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भगत सिंह के 21 क्रांतिकारी विचार
Bhagat Singh Motivational Quotes in Hindi
भगत सिंह जीवनी

 

नाम: शहीद-ए-आज़म अमर शहीद सरदार भगतसिंह (Shaheed Bhagat Singh), सरदार भगत सिंह

जन्म: 28 सितम्बर 1907 में गाँव बावली, जिला लायलपुर, पंजाब (जो अब पाकिस्तान में है) 

धर्म: सिख

जेल यात्रा: असेम्बली बमकाण्ड (8 अप्रैल, 1929)

मृत्यु: 23 मार्च, 1931 (aged 23, Lahore, Punjab, British India) के दिन शाम को लगभग 7 बजकर 33 मिनट पर फाँसी दी गई|

आन्दोलन: भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम

राष्ट्रीयता: भारतीय 

उपलब्धियाँ: भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी।, हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख, भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे।

फाँसी पर जाते समय भगत सिंह और उनके दो साथी एक साथ मिलकर एक गाना गा रहे थे जो इस प्रकार है-

मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे;
मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला।।

 

 

भगत सिंह पुस्तकें:

  • आत्मकथा ‘दि डोर टू डेथ’ (मौत के दरवाज़े पर)
  • आइडियल ऑफ़़ सोशलिज्म’ (समाजवाद का आदर्श)
  • स्वाधीनता की लड़ाई में पंजाब का पहला उभार’।

भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी सरदार भगतसिंह द्वारा लिखा गया एक लेख है,‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’  जो उन्होंने लाहौर की केंद्रीय जेल में अपने बंदी जीवन के समय लिखा था। यह लेख 27 सितम्बर 1931 को लाहौर के समाचार पत्र ‘द पीपल’ में प्रकाशित हुआ था। इस लेख में भगतसिंह ने ईश्वर कि उपस्थिति पर अनेक तर्कपूर्ण सवाल खड़े किये हैं और इस संसार के निर्माण, मनुष्य के जन्म, मनुष्य के मन में ईश्वर की कल्पना के साथ-साथ संसार में मनुष्य की दीनता, उसके शोषण, दुनिया में व्याप्त अराजकता और और वर्गभेद की स्थितियों का भी विश्लेषण किया है। यह भगतसिंह के लेखन के सबसे चर्चित हिस्सों में से एक रहा है|

 

भगत सिंह के 21 क्रांतिकारी विचार: Bhagat Singh Motivational/Inspirational Quotes in Hindi

 

“जिन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है….
दुसरो के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं”

 

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं|”

 

यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा. जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मारना नहीं, हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये|

“प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं”।
Lovers, Lunatics and poets are made of same stuff.

किसी को “क्रांति ” शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए। जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते है|

“राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है”|
Every tiny molecule of Ash is in motion with my heat I am such a Lunatic that I am free even in Jail.

आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है|

जो व्यक्ति भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमे अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी|

ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था|
Revolution did not necessarily involve sanguinary strife. It was not a cult of bomb and pistol.

अहिंसा को आत्म-बल के सिद्धांत का समर्थन प्राप्त है जिसमे अंतत: प्रतिद्वंदी पर जीत की आशा में कष्ट सहा जाता है . लेकिन तब क्या हो जब ये प्रयास अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल हो जाएं ? तभी हमें आत्म -बल को शारीरिक बल से जोड़ने की ज़रुरत पड़ती है ताकि हम अत्याचारी और क्रूर दुश्मन के रहमोकरम पर ना निर्भर करें|

मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है|
I emphasize that I am full of ambition and hope and of full charm of life. But I can renounce all at the time of need, and that is the real sacrifice.

क्रांति मानव जाती का एक अपरिहार्य अधिकार है स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है|

मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है|
I am a man and all that affects mankind concerns me.

किसी भी कीमत पर बल का प्रयोग ना करना काल्पनिक आदर्श है और  नया आन्दोलन जो देश में शुरू हुआ है और जिसके आरम्भ की हम चेतावनी दे चुके हैं वो गुरु गोबिंद सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबाल्ड , लाफायेतटे और लेनिन के आदर्शों से प्रेरित है।

व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।
by crushing individuals, they cannot kill ideas.

इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है , जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे|

क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे|
The sanctity of law can be maintained only so long as it is the expression of the will of the people.

 

 

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Shweta Pratap

I am a defense geek

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