याद आया पिछला साल जब मोदी जी ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे थे और संघ ने एक वर्ष पहले ही अपनी उत्कृष्ट प्रबंधन क्षमता से माइक्रो लेबल पर संवाद प्रबंध कर शाह के “शह” पर विरोधियों के लिए सिर्फ “मात” का विकल्प ही छोड़ा था |
यह चुनाव मात्र भाजपा या मोदी नहीं अपितु एक सामान्य हिन्दू और राष्ट्रवादी के लिए वैसा ही अभियान था जैसे कभी बाल गंगाधर तिलक के आह्वान पूरा महाराष्ट्र “शिवाजी जयंती” मनाने को उठ खड़ा हुआ था | और फिर राम मंदिर की लहर में गाँव गाँव से बच्चा बच्चा राम बन जाने को आतुर दिखा |
राम मंदिर आन्दोलन के समय जैसे हर राष्ट्रवादी के भीतर एक आडवानी जाग गया था वैसे ही १४ के चुनाव में हर राष्ट्रवादी व्यक्ति के भीतर एक नरेन्द्र मोदी हिलोरें ले रहा था | क्या गाँव और क्या शहर ??? हर व्यक्ति के मुह से एक ही बात “मोदी जी आ रहे हैं”…
और सत्य ही !!! मोदी जी १०० करोड़ राष्ट्रवादियों के नायक बन गए | मोदी जी की सरकार के एक वर्ष पूरे हुए और १२०/१०० नंबरों से मै भी मोदी सरकार को अभूतपूर्व मानता हूँ |
मेरे जैसा एक अतिसाधारण व्यक्ति भी इसे नैतिक कर्त्तव्य मान बैठा ….बस बहुत हुई “देशद्रोही गद्दार कांग्रेस…..अब लौ नसानी….अब न नासैहों”….क्या मुह दिखायेंगे आने वाली पीढ़ियों को !!!
मुझे याद है जब मै ९ मई को IIM कलकत्ता से निकला और हावड़ा से विभूति एक्सप्रेस पकड़ कर अगले दिन सुबह बनारस पहुँच गया | ट्रेन में ऐसा ही भाव आ रहा था की किस प्रकार स्वतंत्रता आन्दोलन में तमाम छात्रों ने अपनी पढाई छोड़ देश को आज़ाद करने में अपना जीवन होम कर दिया था | उसे अनुभूत कर बहूत शांति थी मन में | ११ तारीख को मोदी जी के लिये वाराणसी में चुनाव होना था | उस दिन तमाम संवादों का क्रम जारी रहा | स्टेशन से निकलते ही तुरंत एक जनसंपर्क की युवाओं की टीम के साथ निकल पड़े …… पूरा वाराणसी “मोदीमय” था |
गज़ब का उत्साह …..यह थका वाराणसी शहर इतना जगा जगा जैसे कभी नहीं दिखा था | “मोदी जी” के रूप में जैसे किसी शिव भक्त के लिए वाराणसी उत्साहित दिख रही थी |
परम मित्र अभिषेक मणि पाठक जी के साथ दो दिन रहा संवाद,चर्चाओं की गर्मी से लवरेज और ११ तारीख को थोडा गंभीर और आध्यात्मिक रहा क्यों की देश के इतिहास में जो नया पन्ना जुड़ रहा था उसमे समसे महत्वपूर्ण पृष्ठ वाराणसी से “चस्पा” होना था |
इसी दिन वाराणसी “श्री विश्नाथ जी” एवं संकट मोचन का दर्शन किया और शौर्य शाली भारत के लिए मोदी जी को यशश्वी बनाने की कामना भी किया | और ऐसी कामना उस दिन शायद सभी ने किया होगा | विश्वनाथ जी के मंदिर से ही उस दिन कल्पना किया जब औरंगजेब द्वारा शिवलिंग तोड़ गाग भट्ट को वहां से खदेड़ा गया था | आहा !!! हिन्दू समाज का वह काला दिन
ज्ञानवापी के कूप को अपवित्र करने वाले पापियों पर शांत रहने वाले हिन्दू समाज पर रोष भी आया |
क्यों नहीं हो रही कोई क्रान्ति !!!! एक हिन्दू राष्ट्रवादी भारत के लिए |
आपका शिवेश “हुंकार”narendra modi election campaign 2014 varanasi
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