हरीतकी (हरड़) का वानस्पतिक नाम: तेर्मिनालिया चेबुला (Terminalia chebula)
हिंदी नाम: हरड़, हर्रे
संस्कृत नाम: हरीतकी
अंग्रेजी नाम: Black Myrobalan chebulie
वनस्पति का प्रकार: वृक्ष
हरीतकी (हरड़) की जातियाँ: विजया, रोहिणी, पूतना, अमृता, अभया, जीवन्ती, चेतकी
हरीतकी (हरड़) दो प्रकार की होती हैं: 1. छोटी हरड़ 2. बड़ी हरड़
वैद्यों ने चिकित्सा साहित्य में हरीतकी (हरड़) को अमृतोपम औषधि कहा है:
यस्य माता गृहे नास्ति, तस्य माता हरीतकी।
कदाचिद् कुप्यते माता, नोदरस्था हरीतकी ॥
अर्थात् हरीतकी (हरड़) मनुष्यों की माता के समान हित करने वाली है। माता तो कभी-कभी कुपित भी हो जाती है, परन्तु उदर स्थिति अर्थात् खायी हुई हरड़ कभी भी अपकारी नहीं होती।
भारत में यह हिमालय क्षेत्र में रावी तट से लेकर पूर्व बंगाल आसाम तक पाए जाते हैं। हरीतकी (हरड़) के वृक्ष बहुत ऊँचे (60 फ़ुट से 80 फ़ुट तक) होते है।
हरीतकी (हरड़) की छाल गहरे भूरे रंग की, पत्ते आकार में वासा के पत्र के समान 7 से 20 सेण्टीमीटर लम्बे, डेढ़ इंच चौडें होते है।
फूल छोटे, पीताभ श्वेत लंबी मंजरियों में होते हैं । फल एक से तीन इंच लंबे, अण्डाकार होते हैं, जिसके पृष्ठ भाग पर पाँच रेखाएँ होती है।
हरीतकी (हरड़) में लवण छोड़कर मधुर, अम्ल, कटु, तिक्त, कषाय ये पाँचों रस पाये जाते हैं। यह लघु, रुक्ष, विपाक में मधुर तथा वीर्य में उष्ण होती है। इन गुणों से यह वात-पित्त-कफ इन तीनों दोषों का नाश करती है|
बवासीर में लाभ:
हरीतकी (हरड़) के चूर्ण को पानी में मिलाकर स्थान की सिंकाई करने से सूजन कम हो जाती और मस्सों के घाव भी भरने लगते हैं। बवासीर के रोगी को हरड़ का सेवन कराने से उसकी पाचन क्रिया व्यवस्थित हो जाती है।
बवासीर में अथवा खूनी पेचिश में चरक के अनुसार हरीतकी (हरड़) का चूर्ण व गुड़ दोनों गोमूत्र मिलाकर रात्रि भर रखकर प्रातः पिलाना चाहिए ।
पेट के विकार (पेट दर्द, गैस बनना) में लाभ:
हरीतकी (हरड़) का चूर्ण खाने से कब्ज से छुटकारा मिलता है। हरड़ का सेवन सेवन करने से आँतों में जमा मल बाहर आ जाता है, जिसके कारण पेट में होने वाले दर्द, मरोड़ और गैस से छुटकारा मिलता है और पेट में आराम मिलने से रोगी को भूख लग्न लगती है और उसकी पाचन क्रिया भी ठीक हो जाती है।
पाचन शक्ति बढ़ाने में लाभ:
कमजोर पाचन वाले रोगियों को हरीतकी (हरड़) गर्म पानी के साथ देने से उनका पाचन क्षमता ठीक होती है।
त्वचा संबंधी एलर्जी में लाभ:
हरीतकी (हरड़) का काढ़ा त्वचा संबंधी एलर्जी में लाभकारी है। हरड़ के फल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और इसका सेवन दिन में दो बार नियमित रूप से करने पर जल्द आराम मिलता है।
एलर्जी से प्रभावित भाग की धुलाई भी इस काढ़े से की जा सकती है।
फंगल एलर्जी या संक्रमण होने पर हरीतकी (हरड़) के फल और हल्दी से तैयार लेप प्रभावित भाग पर दिन में दो बार लगाएं, त्वचा के पूरी तरह सामान्य होने तक इस लेप का इस्तेमाल जारी रखें।
मुंह में सूजन लाभ:
मुंह में सूजन होने पर हरीतकी (हरड़) के गरारे करने से फायदा मिलता है।
#हरीतकी (हरड़) का लेप पतले छाछ के साथ मिलाकर गरारे करने से मसूढ़ों की सूजन में भी आराम मिलता है।
हरीतकी (हरड़) का नुकसान:
हरड़ का सेवन गर्भवती स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।
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