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Negative Impact of Demonetization in India | नोटबंदी से नुकसान

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नोटबंदी यानि demonetization के फैसले को कई दिन बीत चुके हैं। इन दिनों में पूरे देश में जनता बैंक और एटीएम की लाइनों में खड़ी हुई है। सरकार ने कुछ आदेशों में ढील दी तो कुछ में बाद में बदलाव कर जनता को राहत दिलाने की कोशिश की। कुछ हद तक राहत मिल भी रही है लेकिन नोटबंदी से नुकसान ही दिखता प्रतीत होता है। लिहाजा, अब लाइनें छोटी होनी शुरू हो गई हैं। आइये जानते हैं की नोटबंदी यानि demonetization से क्या नुकसान या विमुद्रीकरण से क्या हानि हैं;

विमुद्रीकरण से हानि | नोटबंदी से नुकसान | Negative Impact of Demonetization in India:

1. नोटबंदी यानि demonetization से आर्थिक व्यवस्था कुछ महीनों के लिए ठप्प हो सकती है.

2. नोटबंदी यानि demonetization से अर्थ तंत्र को छेड़ना किसी राजनैतिक पार्टी के लिए अपने राजनैतिक लाभ के लिए खतरनाक है.

बढती है कालाबाज़ारी:

3. नोटबंदी यानि demonetization से रोज़गार ख़त्म हो जाता है जबकि गरीब रोज़ के कमाई पर जीता है उसका हक़ मारा जाता है.
4. नोटबंदी यानि demonetization से सब्ज़ी के रेट आसमान छूने लगते हैं क्यों की कैश पर चलने वाला लोजिस्टिक तंत्र प्रभावित होता है.
5. नोटबंदी यानि demonetization से जीडीपी पर भी असर पड़ेगा. ये नीचे चली जायेगी.

6. देश में 94 फीसदी लोग गैर-संगठित क्षेत्र में हैं, इन्हें नोटबंदी यानि demonetization से काफी मुश्किल हो रही है.

7. कागज और इंक की कमी के कारण रद्द हुए नोटों की भरपाई में रिजर्व बैंक को 8-10 महीने या साल भर भी लग सकते हैं.

मंदी का खतरा:

8. नोटबंदी यानि demonetization के सरकार के कदम से मंदी आने का खतरा भी होता है.
9. नोटबंदी यानि demonetization से रोज़गार, उत्पादन, खपत और निवेश सबमें कमी आती है.
10. नोटबंदी यानि demonetization से बचने के लिए लोग विदेशी मुद्रा ज्यादा रखेंगे जिसका असर ये होगा कि अर्थव्यवस्था को धक्का लगेगा.
11. तमाम स्वतंत्र एजेंसियों के अनुसार तकरीबन 20 फीसदी काला धन नकदी में है जो नोटबंदी यानि demonetization से पकड़ा जायेगा.

कैश आधारित 11% अर्थव्यवस्था का बंटाधार:

12. भारत के GDP में नकदी का अनुपात कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बराबर है. जर्मनी के जीडीपी में नकदी का अनुपात 8.7% है, जबकि फ्रांस में यह 9.4% है. जापान में 20.7% अर्थव्यवस्था नकदी है. भारत की 11.8% अर्थव्यवस्था कैश के सहारे चलती है तो अनुमान लगाया जा सकता है की नोटबंदी यानि demonetization क्या प्रभाव डालेगा.

13. तमाम आकलनों के मुताबिक 2,500 अरब से 3000 अरब रुपये की रकम शायद नोट बदली के लिए बैंकों तक नहीं आएगी अर्थात् यह धन बैंकिंग सिस्‍टम से बाहर हो जाएगा. यह रकम जीडीपी के 2.4 से 3% के बीच कहीं हो सकती है.

स्थिति सामान्य होने में लगेंगे एक साल:

14. रिजर्व बैंक ने सरकार को बताया है कि अगर सरकारी छापेखाने तय वक्त से ज्यादा काम करेंगे, तब भी गैरकानूनी करार दिये गये 22 अरब नोटों को एक साल का वक्त लगेगा.

15. नोटबंदी यानि demonetization से उपभोक्‍ता उत्‍पादों की कंपनियां अगले तीन से छह महीनों के दौरान बिक्री में जबरदस्त गिरावट से कांप रही हैं. उपभोक्‍ता खपत के सामान बनाने वाली 10 शीर्ष कंपनियां नोटबंदी के बाद से शेयर बाजार में 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बाजार मूल्य गंवा चुकी हैं.

16. नया जमा बैंकों के लिए हरगिज खुशखबरी नहीं है. आखिरी गिनती तक बैंकों ने रिवर्स रेपो विंडो के जरिए आरबीआई में 6 लाख करोड़ रुपये जमा कराये हैं. जिस पर आरबीआइ को उन पर भारी ब्याज चुकाना पड़ेगा: तकरीबन 6.2 फीसदी सालाना की दर से.
17. बैंकों के कर्ज रिकवरी में सुस्‍ती आने की संभावना है. ग्रामीण और खुदरा कारोबार में गिरावट के कारण कुछ समय के लिए बैंकों के एनपीए बढ़ सकते हैं. बैंकों को अगले कुछ महीनों के लिए खुदरा/ग्रामीण कर्जों की अपनी अंडरराइटिंग प्रक्रियाओं पर नए सिरे से नजर डालनी होगी और नए कर्ज रोकने होंगे.

11,000 करोड़ रुपये की चपत:

18. नोटबंदी यानि demonetization से स्वाहा हो चुके काले धन की शक्ल में कितना धन सरकार को मिलेगा यह अभी पता नहीं, लेकिन सरकार को नई मुद्रा की छपाई की लागत के लिए 11,000 करोड़ रुपये की चपत सहनी होगी.

19. राज्य सरकारें जमीन की रजिस्ट्रियों और वैट के संग्रह में कमी आने की वजह से कर संग्रह में गिरावट के लिए कमर कस रही हैं. उत्पादन और बिक्री में ठहराव की वजह से केंद्र को सेवा कर और उत्पाद शुल्क से हाथ धोना पड़ सकता है.

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यह भी पढ़ें और जानें:

नोटबंदी के 10 फायदे जिससे देश बनेगा महाशक्ति | 10 Benefits of Demonetization in Hindi

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20. अनुमान लगाया है कि नोटबंदी यानि demonetization से भारत में तमाम उपभोक्ता क्षेत्र में मांग तीन फीसद तक घट सकती है। इससे अगले छह महीने के भीतर भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर औसतन छह फीसद रहेगी। सनद रहे कि केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान 7.6% की आर्थिक विकास दर का लक्ष्य तय किया है।

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Shivesh Pratap

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