भारतीय ईश्वरवादी यथार्थ बनाम पश्चिमी शैतान की संकल्पना

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एक इसाई पादरी ने अमेरिका में एक हिंदू संन्यासी से पूछा….

क्या वह भगवान था, जिसने इस संसार की हर वस्तु को बनाया?
संन्यासी : हां ।

उन्होंने फिर पुछा:- शैतान क्या हैं?
क्या भगवान ने इसे भी बनाया ?
संन्यासी चुप हो गया… …..!

फिर संन्यासी ने आग्रह किया कि-
क्या वह उनसे कुछ सवाल पूछ सकता हैं?

ईसाई पादरी ने रौब से इजाजत दी.

संन्यासी ने पूछा-क्या ठण्ड होती हैं ?

पादरी ने कहा: हां, बिल्कुल क्या तुम्हे यह महसुस नहीं होती?

संन्यासी ने कहा:
मैं माफी चाहता हुं, लेकिन आप गलत हो ।
गर्मी का पुर्ण रुप से लुप्त होना ही ठण्ड कहलाता हैं, जबकि इसका अस्तित्व नहीं होता ।
ठण्ड होती ही नहीं ?

संन्यासी ने फिर पुछा: क्या अन्धकार होता हैं ?
ईसाई पादरी ने कहा: हां,होता हैं

संन्यासी ने कहा:आप फिर गलत है सर ।
अन्धकार जैसी कोई चीज नहीं होती,
वास्तव में इसका कारण रोशनी का पुर्ण रुप से लुप्त होना हैं .
सर हमने हमेशा गर्मी और रोशनी के बारे में पढा और सुना हैं ।
ठण्ड और अन्धकार के बारे में नहीं ।

वैसे ही भगवान हैं
.
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और
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बस इसी तरह शैतान भी नहीं होता,
वास्तव में, पुर्ण रुप से भगवान में विश्वास, सत्य और आस्था का ना होना ही शैतान का होना हैं।

वह संन्यासी थे… स्वामी विवेकानन्द..!

जीवन में न दुख: होता हैं ना तकलीफ
वास्तव में हममें जो खासियत, काबिलियत ,खुद में विश्वास और
सकारात्मक रवैये की कमी को ही हम दुख: और तकलीफ बना देते हैं ।

‪#‎हुंकार‬

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Shivesh Pratap

Hello, My name is Shivesh Pratap. I am an Author, IIM Calcutta Alumnus, Management Consultant & Literature Enthusiast. The aim of my website ShiveshPratap.com is to spread the positivity among people by the good ideas, motivational thoughts, Sanskrit shlokas. Hope you love to visit this website!

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