हिंदुत्व इस राष्ट्र की संचेतना है

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सेकुलर बनने के चक्कर मेँ हमारे अबैध महापुरुषो ने इसे गंगा जमुनी तहजीब का नाम दे दिया । समझ नहीँ आता जमुना मुसलमान कैसे हो गई । जिस तट पर कृष्ण ने अपना जीवन जिया और हिंदू धर्म की आदर्श पताका फहराई उसे मुसलमान बना दिया गया । यमुना की अजस्रधारा तो हजारों वर्षों से हमारे हिंदू धर्म को पखार रही है ।

महान हिंदू धर्म दर्शन को भारतीय संस्कृति का नाम देकर एक भौगोलिक स्वीकार्यता प्राप्त करने की कायराना कोशिश और फिर गंगा जमुनी का मुलम्मा ???

जिस महान परम्परा को इस देश के ब्राह्मणों ने अपने तप त्याग से निखारा, क्षत्रियों ने अपने रक्त से पखारा हो, जिस देश के वणिकों ने अपनी नौकाओं से पृथ्वी को पद दलित कर दिया हो, शुद्रों के अहर्निश श्रम ने जिस देश के दर्शन को मंदिरों और महलों के रूप में उकेरा, भारत भूमि के सश्य श्यामला स्वरूप से अन्न उपजाकर युगों से सम्पूर्ण समाज का पेट भरा हो उस देश को बलत्कृत करने वाला इस्लाम इसमें कब से इसका हिस्सेदार हो गया ???

Memories of Hindu Temples in the campus of Kutub Minar

27 हिंदू और जैन मंदिरोँ को दिल्ली की मिहरावाली (मेहरौली) मे जमींदोज करके कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद और कुतुब मीनार जैसे स्मारक इस राष्ट्र की पहचान का नेतृत्व नहीँ कर सकते हैं ।  यह राष्ट्र हाथीगुंफा, अजंता और एलोरा की राष्ट्रीय पहचान का देश है ।

यह राष्ट्र उन महापुरुषो का है जो सालोँ जंगलोँ मेँ घूम कर, गुफा मेँ तपस्या करके समाज के लिए नए अनुसंधान करके विचारो कि आजस्र धारा बहा गए ।

इस राष्ट्र मेँ प्रेम का स्मारक ताजमहल कतई नहीँ हो सकता । अपने हरम मेँ 2000 औरतों को रख के बलात्कार करने वाले मुगल बादशाहों की वासना भारतीय भावना और प्रेम का नेतृत्व कभी नहीँ कर सकते । यह राष्ट्र राम ओर सीता के आदर्श प्रेम की थाती को जीता है जहाँ राम को अपने कर्तव्य की पूर्ति के लिए अपने प्रेम का परित्याग करना पडता है ।

स्नेहं, दयां च सौख्यं च यदि वा जानकीमपि।
आराधनाय लोकस्य मुञ्चतो नास्ति मे व्यथा॥1:12॥
प्रजा के अनुरंजन के लिए कोई भी प्रेम, कोई भी मैत्री, यहाँ तक कि जानकी तक को छोड़ने में मुझे कष्ट नहीं होगा.
और राम के इस वाक्य का समर्थन करते हुए सीता ने कहा था—

अदो जेव्व राहवकुलधुरंधरो अज्जउत्तो

 (प्राकृत) इसी विशेषता के कारण तो आर्यपुत्र (पति के लिए प्रयुक्त होनेवाली संज्ञा) रघुकुल के धुरंधर हैं.

इस राष्ट्र की थाती महान दिलीप जेसे राजाओ से जुडी हुई हे जिंहोन्ने एक गाय की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया । अब इस देश के इतिहास मेँ गोमाता का संहार करने वाले पिशाचों को जगह देना राजा दिलीप और शिवि का घोर अपमान नहीं तो और क्या है ??

यदि जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देश अपनी सभ्यता और इसाई पहचान के साथ मानवाधिकार और लोकतंत्र का नेतृत्व कर सकते है तो पूरी दुनिया को वसुधैव कुटुंम्बकम का संदेश देने वाले हिंदू समाज की पहचान भारतीय संस्कृति के साथ जुड़कर संसार का नेतृत्व क्यों नहीँ कर सकती है ।

सिर्फ आवश्यकता है हिंदुओं के जागरूक और संगठित होने की ।

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Shivesh Pratap

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