सेतुसमुद्रम शिप कैनाल प्रोजेक्ट के रोचक तथ्य |
All Facts about Sethusamudram Ship Canal Project Explained
19 मई, 2005 को केंद्रीय केबिनेट ने सेतुसमुद्रम शिप कैनाल प्रोजेक्ट (एसएससीपी) को हरी झंडी दिखाई। इस प्रोजेक्ट से लंका के उत्तर में उथले जल की गहरा कर मन्नार की खाड़ी, पाक जल खाड़ी या संधि के आर-पार नौवहन योग्य नहर बनाकर अरब सागर के साथ बंगाल की खाड़ी को जोड़ा जाएगा। इससे जहाज भारत के प्रादेशिक जल से होते हुए सीधे मार्ग से पूर्वी और पश्चिमी तट के बीच आवाजाही कर सकेंगे। जिससे उन्हें श्रीलंका का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा और 424 नॉटिकल मील (780 किमी.) तथा इसमें लगने वाले 30 घंटों का समय बचेगा।
Sethusamudram Project Advantages and Disadvantages:
- भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की चेन है , इसे भारत में रामसेतु व दुनिया में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल ) के नाम से जाना जाता है।
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2005 में भारत सरकार ने सेतुसमुद्रम परियोजना का ऐलान किया।इस परियोजना से रामेश्वरम देश का सबसे बड़ा शिपिंग हार्बर बन जाएगा।
- इस प्रोजेक्ट से तटीय तमिलनाडु के आर्थिक और औद्योगिक विकास की गति मिलेगी।
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सेतुसमुद्रम शिप कैनाल प्रोजेक्ट तूतीकोरिन पोताश्रय के लिए भी बेहद महत्व रखता है। नहर एवं छोटे पत्तनों का विकास भी तमिलनाडु को अतिरिक्त समुद्री सुरक्षा प्रदान करेगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् से भी इस प्रोजेक्ट के स्वाभाविक लाभ हैं।
- नौसेना और तटरक्षक बलों के पोत पूर्व से पश्चिम तथा पश्चिम से पूर्व की ओर प्रत्यक्ष रूप से और अधिक गति से आवाजाही कर सकेंगे।
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इस प्रोजेक्ट को मूलतः 1860 में भारतीय मरीन के कमाण्डर ए.डी. टेलर द्वारा अपनाया माना जाता है। साल दर साल इस प्रोजेक्ट पर कई बार समीक्षा की गई लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया।
- भारत सरकार ने वर्ष 1955 में डा. ए. रामास्वामी मुदालियार की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की, जिसने प्रोजेक्ट की जरूरत का परीक्षण किया।
- प्रोजेक्ट की लागत और लाभों का मूल्यांकन के पश्चात् समिति ने पाया कि यह सुसाध्य एवं जरूरी है। हालांकि, इसने भूमि आधारित मार्ग की जोरदार अनुशंसा की। कई समीक्षाओं का अनुगमन किया गया।
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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सरकार (एनडीए) ने 1998 में एक बार फिर इस पर विचार किया। अंततः, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने 2 जुलाई, 2005 को इस प्रोजेक्ट की प्रारंभ करने की घोषणा की।
- एडम ब्रिज या रामसेतु पम्बन द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक श्रृंखला है, जिसे तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से अलग रामेश्वरम् द्वीप के तौर पर भी जाना जाता है
- श्रीलंका के उत्तरी-पश्चिमी तट से पृथक् तलाईमन्नार द्वीप के रूप में भी जाना जाता है।
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रामसेतु को विभिन्न तरीकों से विवेचित किया है जैसे छिछला बजरी तट, प्रवाल भिति, पृथ्वी की भूपर्पटी के पतले होने के कारण बना पुल, बालूरोधिका या बैरियर द्वीप।
- एक अन्य अध्ययन में सेतुसमुद्रम शिप कैनाल प्रोजेक्ट उत्थान लंबी तटवर्ती जलधारा के रामेश्वरम् और तलाई मन्नार के उत्तरी दिशा में घड़ी की विपरीत दिशा में और दक्षिण में घड़ी की दिशा में चलने से हुआ है।
Sethusamudram Project Environmental Impact:
- सेतुसमुद्रम शिप कैनाल प्रोजेक्ट के विशेष रूप से पर्यावरणीय आधार पर कई आपत्तियां समूहों ने की हैं। यह प्रोजेक्ट, इन समूहों के अनुसार, पारिस्थितिकीय संतुलन को नष्ट करेगा और प्रवालों की मृत्यु का कारण बनेगा।
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जहाज द्वारा जल में हलचल से मछलियों, स्तनपायियों, और अन्य पौधों का प्रवास होगा।यह मत्स्यिकी के क्षेत्र को कम करेगा और प्रदूषण फैलाएगा।
- विवादस्पद सेतुसमुद्रम कैनाल प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय ने 21 अप्रैल, 2010 को रामसेतु की बजाय धनुषकोडि के वैकल्पिक मार्ग की सु-साध्यता परसम्पूर्ण एवं व्यापक पर्यावरणीय प्रभाव विश्लेषण (ईआईए) की प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया
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भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व एशिया के कई देशों में हर साल दशहरा पर और राम के जीवन पर आधारित सभी तरह के डांस ड्रामा में सेतु बंधन का जिक्र किया जाता है। राम के बनाए इस पुल का वर्णन रामायण में तो है ही, महाभारत में भी श्री राम के नल सेतु का जिक्र आया है।