यदि आपको लगता है की आप ओलंपिक के बारे में सब कुछ जानते हैं ? तो फिर से विचार करिये। यहाँ दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन के बारे में सबसे दिलचस्प तथ्यों को पढ़कर आपको जरूर अच्छा लगेगा और ज्ञान वर्धन होगा।
ओलिंपिक खेलों को 776 ईसा पूर्व से एक धार्मिक त्योहार के रूप में मनाया जाता रहा है | ओलंपिक यूनानी देवता जीयस के लिए पारंपरिक रूप से मनाया जाने वाला त्यौहार है | परंतु 393 ईस्वी में इसे एक मूर्ति पूजा का त्योहार मानकर कट्टरपंथियों के द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था |
शेक्सपियर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1591 में “ओलंपियन” शब्द का उपयोग किया था
1900 पेरिस ओलंपिक में पहली बार महिलाओं को भाग की अनुमति दी गई थी, और विजेताओं को पदक के बजाय चित्रों से सम्मानित किया गया था |
स्टॉकहोम में 1920 के खेलों में पहली बार विद्युत उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था।
1944 ओलंपिक खेल लंदन में आयोजित होना तय था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इसे रद्द कर दिया गया था।
प्राचीन ओलम्पिक खेलों में विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप जैतून का ताज दिया जाता था।
1972 के म्यूनिख ओलम्पिक में आतंकवादियों ने ग्यारह इस्रायली खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी ने एक बार कहा था कि अंतरिक्ष यान और ओलंपिक स्वर्ण पदक ही किसी देश की प्रतिष्ठा का प्रतीक होते हैं।
पांच ओलिंपिक के छल्ले दुनिया के पांच प्रमुख क्षेत्रों – अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, यूरोप और ओशियाना का प्रतिनिधित्व करते हैं | और पांच रंग नीला, पीला, काले, हरे और लाल उपस्थित होते हैं यह पांच रंग दुनिया में हर राष्ट्रीय ध्वज में प्रयोग होने वाले काम से काम एक रंग को दर्शाता है।
ओलम्पिक खेलों की एथलेटिक्स प्रतिस्पर्धाओं के फाइनल में पहुँचने वाला प्रथम भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह (1960 रोम ओलम्पिक) था।
जानवरों को मारने वाले खेल सिर्फ एक ही बार ओलंपिक्स में हुआ, वो भी पेरिस में 1900 में। उस इवेंट में 300 बर्ड्स को मारा गया था। उस इवेंट में जो भी सबसे ज्यादा बर्ड्स को मारेगा, उसे गोल्ड मेडल मिलेगा। बेलजियम के लियॉन डे लुंडेन और ऑस्ट्रेलिया के डोंल्ड मैकइण्टोशोफ ने दो इवेंट्स में क्रमश 21 और 22बर्ड्स मारकर मेडल जीता।
पूर्व सोवियत संघ से एक जिम्नास्ट लॉरिस लैटीनिन ने अपने ओलम्पिक जीवन काल में कुल 18 पदक जीते हैं जो पदकों के इतिहास में कीर्तिमान है |
चौंकाने वाली बात यह भी थी कि 1896 गेम्स में किसी भी एथलीट कोमे गोल्ड मेडलिस्ट को मेडल नहीं दिया। उन्हें बस सिल्वर मेडल और एक ऑलिव ब्रांच दे दिया गया। सेकेंड आने वालो को ब्रॉज मेडल और तीसरे आने वाले को कुछ भी नहीं मिला।
भारत ने आधिकारिक तौर पर पहली बार एंटवर्प ओलम्पिक (1920) में भाग लिया।
ओलंपिक गोल्ड और सिल्वर मेडल में 92.5% सिल्वर मिला होता हैं। इसका मतलब दोनों विजेता और रनरअप एक ही चीज लेकर जाते हैं।
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