क की परिकल्पना की है। इस परियोजना का उद्देश्य राज्यों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करके ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में नागरिकों और संस्थानों को सस्ती ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करना है।
राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन का मुख्य उद्देश्य पूरे राज्यों /संघ शासित प्रदेशों के, ग्रामीण क्षेत्रों में छः करोड़ लोगों को डिजिटल साक्षर बनाना है, प्रत्येक पात्र परिवार के एक सदस्य को कवर करने के द्वारा लगभग 40% ग्रामीण परिवारों तक पहुंचना है।
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों को कम्प्यूटर चलाने या डिजिटल एक्सेस डिवाइसें (जैसे टैबलेट, स्मार्ट फोन आदि), ई-मेल भेजना और प्राप्त करना, इंटरनेट ब्राउज़ करना, सरकारी सेवाओं का उपयोग करना, सूचना के लिए खोज करना, डिजिटल भुगतान शुरू करना , आदि और इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी और संबंधित अनुप्रयोगों विशेषकर डिजिटल भुगतान राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाता है ।
इस प्रकार इस योजना का उद्देश्य डिजिटल विभाजन को जोड़ने के लिए है, विशेषकर ग्रामीण आबादी लक्ष्य करते हुए, जिसमें अनुसूचित जाति (अजा) /अनुसूचित जनजाति (एसटी), गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल), महिलाएं, निःशक्तजनों और अल्पसंख्यकों जैसे समाज के हाशिये वाले वर्ग शामिल हैं।
आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 तक भारत में अनुमानतः 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्त्ता मौजूद होंगे, जो कि काफी बड़ी संख्या है।
उल्लेखनीय है कि भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन बाज़ार है, जहाँ लगभग 460 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्त्ता मौजूद हैं।
डिजिटल प्लेटफार्म देश के सभी लोगों को सरकार से संवाद हेतु एक व्यापक और पारदर्शी मंच देता है।
डिजिटल साक्षरता से आर्थिक क्रांति को भी बल मिलेगा।
डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने व डिजिटल डिवाइड को दूर करने के लिये इंटरनेट का उपयोग और डिजिटल साक्षरता एक-दूसरे पर परस्पर सहयोगी सिद्ध होगा।
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