अभी थोड़े दिन और जरुरत है चीन से डरने की …….

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राष्ट्र की सीमा किसी राष्ट्र की अस्मिता का प्रश्न होता है ,उस देश की अभिव्यक्ति का निरूपण है और रक्षामंत्री सीमाओं के रक्षण का प्रथम पुरुष है| परन्तु भारत का दुर्भाग्य जो बी.के.कृष्णमेनन जैसे प्रथम पुरुषों से सुशोभित परंपरा आज तक चलती आ रही है|भारत और चीन की 3488 किलोमीटर लंबी सीमा जुडी है और 5180 किलोमीटर का क्षेत्र जो उसे पाकिस्तान से प्राप्त हुआ इस तरह कुल 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भारत ने खो दिया और इस शर्मनाक हालत पर कृष्णमेनन ने कहा की “कब्जे की भूमि पर तो घास भी नहीं उगती”| इस तरह नेहरु ने भारत की अस्मिता को चीन के साथ युद्ध में “हिंदू चीनी भाई भाई” के प्रिय नारे पर गवां देने वाले दुनिया के खलु नायकों में सुमार हो गए | 

china vs india
बस उसी गलती के कारण आज तक हम चीन की घुडकियां और गीदड भभकियां सुनते आ रहे हैं| भारत की मजबूत होती सामरिक स्थिति और ताइवान के साथ दक्षिण चीन सागर में बढती भागीदारी से बौखलाए चीन ने सेसल्स द्वीप पर जो सरगर्मी शुरू किया है वो भारत की सामरिक विकास प्रक्रिया को चुनौती है| सेसल्स से भारत की मित्र भावना और उसकी सुरक्षा के लिए भारत द्वारा प्रदत्त INS तारामुगली पर अमेरिका और चीन दोनों की भौहें तन गई थीं इस कारण अब चीन ने भी सेसल्स द्वीप पर नौसैनिक अड्डा स्थापित कर चीन से सुदूर भारतीय प्रदेशो को अपने जद में करने का कदम उठा लिया है इस तरह अब चीन ने पुरे भारत को घेर लिया है | सामरिक नीति से चीन की पाकिस्तान के ग्वादर में स्थापित मिसाइलें मुंबई को भी अपने जद में लिए हुए हैं और सेसल्स द्वीप से मद्रास और कलकत्ता पर भी युद्धक नियंत्रण स्थापित हो जायेगा और दिल्ली की एक हज़ार किलोमीटर की दूरी चीन के लिए सिर्फ बटन दबाने का खेल है |


चीन से अभी भी हमें बहुत डरने की जरुरत है क्यों की चीन का रक्षा खर्च 80 बिलियन अमेरिकी डालर है जब की हमारा खर्च मात्र 22 बिलियन अमेरिकी डालर है| शत्रु की सेना में 2255000 जवान हैं जब कि हमारे पास सिर्फ 1325000 जवान हैं |चीन के पास 9218 युद्धक विमान और 500 एअर बेस है जब की हमारी सेना में 3382 युद्धक विमान एवं 334 एअरबेस है और INS विराट इसकी शोभा बढ़ा रहा है और सुकून की बात है की INS कोलकता और INS विक्रमादित्य को श्री मोदी जी ने शीघ्र सेना को सौप दिया |

चीन के पास रुस निर्मित SU30MK और J10 युद्धक हैं तो भारत के पास फ़्रांस निर्मित मिराज और रूस निर्मित MIK |भारत को इस बात की सुखद अनुभूति होनी चाहिए की इसके पास नौसैनिक युद्ध का अनुभव है पाकिस्तान के साथ जिस युद्ध में कृष्णन के द्वारा गाजी नाम की पनडुब्बी का विध्वंस कर दिया गया था और इस तरह आई एन एस राजपूत और कृष्णन के साथ भारतीय नौसेना ने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था और चीन के पास नौसैनिक युद्ध का कोई अनुभव नहीं है |

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लेकिन परमाणु शक्ति में भारत कहीं भी नहीं टिकता चीन के आगे क्यों की चीन के पास सूचना के अनुसार कम से कम 500 परमाणु हथियार हैं जब की भारत के पास मात्र 80 हथियार है इस तरह चीन भारत को युद्ध में राख कर सकता है क्यों की भारत का क्षेत्रफल भी कम है इस तरह जनसँख्या घनत्व ज्यादा है और नुक्सान बहुत होगा |और कोढ़ में खाज की बात ये है की भारत के परमाणु शस्त्रों की सर्वाधिक क्षमता और ताकत 0.5 मेगाटन है जब कि चीन की क्षमता 4 मेगाटन की है| भारत परमाणु हथियारों को बमबर्षक विमानों,सुपरसोनिक मिसाइलों और बलेस्टिक मिसाइलों से ही भेज पायेगा जब की अग्नि-२, जो भारत की सबसे क्षमता वाली मिसाइल है 1000 किलो वजन के साथ 2500 किलोमीटर जा सकती है यानी हम बीजिंग भी नहीं पहुच सकते जब कि चीन के पास एक साथ कई परमाणु हथियार लेकर 12000 किलोमीटर तक मार करने वाली ICBM मिसाइलें हैं जिस से चीन वाशिंगटन डी सी को भी उडा सकता है|अब आप को शायद ये समझ आ गया होगा की अमेरिका चीन से क्यों डरता है | और SU27 जैसे युद्धक बमवर्षक विमान जो रणनीति बनाने में भी सक्षम हैं,चीन की सेना के गौरव हैं | साथ ही चीन ने मिसाइल प्रतिरोधक क्षमता भी विक्सित कर लिया है जिसकी मदद से वो अपने दुसमन की मिसाइल को हवा में ही बर्बाद कर सकती है | ये तो थी पारंपरिक सामरिक मैदान में जंग की बात और आगे कुछ अत्यंत मुख्य बातें …….


चीन ने अपने उपग्रह रोधी (एंटी सैटेलाइट) हथियारों का परीक्षण कर लिया है और हम अभी तक अपेक्षित सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम विकसित नहीं कर पाए हैं। आधुनिक युद्ध प्रणाली में साइबर युद्ध नया पहलू है। चीन ने इस क्षेत्र में अच्छी- खासी प्रगति की है। वह तो अमेरिका के रक्षा कम्प्यूटरों को भी हैक करने में सक्षम है। चीन की साइबर युद्ध शिक्षा पश्चिमी देशों से भावी युद्ध की चुनौतियों का मुकाबला करने को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, जो ऎसी क्रांतिकारी तकनीकों पर निर्भर है, जिससे उसे हथियार प्रणाली, गुप्तचरी, निगरानी और सर्वेक्षण तंत्र में श्रेष्ठता प्राप्त होगी। भारत को नए विभाग विकसित कर और बहु-एजेंसी बुनियादी ढांचा तैयार कर चीन से साइबर युद्ध के खतरे से निपटने के उपाय करना होंगे। सशस्त्र सेनाओं के नए तौर-तरीके, तकनीक और प्रक्रियाएं अपनाकर उन्हें अपनी युद्ध शिक्षाओं में शामिल करना होगा।

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अपने कम्प्यूटर संजाल को हैकर्स और साइबर हमलों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए सेना में साइबर कमान स्थापित करना होगी। भारत की नई प्रणालियां और कमान व नियंत्रण संजाल तथा असैनिक बुनियादी ढांचा साइबर स्पेस के ज्यादा से ज्यादा उपयोग पर निर्भर करेगा। हमारे पास रक्षात्मक के साथ ही आक्रामक प्रणाली भी होना चाहिए, जिससे दुश्मन की कमान, नियंत्रण व गुप्तचर प्रणाली को ध्वस्त किया जा सके। साथ ही साइबर संसार में अभी प्रयुक्त हो रही नवीनतम साफ्टवेयर प्रणाली को और विकसित करना होगा। पाकिस्तान से खतरे दो तरह के हैं। एक तो परमाणु हमले का खतरा और दूसरा आतंकवाद के साथ छाया युद्ध का खतरा। इन खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए हमें अपनी परमाणु क्षमता बढ़ाना होगी और आंतरिक सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाना होगा।

छाया युद्ध और आतंकवाद से प्रभावी तरीके से निपटना पारम्परिक युद्ध के मुकाबले बहुत कठिन होता है। यदि हम पाकिस्तान के शत्रुतापूर्ण इरादों पर नजर डालें तो साफ है कि वह भारत के साथ बातचीत जारी रखने की नीति के साथ ही उन कट्टरपंथी गुटों का समर्थन कर रहा है, जो आतंककारी गतिविधियां चलाते हैं। 
चीन के साथ जुडी हुई सीमा पर चीन के द्वारा राजमार्गों का विकास ,बुनियादी सुबिधाओं और रेलमार्गों का निर्माण तेजी से हो रहा है और भारत द्वारा प्रस्तावित योजनाएं जो 2012 में पूरी होनी थी 13100 किलोमीटर लंबी सीमा सड़क का आज भी 80%कार्यों का श्री गणेश भी नहीं हुआ है और अब सेसल्स द्वीप पर चीन की हनक ……ये बातें चीन की दादागिरी के सामने एक बार फिर ना घुटने टेकने को मजबूर कर दें |

अभी बीते सप्ताह सीमा पर गर्मागर्मी होने से चीन ने दादागिरी दिखाते हुए हिंदमहासागर में अपनी दो जंगी जहाजें और दो परमाणु पनडुब्बी उतार दिया था परन्तु अभी कुछ दिन भारत को धैर्य धारण कर “शक्ति प्रदर्शन” को टालकर केवल शक्ति संचय पर ध्यान देना होगा | भारत संकटों में घिरा देश है और आशा है की श्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत मजबूती से उभरेगा और देश पुरानी हार का हिसाब भी चुकता करेगा |

चीन और भारत के सैन्य शक्ति की विस्तृत तुलना पर यह लेख अवस्य पढ़ें: चीन और भारत की सैन्य ताकत की तुलना 

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Shivesh Pratap

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