रंडीबाजों को “पद्म सम्मान” बेवकूफों को “PHD”

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|| विद्वत्ता और राजनीति की “वाइफ स्वैपिंग”||

मित्रों, कुछ दिनों से व्यथित हूँ …..लोग कितनी मेहनत करते हैं , अपने समाज में कितना ताना भी सुनते हैं फिर भी कर्म क्षेत्र में लगातार रहकर अपना वर्षों का समय लगाकर PHD और D. Lit. करते हैं और बड़े गर्व से नाम के आगे डाक्टर लगता है | आज कहीं ऐसा न हो की कुपात्रों को विवाह निमंत्रण की तरह बाटते रहने के कारण इन उपाधियों एवं पुरस्कारों का महत्त्व कम हो जाए |

भारतीय पुरातन परम्परा में भी नंगे, भूखे कृशकाय जटाजूट धारियों , ज्ञानियों, दिगम्बरों, दंडीयों के सामने अक्षौहिणी सेनाएं और राजे झुकते थे | इसी माटी के विद्वानों ने “विद्वानम सर्वर्त्र पूज्यन्ते” का उद्घोष किया था | विश्वास नहीं होता की “ज्ञान” की गरिमा को बिकाऊ विश्वविद्यालयों ने कितना गिरा दिया | अरे वाइस चांसलर को कोई बताये !!! कोठे का भी एक रेट होता है |

पूरा जीवन होम करने के बाद “काशी विद्वत परिषद्” ने श्री कृपालु महाराज को “जगद्गुरु” और श्री गोपीनाथ कविराज जी को “महामहोपाध्याय” की पदवी दिया था | कलाम साहब को पूरा जीवन देकर “डा” और “मिसाइल मैन” की उपाधि मिली | ये वही देश और भूमि है जहाँ “श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी” ने ब्रिटिश सरकार की “सर” की पदवी को लात मार दिया था और राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के श्री दत्तोपंत ठेंगडी ने अटल जी की सरकार में राष्ट्रपति को अपने पद्म विभूषण सम्मान पर लिखकर भेजा था | मै समझता हूँ की देश में मुझसे अधिक योग्य अनेक हैं जिन्हें यह “पद्म विभूषण” सम्मान मिलना चाहिए और सम्मान नहीं लिया |

आज यही “पद्म सम्मान” सैफ अली खान जैसे भंडूवों को, रंडीबाजों को मिल रहा है …..क्या गरिमा है सम्मानों की ?????

आज के नकली ग्यानी और राजनैतिक कुपात्रों की सेना यानि विद्वत्ता की कुर्सियों पर बैठे चापलूसों की फ़ौज और स्तरहीन राजनेता “वाइफ स्वैपिंग” के गन्दगी तक पहोच गए हैं |

कुंठित ……हुंकार !!!|| रंडीबाजों को “पद्म सम्मान” बेवकूफों को “PHD” ||

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Shivesh Pratap

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