कानपुर एक ऐसा शहर जिसका अतीत जितना शानदार हैं , वर्तमान उतना उलझा हुआ हैं । कानपुर के इतिहास को जानना जितना दिलचस्प है , उतना ही मजेदार है इसके स्थानों के नाम की उत्त्पति की वजह को जानना । इसके हर स्थान के नाम के पीछें एक कहानी छुपी हैं । आने वाले कुछ अंकों में हम प्रयास करेंगे आपको कानपुर के स्थानों के नाम के पीछे की वजह से रूबरू करवाने की ताकि आप कानपुर को और नजदीक से जान सकें ।
जानें कानपुर शहर का शानदार अतीत | Why Kanpur is Famous?
1 टाटमील :
एक बात दिगर हैं की कानपुर के निर्माण में अंग्रेंजों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हैं । उन्होंने कानपुर को एक स्वरूप प्रदान किया । कानपुर में जूट उद्योग भी अंग्रेजो ने ही शुरू किया ।
आरग्रेंड बियर नाम के अंग्रेज ने जंहा पर जूट का करखाना लगाया ,और जहाँ टाट का निर्माण होता था उसे आज टाटमील के नाम से जाना जाता हैं ।
2 गीलिश बाजार :
ब्रिग्रेडियर जरनल स्टीवर्ट गिल्स ईस्ट इंडिया कंपनी का का कमांडर इन चीफ था । वो सन 1778 में अपने दस हजार सिपाहियों के साथ कानपुर आया । गंगा के किनारें उनका पड़ाव पड़ा ।अब उन सिपाहियों की जरूरतों का तो इन्तिजाम होना ही था । तो उन सिपाहियों के लिए जो बाजार बना उसे गिलिस बाजार नाम मिल गया। गिल्स से गिलिस हो जाना कोई बड़ी बात नही थी ।
3 कर्नलगंज:
कर्नल जेम्सशेफर्ड एक प्रभावशाली कर्नल थे । उनको 1801 में रूपये 1000 की पेंशन मिलती थी ।और उन्ही के नाम पर कानपुर के किसी मोहल्ले को पहला अंग्रेजों का नाम मिला कर्नलगंज।
4 कलक्टरगंज:
रेलवे स्टेशन के आस-पास के एरिया को कलक्टरगंज नाम से जाना जाता हैं । विलियम सर्टलिंग हालसी 1865 से 72 तक कानपुर के कलक्टर रहें । और उनके नाम पर बसाया गया एरिया कलक्टरगंज कहलाया । हालसी रोड़ भी इन्हीं के नाम पर हैं ।
5 जरनलगंज:
ये स्थान अंग्रेजी शब्द जरनल ( सामान्य ) और फारसी शब्द गंज से मिल कर बना हैं । 1839 के मैप में जरनलगंज का संकेत मिलता हैं । ये अंग्रेजों का बसाया बाजार हैं और शुरू से ही बहुत व्यस्त बाजार रहा हैं । क्युकी यंहा सब समान ( जरनल सामान ) मिलता था इस लिए इसे जरनलगंज नाम से पुकारा गया।
6 एलेनगंज:
जार्जबनी एलेन इलाहाबाद के अंग्रेजी साहब थें . उनके बेटे कानपुर में आ कर बस गये और बहुत सारी जमीन खरीद ली . ये सारी जमीन नवाबगंज का हिस्सा थी . वो बाद में नवाबगंज से अलग एलेनगंज के नाम से जानी गयी . यहीं पर एलेन फारेस्ट भी स्थापित हुआ जिसका वर्तमान चिड़ियाघर भी हिस्सा हैं .
7 फेथफुलगंज:
यह इलाका कैंट के अंतर्गत आता हैं . कुछ लोगों का मानना है की 1857 कई क्रांति के समय जिन भारतीयों ने अंग्रेजों से वफादारी निभाई उनकी वफादारी के नाम पर फेथफुलगंज बसाया गया . पर ये धारणा गलत हैं .
क्युकी 1842 के नक्शे में ये फेथफुलगंज नाम से अंकित हैं . वास्तव में मेजर आर .सी . फेथफुल नामक अंग्रेज जो कमिश्नर बाजीराव पेशवा ऑफ बिठुर थे के नाम पर फेथफुलगंज बसाया गया .
8 मैकराबर्टगंज:
1889 से 1908 तक लाल इमली मील के जरनल मैनेजर मैकराबर्ट नाम के अंग्रेज थे . ये साहब उस समय कानपुर के बेताज बादशाह के समान थे . इनके नाम पर ही मैकराबर्टगंज बसा और एक अस्पताल का नाम भी मैकराबर्ट अस्पताल पड़ा .
9 कूपरगंज:
एक प्रभावशाली अंग्रेज ई.डबल्यू कूपर थे . जो लेफ्टिनेंट जरनल ऑफ युनाइटेड प्राविस थे . ये छिफ कमिश्नर ऑफ अवध भी थे . इनके नाम से कूपरगंज बना जो बाद में बदलते बदलते कोपरगंज हो गया .
10 मूलगंज:
1890 में एम् . डी .मोले कानपुर के कलक्टर थे . उन्हीं नाम मोलगंज बना जो कालान्तर में मूलगंज हो गया .
11 सूटरगंज:
1940 में में एडवर्ड सूटर कानपुर में इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के इंचार्ज थे . उन्ही के नाम पर सूटरगंज मोहल्ला बसा .
12 हैरिसगंज:
कर्नल हैरिस 1842 में कानपुर के गवर्नर जरनल थे . और उनके नाम पर हैरिसगंज बसाया गया .
13 चुन्नीगंज:
सन 1875 में चुन्नीलाल गौड़ के नाम पर चुन्नीगंज बसा।