अभय पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas for Abhay with Hindi meaning

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अभय पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

हेमधेनुधरादीनां दातारः सुलभा भुवि ।
दुर्लभः पुरुषः लोके यः प्राणिष्वभयप्रदः ॥

इस दुनिया में सोना (सुवर्ण), गाय, पृथ्वी (ज़मीन) इ. देनेवाले सुलभ है, पर प्राणीयों को अभयदान देनेवाले इन्सान दुर्लभ हैं

यो दद्यात् काञ्चनं मेरुं कृत्स्नां चैव वसुन्धराम् ।
एकस्य जीवितं दद्यात् न च तुल्यं युधिष्ठिर ॥

हे युधिष्ठिर ! जो सुवर्ण, मेरु और समग्र पृथ्वी दान में देता है, वह (फिर भी) एक मनुष्य को जीवनदान देनेवाले दान का मुकाबला नहीं कर सकता ।

नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने ।
विक्रमार्जितसत्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ॥

सिंह को जंगल का राजा नियुक्त करने के लिए न तो कोई अभिषेक किया जाता है, न कोई संस्कार । अपने गुण और पराक्रम से वह खुद ही मृगेंद्रपद प्राप्त करता है ।

भूताभयप्रदानेन सर्वान्कामानवामुयात् ।
दीर्घमायुः च लभते सुखी चैव सदा भवेत् ॥

प्राणियों को अभय देकर सब कामना प्राप्त होती है, दीर्घायुष्य और सदा सुख प्राप्त होता है ।

अभयं सर्वसत्वेभ्यो यो ददाति दयापरः ।
तस्य देहाद्विमुक्तस्य भयं नास्ति कुतश्चन ॥

जो दयालु सब प्राणियों को अभय देता है, उसे मृत्यु के पश्चात् कहीं से भी भय नहीं रहता ।

यो ददाति सहस्त्राणि गवामश्व शतानि च ।
अभयं सर्वसत्वेभ्य स्तद्दानमिति चोच्यते ॥

जो हजारों गाय और सैंकडो घोडे देता है, और सब प्राणियों को अभय देता है, उसे दान कहते हैं ।

अभयं सर्वसत्वेभ्यो यो ददाति दयापरः ।
तस्य देहाद्विमुक्तस्य भयं नास्ति कुतश्चन ॥

जो दयालु सब प्राणियों को अभय देता है, उसे मृत्यु के पश्चात् कहीं से भी भय नहीं रहता ।

Sanskrit Shlokas for Abhaya (Fearlessness) with Hindi meaning

यो भूतेष्वभयं दद्यात् भूतेभ्यस्तस्य नो भयम् ।
यादृग् वितीर्यते दानं तादृगासाद्यते फलम् ॥

जो प्राणियों को अभय देता है, उसे प्राणियों से भय नहीं रहेता । जैसा दान दिया जाता है, वैसा ही फल मिलता है ।

महतामपि दानानां कालेन क्षीयते फलम् ।
भीताऽभय प्रदानस्य क्षय एव न विद्यते ॥

बडे दान का भी समय आने पर क्षय होता है । पर भयभीत हुए को अभयदान दिया हो, उसका क्षय नहीं होता ।

एकतः काञनो मेरुः बहुरत्ना वसुन्धरा ।
एकतो भयभीतस्य प्राणिनः प्राणरक्षणम् ॥

(तराजु के) एक पलडे में सुवर्ण का मेरु पर्वत, और बहुरत्ना वसुंधरा है, और दूसरे में भयभीत प्राणी को दिया हुआ जीवनदान है (दोनों समान है) ।

दत्तमिष्टं तपस्तप्तं तीर्थसेवा तथा श्रुतम् ।
सर्वेऽप्यभय दानस्य कलां नार्हन्ति षोडशीम् ॥

इच्छित वस्तु का दान, तप का आचरण, तीर्थसेवा, ज्ञान – ये सब अभयदान की शोभा के सोलहवें भाग जितने भी नहीं ।

जीवानां रक्षणं श्रेष्ठं जीवा जीवितकांक्षिणः ।
तस्मात्समस्त दानेभ्योऽभयदानं प्रशस्यते ॥

जीवों का रक्षण श्रेष्ठ है । जीव जीने की इच्छा रखनेवाले होते हैं, इस लिए सब दानों में अभयदान प्रशंसा-पात्र है ।

वरमेकस्य सत्वस्य दत्ता ह्यभय दक्षिणा ।
न तु विप्रसहस्त्रेभ्यो गोसहस्र मलड्कतम् ॥

हजार विप्रों को, सजायी हुई हजारों गायों के मुकाबले केवल एखाद प्राणी को “अभय” दक्षिणा देना ज़ादा योग्य है ।

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

2 thoughts on “अभय पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas for Abhay with Hindi meaning

  1. Very nice work .Sanskrit is the soul of our culture .This project will defeneatly helps the people to know the beauty and usefulness of Subhashita

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