क्षत्रियों के धर्म-संस्कृति-मातृभूमि के लिए मर-मिटने की गाथा है “बाहुबली”

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फ़िल्मजगत के इतिहास में अबतक की सबसे बड़ी मेगा ब्लॉक बस्टर जिसका एक ही भाग प्रकाशित हुआ है और 5 दिनों में कलेक्शन 200 करोड़ के पार हो गया …

इस फिल्म में क्षत्रियों के इतिहास की, परंपरा की, मातृभूमि और धर्म रक्षा की, युद्ध में मर-मिटने की, राज्य के लोगो के रक्षा की, और अबतक क्षत्रियो द्वारा दी हुई वलिदानी गाथा का वर्णन है ।

बाहूबली फिल्म मे जिस महिष्मति रियासत की बात हुई है उस पर हैहय वंश के क्षत्रियों का राज था-!! चेदि जनपद की राजधानी ‘माहिष्मति’, जो नर्मदा के तट पर स्थित थी, इसका अभिज्ञान ज़िला इंदौर, मध्य प्रदेश में स्थित ‘महेश्वर’ नामक स्थान से किया गया है, जो पश्चिम रेलवे के अजमेर-खंडवा मार्ग पर बड़वाहा स्टेशन से 35 मील दूर है।

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Present Maheshwar Fort Built by Ahilya Bai Holkar

महाभारत के समय यहाँ राजा नील का राज्य था, जिसे सहदेव ने युद्ध में परास्त किया था

‘ततो रत्नान्युपादाय पुरीं  माहिष्मतीं ययौ। 
तत्र नीलेन राज्ञा स चक्रे  युद्धं नरर्षभ:।’

राजा नील महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ता हुआ मारा गया था। बौद्ध साहित्य में माहिष्मति को दक्षिण अवंति जनपद का मुख्य नगर बताया गया है। बुद्ध काल में यह नगरी समृद्धिशाली थी तथा व्यापारिक केंद्र के रूप में विख्यात थी। तत्पश्चात उज्जयिनी की प्रतिष्ठा बढ़ने के साथ-साथ इस नगरी का गौरव कम होता गया। फिर भी गुप्त काल में 5वीं शती तक माहिष्मति का बराबर उल्लेख मिलता है।

कालिदास ने ‘रघुवंश’ में इंदुमती के स्वयंवर के प्रसंग में नर्मदा तट पर स्थित माहिष्मति का वर्णन किया है और यहाँ के राजा का नाम ‘प्रतीप’ बताया है-

‘अस्यांकलक्ष्मीभवदीर्घबाहो

माहिष्मतीवप्रनितंबकांचीम् 
प्रासाद-जालैर्जलवेणि रम्यां  

रेवा यदि प्रेक्षितुमस्ति काम:।’

इस उल्लेख में माहिष्मती नगरी के परकोटे के नीचे कांची या मेखला की भाति सुशोभित नर्मदा का सुंदर वर्णन है। कालिदास का उल्लेख माहिष्मति नरेश को कालिदास ने अनूपराज भी कहा है । जिससे ज्ञात होता है कि कालिदास के समय में माहिष्मति का प्रदेश नर्मदा नदीके तट के निकट होने के कारण अनूप कहलाता था। पौराणिक कथाओं में माहिष्मति को हैहय वंशीय कार्तवीर्य अर्जुन अथवा सहस्त्रबाहु की राजधानी बताया गया है। किंवदंती है कि इसने अपनी सहस्त्र भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया था।
 महेश्वर में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने नर्मदा के उत्तरी तट पर अनेक घाट बनवाए थे, जो आज भी वर्तमान हैं। यह धर्मप्राणरानी 1767 के पश्चात इंदौर छोड़कर प्राय: इसी पवित्र स्थल पर रहने लगी थीं। नर्मदा के तट पर अहिल्याबाई तथा होल्कर वंश के नरेशों की कई छतरियां बनी हैं। ये वास्तुकला की दृष्टि से प्राचीन हिन्दू मंदिरों के स्थापत्य की अनुकृति हैं। भूतपूर्व इंदौर रियासत की आद्य राजधानी यहीं थी।

एक पौराणिक अनुश्रुति में कहा गया है कि माहिष्मति का बसाने वाला ‘महिष्मानस’ नामक चंद्रवंशी नरेश था। सहस्त्रबाहु इन्हीं के वंश में हुआ था। महेश्वरी नामक नदी जो माहिष्मति अथवा महिष्मान के नाम पर प्रसिद्ध है, महेश्वर से कुछ ही दूर पर नर्मदा में मिलती है। हरिवंश पुराण की टीका में नीलकंठ ने माहिष्मति की स्थिति विंध्य और ऋक्ष पर्वतों के बीच में विंध्य के उत्तर में और ऋक्ष के दक्षिण में बताई है।

राजपूताना की सच्चाई को व्यक्त करती सबसे बहतरीन फिल्मो मे से एक फिल्म है बाहुबली जिस फिल्म मे क्षत्रियो की वीरता ,युद्ध की रणनीती , और मातृभूमि के लिए मर मिट जाने वाला शौर्य दिखाया गया है , जो हम इतिहास की किताबो मे पढते आए वो ही इस फिल्म मे दर्शाया है

25 हजार क्षत्रिय 1लाख विदेशी हूणो से लडते दिखाए गए है उनके ऱण कौशल , युद्धनीती देखते ही बनती है जिसमे हालिवुड की 300 फिल्म भी फेल है ।

ये एक मात्र मूवी है हमारे देश की जिसने सिर्फ एक ही दिन मे ५० करोड से ज्यादा की कमाई की है ।

सभी हिंदू मित्रों, कृपया इस फ़िल्म को जरूर देखे क्यो की इस फिल्म को देखकर अपने पूर्वजो के बलिदान और उनकी राष्ट्रभक्ति मातृभूमि के लिए मर मिट जाना दिखाया है जिसे देखकर ही गर्व हो जाता है |

आप सभी लोगो से नम्र निवेदन हे की इतिहास और हिंदू क्षत्रियों की गाथा पे बनी इस फ़िल्म को एकबार अवश्य देखे । फ़िल्म को देखकर आपको भी अवश्य अपने धर्म-संस्कृति-मातृभूमि के लिए प्रेम-जूनून-स्वमान पैदा होगा ।

क्षत्रियों के धर्म-संस्कृति-मातृभूमि के लिए मर-मिटने की गाथा है “बाहुबली”

॥ जयतु हिंदु राष्ट्रम् ॥

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Shivesh Pratap

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