2008 में 4G पेश हुआ यानि 4th जेनरेशन मोबाइल नेटवर्क। 4G में मोबाइल वेब ऐक्सेस, आईपी टेलिफ़ोनी, गेमिंग सर्विसेज, एचडी मोबाइल टीवी, विडियो कॉन्फ्रेंसिंग और 3D टीवी सपॉर्ट होना चाहिए। इसके लिए दो अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड इस्तेमाल होते हैं- मोबाइल WiMAX और LTE. VoLTE, LTE का ही एक उन्नत संस्करण है|
आगे हम समझेंगे कि LTE और VoLTE क्या है।
अब बात करते हैं LTE की। LTE (Long-Term Evolution) मोबाइल फोन और डेटा टर्मिनल्स के लिए हाई स्पीड वायरलेस कम्यूनिकेशन का एक स्टैंडर्ड है। LTE को भले ही 4G LTE के तौर पर प्रचारित किया जाता है, मगर यह भी माना जाता है कि यह 4G के पैमानों पर खरा नहीं उतरता। मगर फिर भी LTE को दुनिया भर में 4G के तौर पर पहचाना जाता है। मूव करते LTE से अधिकतम 100 से 150 मेगाबिट्स प्रति सेकंड की अधिकतम डेटा स्पीड मिल सकती है और स्थिर होने पर 1जीबी प्रति सेकंड की।
इंटरनेट प्रोटोकॉल या IP पर आधारित LTE नेटवर्क को ही VoLTE (Voice Over Long Term Evolution) का नाम दिया गया है। दरअसल LTE के जरिए वॉइस कॉलिंग भी की जा सकती है। इसके लिए कैरियर्स को अपने वॉइस कॉल नेटवर्क में बदलाव लाना पड़ता है।
GSM, UMTS और CDMA2000 (2G या 3G) में कॉलिंग ‘सर्किट स्विच्ड’ होती है। यानी जब एक फोन से दूसरे में कॉल की जाती है, दोनों टेलिफोन के बीच सेल्यूलर नेटवर्क के जरिए एक तरह का सर्किट बनाना पड़ता है। यह सर्किट तब तक बना रहता है, जब तक कॉल बनी रहे। मगर VoLTE में ऐसा इंजिनियर्ड नेटवर्क बनाया जाता है, जो IP मल्टीमीडिया सबसिस्टम नेटवर्क पर आधारित होता है। इसमें वॉइस कॉलिंग LTE से डेटा के जरिए ही की जाती। इसमें ‘सर्किट स्विच वॉइस नेटवर्क’ जैसा कुछ नहीं करना पड़ता। इसीलिए इसकी क्वॉलिटी भी अच्छी होती है।
ज्यादातर कंपनियां अभी वॉइस कॉलिंग के लिए ‘सर्किट स्विच्ड’ 2G या 3G नेटवर्क इस्तेमाल कर रही हैं। मगर VoLTE में वॉइस कॉल्स को 4G LTE के जरिए किया जाता है। आसान भाषा में इसे यूं समझा जा सकता है कि आप डेटा की मदद से जिस तरह विभिन्न ऐप्स इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह से वॉइस कॉलिंग भी डेटा की मदद से होती है। इसमें आवाज को एक ऐप की ही तरह डेटा के जरिए भेजा और रिसीव किया जाता है।
VoLTE से ऑपरेटर को वॉइस और डेटा के लिए अलग बैंड इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ती। वॉइस डेटा को एक ऐप के डेटा की तरह ही LTE डेटा नेटवर्क के जरिए संचारित किया जा सकता है। इसी टेक्नॉलजी को रिलायंस जियो इस्तेमाल कर रहा है। वहीं अन्य कंपनियां सिर्फ डेटा के लिए 4G LTE का इस्तेमाल कर रही हैं। वॉइस कॉलिंग के लिए वे अपने 3G या 2G सेल्यूलर नेटवर्क को इस्तेमाल कर रही हैं। इस हिसाब से VoLTE ऑपरेशन में सुविधाजनक होने के साथ सस्ती तकनीक भी है।
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