सटीकता और परंपरा के आधार पर तीन दिन होगी जन्माष्टमी
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इसबार भगवान कृष्ण के जन्म का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी तीन दिन मनाई जाएगी।
इसके चलते स्मार्त, वैष्णव और रामानुज संप्रदाय के मंदिर में अलग-अलग दिन यशोदा नंदन की जन्म आरती होगी।
तिथि, मत और नक्षत्र के आधार पर पर्व 14, 15 और 16 अगस्त, 2017 को मनाया जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी पर मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
स्मार्त की जन्माष्टमी:
इस बार अष्टमी तिथि और नक्षत्र अलग-अलग दिन आने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। अष्टमी तिथि इस बार 14 अगस्त को शाम 7.40 बजे से 15 अगस्त को शाम 5.39 बजे तक रहेगी। इसके चलते स्मार्त मत वाले जो चंद्रोदय के आधार पर 14 अगस्त को जन्म अष्टमी मनाएंगे।
मूलतः हम सब शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश की पूजा करने वाले, और स्मृतियों और शंकराचार्य की परंपरा को मानने वाले स्मार्त है तो 14 अगस्त को मना सकते हैं।
वैष्णव मत में जन्माष्टमी:
चूंकि उदयाकाल यानी सूर्योदय में अष्टमी तिथि 15 को रहेगी। इस कारण वैष्णव मत वाले मंदिर में 15 अगस्त को भगवान की जन्म आरती होगी। क्यों कि वैष्णव मत उदयकाल को ही प्रामाणिक मानता है। पारिवारिक परंपरा में हम वैष्णव हैं तो 15 को मनाइये। जैसे ISKON के लोग स्वयं को वैष्णव मानते हैं । कंठी, छाप और तिलक लगाते हैं ।
रामानुज संप्रदाय में जन्माष्टमी:
रामानुज संप्रदाय के मंदिर में नक्षत्र के आधार पर पर्व मनाने की परंपरा है। रोहिणी नक्षत्र 15 अगस्त को रात 2.30 मिनिट से लगेगा जो 16 अगस्त को रात 12.49 बजे तक रहेगा। इसके चलते रामानुज संप्रदाय के मंदिर में 16 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
15 अगस्त पर कृष्ण जन्माष्टमी 30 साल बाद आई है। इस दिन मध्यरात्रि के समय नवमी तिथि और कृतिका नक्षत्र के साथ दिवस पर्यंत सवार्थ सिद्धि योग रहेगा।
श्रीमद्भागवत महापुराण, वैष्णव परंपरा और अयोध्या और मथुरा अंचल के लोक परंपरा के अनुसार 15 को मनाना ही सर्वश्रेष्ठ है । वैसे शास्त्रों में और गुरु परंपरा से विद्वानों के द्वारा बताया मार्ग श्रेष्ठ है।
#शिवेशानुभूति