भारत की विदेश नीति ने जश्ने आजादी के बाद देश को सबसे ज्यादा धोखा दिया ओर हमारे देश के राजनेताओं ने कभी विदेश नीति पर ध्यान नहीँ दिया ओर सिद्धांत और आदर्शवाद के पीछे भागते रहे ।
1971 के युद्ध मेँ हमारे देश के सेनिक मातृभूमि की सेवा मेँ बलिदान हो रहे थे । उनके पराक्रम मेँ कोई कमी नहीँ थी, कमी थी तो भारत के पास उसकी विदेश नीति ओर सच्चे साथी की जोे राजनीति और कूटनीति से मदद कर सके ।
जवाहरलाल नेहरु के अनुभव की कमी ओर दिखावे के आदर्शवाद के चलते भारत की गुटनिरपेक्ष नीति ने भारत को बहुत गहरा जख्म दिया ।
पाकिस्तान को अमेरिका का सहयोग प्राप्त था और अमेरिका की दादागिरी से चीन और श्रीलंका भी उसका ही साथ दे रहे थे । राष्ट्रपति निक्सन और गृह सचिव किसिंजर भारत पर दबाव बनाने के लिए यूनाइटेड नेशंस मे युद्ध विराम का प्रस्ताव लाये लेकिन रूस ने उसे वीटो पावर से खारिज कर दिया क्योंकि उसे विश्वास था कि किसी कीमत पर भारत ही जीतेगा ।
खिसिआया हुआ अमेरिका अपने छोटे पामेरियन कुत्ते ब्रिटेन के साथ मिलकर भारत को युद्ध मेँ घेरने की रणनीति बनाने लगा और ब्रिटेन अपने युद्धक बेड़े ईगल को भारत के हिंद महासागर मेँ लाकर खड़ा कर देता हे जो अब तक स्ट्रेट ऑफ मलैका (Strait of Malacca) मेँ खडे थे।
मलक्का जलडमरूमध्य मलय प्रायद्वीप और सुमात्रा के इंडोनेशियाई द्वीप के बीच पानी की एक संकीर्ण, 805 किमी का खिंचाव है।
इस बात की सूचना मिलते ही रुस अपने क्रूसर डिस्ट्रॉयर ओर नाभिकीय सबमरीन जो एंटीशिप मिसाइल से लैस थी से हिंद महासागर मेँ ब्रिटेन के ईगल को घेर लेता है । खुद को फसता देख कि ईगल मेडागास्कर की ओर भाग खड़ा होता है और अब अमेरिका अपने सबसे उत्कृष्ट जहाज USS एंटरप्राइज (USS Enterprise)और USS त्रिपोली (USS Tripoli) को हिंद महासागर में अरब की खाड़ी तक ले आता है ।
ऐसा देख रसिया पहले से तैनात अपने न्युक्लियर सबमरीन को समुद्र सतह पर इतना ऊपर लाता है कि अमेरिका की जासूसी विमान उसे देख सके और अमेरिका को संदेश मिल सके कि हिंद महासागर मेँ रसिया के पास वह सब कुछ हे जो अमेरिका को तबाह कर सकता है ।
कुल मिलाकर यदि रसिया भारत के साथ एक मित्र के रुप मेँ खड़ा न होता तो आज 71 की लडाई हमारे लिए बहुत बड़ा नुकसान का कारण बन सकती थी । और साम्राज्यवादी शक्तिमान यानी ब्रिटेन और अमेरिका के कारण अपनी बहुत सारी भूमि पाकिस्तान को गंवा देता ।
शायद यही कारण आज नरेंद्र मोदी जी हमारे देश की विदेश नीति को इतना चाक चौबंद बनाना चाहते हैं कि भारत को भविष्य में किसी भी स्थिति मेँ निपटने की शक्ति मिले ।
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इंद्रा जी की दूरदर्शिता।।।