भारतीय नौसेना की जानकारी और स्वरुप
Information & Structure of Indian Navy
भारत के नौवहन और नौसेना का इतिहास साक्ष्यों के आधार पर 5600 साल पुराना है |
यहाँ तक कि “Navigation” शब्द की उत्पत्ति भारतीय शब्द “नवगतिम्” से हुआ है |
गुजरात के लोथल में हड़प्पा कालीन मानव निर्मित पोताश्रय और उनकी सुरक्षा में नौसेना के साक्ष्य मिले भी हैं |
भारतीय नौसेना के वर्तमान स्वरुप की अधिकृत शुरुआत 5 सितंबर 1612 को हुई थी। इस दिन ईस्ट इंडिया कंपनी के युद्धपोतों का पहला बेड़ा ‘द ऑनरेबल ईस्ट इंडिया कंपनीज़ मॅरीन’ सूरत के बंदरगाह पर पहुँचा था।
1685 ई. में इसका नामकरण “बंबई मेरीन” हुआ, जो 1830 ई. तक चला।
भारतीय नौसेना सन् 1613 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी की युद्धक सेना के रूप में ‘रॉयल इंडियन मॅरीन’ संगठित की गई जिसने पहले विश्व युद्ध में भाग लिया।
रॉयल इंडियन नेवी:
8 सितंबर 1934 ई. को भारतीय विधानपरिषद् ने भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया और रॉयल इंडियन नेवी का प्रादुर्भाव हुआ।
द्वितीय विश्व युद्ध आते-आते रॉयल इंडियन नेवी में लगभग आठ युद्धपोत थे। युद्ध के ख़त्म होने तक पोतों की संख्या बढ़कर 100 हो गई थी।
भारतीय नौसेना:
देश के बंटवारे के समय लगभग 1/3 नेवी के साथ कराची और चट्टगांव जैसे पोर्ट भी देश के हाथ से निकल गया था |
26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना और इस दिन भारतीय नौसेना ने अपने नाम के सामने से रॉयल नाम को त्याग दिया। उस समय भारतीय नौसेना में 32 नौ परिवहन पोत और लगभग 11,000 अधिकारी और नौसैनिक थे।
भारतीय नौसेना के पहले कमांडर-इन-चीफ़, रियल एडमिरल आई.टी.एस. हॉल थे।
पहले भारतीय नौसेनाध्यक्ष (सी.एन.एस.) वाइस एडमिरल रामदास कटारी थे, जिन्होंने 22 अप्रैल 1958 को कार्यभार संभाला।
1960 के दशक की शुरुआत में ये महसूस किया गया कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से बाहर निकलने वाले कैडेट बढ़ती हुई भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएंगे और इसी वजह से कोचीन में एक अकादमी स्थापित करने का फैसला किया गया।
तदनुसार जनवरी, 1969 में कोचीन में एक नौसेना अकादमी की शुरुआत की गयी जिसे अंततः 1986 में आईएनएस मांडोवी (गोवा) में स्थानांतरित कर दिया गया।
भारतीय नौसेना प्राद्वीपीय भारत के 7517 किलोमीटर लंबे समुद्रतट की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है।
कोस्ट गार्ड व MARCOS:
एक स्वतंत्र पैरा मिलिट्री यानि अर्द्ध सैनिक सेवा, भारतीय तटरक्षक (इंडियन कोस्ट गार्ड) भारतीय नौसेना भारत के समुद्रवर्ती और अन्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान उपलब्ध कराती है।
मॅरीन कमांडो फ़ोर्स (MCF) जिसका पुराना नाम द इंडियन मॅरीन स्पेशल फ़ोर्स (IMSF) था, जो भारतीय नौसेना का अपेक्षाकृत नया विभाग है और इसी योजना के अंतर्गत MARCOS का अस्तित्व भी आया जो मॅरीन कमांडो फ़ोर्स की बेहतरीन ट्रूप्स में हैं|
भारतीय नौसेना का स्वरुप व ढांचा:
नौसेनाध्यक्ष यानि एडमिरल को उप-नौसेनाध्यक्ष (वाईस एडमिरल या रियर एडमिरल) के दर्ज़े के पाँच मुख्य स्टाफ़ अधिकारियों का सहयोग मिलता है।
नौसेना कुल तीन ऑपरेशनल नौसैनिक कमान हैं।
- पश्चिमी कमान (कार्यकारी मुख्यालय: मुंबई),
- पूर्वी कमान (कार्यकारी मुख्यालय: विशाखापट्टनम)
- दक्षिणी कमान (कार्यकारी मुख्यालय: कोच्चि)
प्रत्येक कमान का प्रमुख एक फ़्लैग ऑफ़िसर उप-नौसेनाध्यक्ष (वाइस एडमिरल) के पद वाला मुख्य अधिकारी होता है।
भारतीय नौसेना अकादमी एझिमाला (एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी):
केरल में 2500 एकड़ से अधिक में फैला भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला, कन्नूर से करीब 35 किलोमीटर उत्तर और भारत उपमहाद्वीप के पश्चिमी समुद्रतट के मैंगलोर के 135 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
यहां 161 अफसर, 47 प्रोफेसर/व्याख्याता, 502 नाविक और 557 नागरिक हैं। कर्मचारियों के परिवारों के समेत परिसर की आबादी 4000 से ज्यादा होगी।
कोचीन, लोणावला, तथा जामनगर में भारतीय नौसेना के प्रशिक्षण संस्थान हैं।
जहाजी बेड़े की शुरुवात व प्रगति:
भारत सरकार ने नौसेना के विस्तार की तत्काल योजना बनाई और एक वर्ष बीतने के पहले ही ग्रेट ब्रिटेन से 7, 030 टन का क्रूजर “INS दिल्ली” खरीदा।
इसके बाद ध्वंसक ” INS राजपूत”, “INS राणा”, “INS रणजीत”, “INS गोदावरी”, “INS गंगा” और “INS गोमती” खरीदे गए।
इसके बाद आठ हजार टन का क्रूजर खरीदा गया। इसका नामकरण “INS मैसूर” हुआ।
1964 ई. तक भारतीय बेड़े में वायुयानवाहक, “INS विक्रांत” (नौसेना का ध्वजपोत), क्रूजर “INS दिल्ली” एवं “INS मैसूर” दो ध्वंसक स्क्वाड्रन तथा अनेक फ्रिगेट स्कवाड्रन थे, जिनमें कुछ अति आधुनिक पनडुब्बीनाशक तथा वायुयाननाशक फ्रिगेट सम्मिलित किए जा चुके थे। “
आज भारत की नेवी ने बहुत प्रगति कर लिया है और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि पूरे हिन्द महासागर पर भारतीय नौ सेना का राज है जिसे अब चीन से कड़ी चुनौती मिल रही है ।
भारतीय नौसेना दिवस:
भारतीय नौसेना दिवस प्रत्येक वर्ष 4 दिसम्बर को मनाया जाता है। यह 1971 की जंग में भारतीय नौसेना की पाकिस्तानी नौसेना पर जीत की याद में मनाया जाता है।
3 दिसंबर को भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाक सेना के ख़िलाफ़ जंग की शुरुआत कर चुकी थी। वहीं, ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था।
भारतीय नौ सेना के वर्तमान और अजेय जहाजी बेड़े की सम्पूर्ण जानकारी के लिए पढ़ें मेरा अगला लेख।