नेल्सन मंडेला ने कहा था की दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा सबसे बड़ा औजार है | शिक्षा से मनुष्य में समझ आती है एक शिक्षित मनुष्य सही तथा गलत पक्षों का निर्णय बहुत ही अधिक प्रभावपूर्ण तरीके से कर पाता है । शिक्षा का अधिकार हमारे मानव अधिकार में से एक है हर किसी को अपने जीवन में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार जन्म से ही मिला होता है और यह अधिकार महिला एवं पुरुष दोनों के लिए समान है ।
वर्तमान समय में नारी हर क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है एवं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है इससे यह बात पूर्णता साबित होती है कि महिलाएं पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं होती है बल्कि एक नारी ना केवल कार्यक्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है और साथ-साथ गृह कार्य में भी निपुणता से अपना कार्य करती है एक महिला ना केवल परिवार को संभालती है बल्कि वह देश की तरक्की के लिए भी कार्य क्षेत्र में अपना पूर्ण योगदान देती है।
आज भी विकासशील और विकसित देशों में भी महिलाओं को पुरुषों से कम समझा जाता है और उन्हें कई क्षेत्रों में पुरुषों से नीचा दिखाया जाता है जो वाकई में बहुत बड़ी समस्या है। लगातार बढ़ते महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कारों एवं ऐसी कई समस्याओं के बीच आज आवश्यक है कि हम नारी शिक्षा को और अधिक बढ़ावा दें। अगर हम इन समस्याओं को दूर करना चाहते हैं सबसे पहले हमें नारी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।
अगर नारी शिक्षित होगी तो वह अपने अधिकार को और अच्छे से उपयोग कर सकेगी। वह न केवल स्वयं के अधिकार जाने की बल्कि अपने परिवार घर एवं बच्चों को भी उनके अधिकार समझ आएगी । एक मां से अच्छा शिक्षक इस पूरी दुनिया में कोई नहीं है, मां को संसार में बच्चे का सबसे पहला शिक्षक कहा जाता है। जो उसे सही गलत का मार्ग समझ आती है इसलिए आवश्यक है कि महिलाएं नारी शिक्षित हो ताकि वे आने वाली पीढ़ी को भी शिक्षित कर सके एक शिक्षित महिला अपने परिवार को अपने बच्चों को यह समझा पाएगी कि समाज में नारी को कितना सम्मान देना चाहिए और उसे किसी से कम नहीं समझना चाहिए जो आज अत्यधिक आवश्यक है ।
“जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं। लेकिन आप एक स्त्री को शिक्षित करते हैं, आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं।“
वैसे तो सभी के लिए शिक्षा का सामान रुप से महत्व है, लेकिन महिला शिक्षा, कई मायनों में बेहद महत्व रखती हैं :
शिक्षा से ही आज महिलाओं को स्थिति मजबूत हुई है, जिससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है।
आज राज्य सरकारें महिला सशक्तिकरण पर बल दे रहीं हैं। प्राथमिक विद्यालय हों या माध्यमिक,बालिका शिक्षा के आंकड़ों को बढ़ाना सरकार अपनी नैतिक जिम्मेदारी मान रही है। यह प्रयास सराहनीय है किन्तु गावों में बसने वाले लोगों की मानसिकता को बदलना एक भारी चुनौती भी है ।
बालिका शिक्षा को लेकर उनके मन में कई संशय हैं जैसे उनकी सुरक्षा, उनकी अपनी आमदनी और सबसे महत्वपूर्ण के बलिका को शिक्षा की क्या जरुरत? इससे वह अपने मन की करेगी और शिक्षा उसके विवाह में भी बाधक बनेगी, जबकि सरकार ने माध्यमिक शिक्षा तक को बालक – बालिकाओं के लिए निःशुल्क रखा है।
एक शिक्षित महिला अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले खुद करने में सक्षम होती हैं, अर्थात एक शिक्षित महिला किसी भी तरह से पुरुषों पर निर्भर नहीं रहती हैं और अपने जिंदगी से जुड़े अहम फैसले खुद करती है।
अरस्तु ने कहा था के “परिवार बच्चे की प्रथम पाठशाला होता है”।
यह तो सत्य है किन्तु अगर महिला शिक्षित न हो तो वह बच्चे को शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं कर सकेगी।परन्तु अगर वही महिला साक्षर है तो वह बच्चे के सर्वांगीड़ विकास में बहुत बड़ी सहायक होगी । महिला के शिक्षित होने से आशय यह नहीं के उसे नौकरी पेशा होना ही है किन्तु अगर वह शिक्षित है तो वह अपने बच्चे के भविष्य को बेहतर बना सकेगी साथ ही साथ वह उसके पठान-पठान में सहयोग व मार्गदर्शन भी करेगी ।
आज के समय में नारी का शिक्षित होना अतिआवश्यक है। अगर महिला शिक्षित है तो वह जीवन को चलाने के लिए किसी पर भी आश्रित नहीं होगी। पुरुष अगर महिला को छोड़ देता है या उसका देहांत हो जाता है या वह तलाक दे देता है ऐसी परिस्थिति में भी नारी को जीवनोपार्जन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। समाज में उसे दयनीय या हीन नहीं समझा जायेगा ।
महिलाओं के नौकरी पेशा होने से घर खर्च में भी वह हाथ बटाती हैं यही कारन है के आज के युवा नौकरी पेशा पत्नी ही चाहते हैं ।दोनों के काम करने से वह बच्चे को अच्छी शिक्षा दे पाते हैं,अपनी ख्वाहिशों को भी साथ मिलकर पूरा कर पाते हैं, और अपना जीवन सुख से गुजारते हैं । वरना कुछ समय पहले तक सिर्फ पुरुष के कंधे पर घर का खर्च होता था जिससे आर्थिक कलह,घरेलु हिंसा,और तलाक जैसे वाकये सामने आते थे।
आज हमारे भारत देश मे शिक्षा का काफी प्रचार-प्रसार हो गया है। नवीनतम आंकड़ो के अनुसार भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या का करीब 73 प्रतिशत भाग शिक्षित है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 45 में ये प्रावधान है, कि 14 वर्ष तक कि आयु के बच्चो को मुफ्त शिक्षा देना राज्य का कर्तव्य है।
भारत मे महिलाओ का 64.6 प्रतिशत भाग शिक्षित है। इस प्रतिशत में शहरी महिलाओं की संख्या अधिक है। स्वतंत्रता के उपरांत हमारे देश मे शिक्षा का व्यापक प्रचार हुआ है। केरल, गुजरात, पंजाब, मिजोरम, दिल्ली, महाराष्ट्र, आदि राज्यो में शिक्षा का प्रतिशत बढ़ा है। केरल देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां के कोट्टायम–एनारकुलम जैसे जिलों में शत–प्रतिशत शिक्षित निवासी रहते है।
आज देश की महिलाएं जमीन से लेकर आसमान तक अपनी छाप छोड़ रहीं हैं। निर्मला सीतारमण, बाला देवी, लेट.जनरल माधुरी कानितकर, रौशनी नादर मल्होत्रा, किरण मजूमदार शॉ आदि सभी महिलाओं ने यह साबित कर दिखाया है के महिला सिर्फ घर के लिए नहीं बनी,वह अपनी काबिलियत से सबको पीछे छोड़ सकती है। और इन महिलाओं को देखकर अंदर से बस यही आवाज़ आती है के “अगर देखना है तुम्हें मेरी उड़ान तो थोड़ा और ऊँचा उठा दो आसमान “
आवश्यकता यह है कि हम सब अपने अंतर्मन से इस बात को समझे की महिलाओं का भी इस समाज में पुरुषों के समान स्थान है। हम कहीं भी अपने मन में यह भेदभाव की भावना ना रखें और सब जगह पर महिलाओं को एवं पुरुषों को समान रूप से देखते हुए अवसर प्रदान करें क्योंकि अवसर प्राप्त करने का हक सभी को है क्यूंकि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया।
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