भारत देश की जनसंख्या 1 अरब 25 करोड़ है। Active Military की संख्या 13 लाख 25 हज़ार है।
इस देश में 2 सैनिकों की हत्या होने की कीमत लगभग 2000 नागरिकों के जीवन पर संकट होने के बराबर है।
सोचिये इस देश के 1 परमाणु वैज्ञानिक की हत्या की क्या कीमत चुकानी पड़ेगी???
लेकिन हम चुका रहे हैं। हममें से अनेक व्यक्ति इस बात से अनजान हैं।
हमें ये पता है की आज सलमान ने क्या किया ? मोदीजी ने क्या पहना ? या केजरीवाल ने कितनी बार खाँसा ?
लेकिन क्या हमें ये पता है की वर्ष 2009 से 2013 के बीच इस देश के 10 परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या कर दी गई ???
ये सभी वैज्ञानिक देश के अनेक projects से जुड़े हुए थे। नहीं पता है ना !!!
क्योंकि अभी हम व्यस्त हैं क्रिकेट वर्ल्ड कप में, हम busy हैं दिल्ली के ड्रामे में, हम व्यस्त हैं पाकिस्तान क्रिकेट टीम की हार का उत्सव मनाने में।
1995 से लेकर 2010 तक इस देश के 32 केंन्द्रों के 197 परमाणु वैज्ञानिकों की रहस्यमय मृत्यु हुई है। हमें पता ही नहीं।
BARC के वैज्ञानिक M. Padmnabhan की लाश उनके ही फ्लैट में मिली।
सप्ताह-भर से लापता CAG परमाणु-संयन्त्र से जुड़े Senior Engineer L.N. Mahalingam की लाश 2009 में काली नदी में तैरती पाई जाती है। एक अन्य Nuclear Power Corporation (NPC) के वैज्ञानिक Ravi Mule की भी लाश मिली |
अप्रैल 2011 में एक परमाणु वैज्ञानिक Uma Rao की लाश मिली जिसे आत्महत्या का नाम दिया गया परन्तु परिजनों ने इसे आत्महत्या नहीं माना |
वर्ष 2013 में विशाखापत्तनम में Railway track के किनारे 2 वैज्ञानिकों KK Josh & Abhish Shivam की लाश मिलती है, ये दोनों वैज्ञानिक देश की पहली स्वदेशी पनडुब्बी “अरिहन्त” के निर्माण से जुड़े थे।
क्या हमें पता चला इन सबकी हत्या कैसे हुई ???
क्यों News Channels ने हमें इन घटनाओं से बेख़बर रखा ???
इन सबकी हत्याओं में जो तरीके अपनाये गए वे दुनिया की कुछ चुनिंदा खुफिया एजेन्सी ही अपनाती हैं, जिनमें CIA, KGB, MI6, Mossad और ISI जैसी एजेंसियाँ शामिल हैं।
भारत देश के परमाणु कार्यक्रम के जनक Dr. Homi Jahangir Bhabha की हत्या CIA ने की थी।
हम ना जाने कहाँ खोये हैं, और देश पर गम्भीर संकट मंडरा रहा है। भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या एक अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र के कारन हो रही है जिससे की भारत की परमाणु क्षमता को बढ़ने से रोका जाए |
एक भारतीय होने के नाते इस महत्वपूर्ण जानकारी को अवश्य शेयर करें। विदेशी मीडिया को इसकी चिंता है परन्तु दुर्भाग्य से हमारी मीडिया को नहीं |
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