भारत मेँ नाग पंचमी की पूजा वास्तव मेँ अपने आप मेँ एक विशेष और अनूठा उदाहरण है हिंदू धर्म का । प्रकृति मे मौजूद विषमताओं को भी मित्र बना लेने और पर्यावरणीय साहचर्य का अनुपम उदाहरण है नाग पंञ्चमी पर्व ।
आज भारत मेँ एक आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया है कि खेत मेँ पैदा होने वाले सभी आनाज का एक तिहाई हिस्सा चूहों के द्वारा खा लिया जाता है । हमारे हजारोँ साल की कृषि परंपरा मेँ किसान के पास तथाकथित विश्वविद्यालय की डिग्रियाँ तो नहीँ थी परंतु उनके पास व्यवहारिक ज्ञान खूब है वह जानते थे कि सर्प हमारा पर्यावरण मित्र है और वह कृषि को नुकसान पहुंचाने वाले तमाम कीट पतंगोँ और चूहोँ को खा कर प्रकृति मेँ हमारी अप्रत्यक्ष रुप से रक्षा ही करता है ।
आज विदेशी प्रभाव में हिंसा का प्रयोग करके कुछ पैसे की लालच मेँ और सांप के चमड़े के व्यावसायिक उपयोग के कारण हम ने सर्पों का शिकार किया है उसके कारण कृषि के भंडारण की रक्षा एक बहुत बड़ा गंभीर संकट बन गया है ।
जब भारत अपनी परंपरा का एक प्रमुख पर्व नागपंचमी भूलता जा रहा है तो ऐसे ही समय मेँ चीन ने पिछले वर्ष मेँ 2013 में सांप के संरक्षण के लिए सर्प वर्ष घोषित करके एक बहुत बड़ा अभियान चलाया क्योंकि चीन को पता है कि कृषि की रक्षा के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा मित्र सांप है ।
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