भारतीय कला, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत ललित कला अकादमी |
किसी भी राष्ट्र के विकास एजेंडे में संस्कृति एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कराती है | संस्कृति मंत्रालय का अधिदेश प्राचीन सांस्कृतिक विरासत का परिरक्षण एव संरक्षण तथा देश में मूर्त तथा अमूर्त दोनों तरह की कला एवं संस्कृति के संवर्धन के आस -पास घुमाता है | आइये जानते है ललित कला अकादमी ( Lalit kala academy )के बारे में …..
स्थापना – 5 अगस्त 1954 को भारत सरकार द्वारा स्थापित की गई।
मुख्यालय – नई दिल्ली |
वर्त्तमान अध्यक्ष – कल्याण कुमार चटर्जी |
उद्देश्य – भारतीय कला के प्रति देश-विदेश में समझ बढ़ाने और प्रचार-प्रसार के लिए भारत सरकार ने नई दिल्ली में 1954 में ‘राष्ट्रीय ललित कला अकादमी’ (नेशनल अकादमी ऑफ़ आर्टस) की स्थापना की थी|
भारत सरकार द्वारा ललित कलाओं के क्षेत्र में कार्य करने के लिए स्थापित किया गया था, यथा मूर्तिकला, चित्रकला, ग्राफकला, गृहनिर्माणकला आदि।
क्षेत्रीय केंद्र – लखनऊ, कोलकाता, चेन्नई, नई दिल्ली और भुवनेश्वर में क्षेत्रीय केंद्र हैं जिन्हें राष्ट्रीय कला केंद्र के नाम से जाना जाता है।|
कार्य – पेंटिंग, मूर्तिकला, प्रिंट-निर्माण और चीनी मिट्टी की कलाओं के विकास के लिए कार्यशाला-सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- प्रदर्शनी
- प्रकाशन
- निरीक्षण, विचार गोष्ठी, भित्तिचित्र बनाने की कला
- देशी कलासंगठनों और प्रांतीय अकादमियों के समन्वित कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना
- विदेशों से संपर्क और छात्रों एवं कलाकारों का आदान-प्रदान
प्रकाशन – कार्यक्रम के तहत अकादमी समकालीन भारतीय कलाकारों की रचनाओं पर हिंदी और अंग्रेजी में मोनोग्राफ और समकालीन पारंपरिक तथा जनजातिय और लोक कलाओं पर जाने माने लेखकों और कला आलोचकों द्वारा लिखित पुस्तकें प्रकाशित करती है।
पुरस्कार – अकादमी अपनी स्थापना से ही हर वर्ष समसामयिक भारतीय कलाओं की प्रदर्शनियां आयोजित करती रही है। 50-50 हज़ार रुपये के 15 अकादमी पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।
प्रत्येक तीन वर्ष पर अकादमी समकालीन कला पर नई-दिल्ली में त्रैवार्षिक अंतराष्ट्रीय प्रदर्शनी (त्रिनाले इंडिया) आयोजित करती है| और अन्य देशों की कलाकृतियों की प्रदर्शनियां भी आयोजित करती है। देश के कलाकारों का अन्य देशों के कलाकारों के साथ मेलमिलाप और तालमेल बढ़ाने के उद्देश्य से अकादमी भारत सरकार के सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों और समझौतों के अंतर्गत कलाकारों को एक-दूसरे के यहां भेजने की व्यवस्था करती है।