आज के समय में भी नारी का शोषण हो रहा है,चाहे कितना भी सभ्य समाज क्यों न हो …..
आत्मा से महसूस करें तो कथित सभ्य समाज में नारी को अधिक भोग्य बस्तु मान लिया गया है ……..इसमें हमारा समाज तो जिम्मेदार है …….परन्तु उनसे भी ज्यादा जिम्मेदार वो नारी शक्ति भी है जो खुद को भोग्य वस्तु की तरह परोस रही है ……….
कोई फिल्म हिट करनी हुई तो स्वयं को परोस दिया …..मल्लिका और विपासा के रूप में
ऑफिस में प्रोमोसन चाहिए तो भी परोस दिया …………………..
कोई फिल्म हिट करनी हुई तो स्वयं को परोस दिया …..मल्लिका और विपासा के रूप में
ऑफिस में प्रोमोसन चाहिए तो भी परोस दिया …………………..
राजनीति फिल्म की तरह सीतापुर से टिकेट चाहिए तो भी परोस दिया स्वयं को ……….
माडल बनना हुआ तो परोस दिया …………
बस परोस दिया खुद को गिद्धों के सामने ………………
आज के समाज में खुद को भोग्या की तरह परोस कर जो प्रगति की रफ़्तार तय की जा रही है
ये कुछ दूषित नारी शक्ति कर रही है….अपने स्वार्थ में ….परन्तु खामियाजा समस्त नारी समाज चुका रहा है ……..
नारी यदि विचारों के ताकत के साथ अपने को हर कीमत पर परोसने से मना कर दे …..
बदन दिखाऊ कपड़ों की जगह शालीन कपड़ों को समाज की पहचान बना ले तो मुझे लगता है की वासना लिप्त पुरुष समाज खिसिया जाएगा और स्वतः अपनी औकात पर आ जायेगा …….जैसे मटर का सीजन ख़तम होने पर स्वतः ही हमारी इच्छा भी ख़तम हो जाती है उसे खाने की,उसी तरह नारी का ये सुधारवादी प्रयास ऐसे भोगियों की इच्छा को भी ख़त्म कर देगी |
बहुत सटीक रूप में कहूँ तो नारी शक्ति के इस अनैतिक कर्मों की वजह से कुछ लोग लड़कियों को बेटियों के रूप में स्वीकारने से डरते है और लिहाज़ा भ्रूण हत्या का कुकर्म सामने आता है …….
यदि लड़कियां अपनी गरिमा का ख्याल रखें तो उनको ज्यादा सम्मान मिलता है …….
लड़के या पुरुष उसी नारी को ज्यादा सम्मान देते हैं जो गरिमा में रहती है ….रिजर्व रहती है
Multiple relations बना कर घुमने वाले …..गाली ही सुनते हैं
एक कड़वा शोध ……घर से दूर पढने वाले लड़के लड़कियों का आंकड़ा यही है की
१०० लड़कों में २०% लड़के बिगड़ते हैं ,८०% नहीं बदलते हैं
१००% लड़कियों में २०% नहीं बदलती हैं और ८०% बिगड़ जाती हैं |
एक कड़वा शोध ……घर से दूर पढने वाले लड़के लड़कियों का आंकड़ा यही है की
१०० लड़कों में २०% लड़के बिगड़ते हैं ,८०% नहीं बदलते हैं
१००% लड़कियों में २०% नहीं बदलती हैं और ८०% बिगड़ जाती हैं |
नारी शक्ति : भोग्य वस्तु
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