ईसबगोल का वैज्ञानिक नाम: प्लैण्टेगी ओवाटा (Plantago Ovata)
Family: Plantaginaceae
अंग्रेजी नाम: स्पोगल सीड्स (Spogal Seeds)
संस्कृत नाम: ईषढूगोल, स्निग्धबीजम्
हिंदी नाम: ईसबगोल
#इसबगोल (Isabgol) नाम एक फारसी शब्द से निकला है जिसका अर्थ है ‘घोड़े का कान’, क्योंकि इसकी पत्तियाँ कुछ उसी आकृति की होती हैं।
इसबगोल (Isabgol) की भारत में भी खेती की जाने लगी है जैसे की गुजरात, उत्तरप्रदेश, पंजाब, और हरियाणा राज्यों में. औषधीय उपयोग के लिए इसके बीज और भूसी, दोनों का इस्तेमाल किया जाता है|
इसका पौधा तना रहित, मौसमी और झाड़ीनुमा होता है जिसकी ऊंचाई लगभग 1 से 3 फुट तक होती है. पत्ते 3 सिराएँ युक्त, अखंड, लंबे – 3 से 9 इंच तक के होते है|
इसबगोल (Isabgol) का फूल गेहूं की बालियों के समान होता है। जिस पर ये छोटे-2, लम्बे, गोल, अण्डाकार मंजरियों में से निकलते हैं।
फूलों में नाव के आकार के बीज लगते हैं। बीजों से लगभग 26-27 प्रतिशत भूसी निकलती है। भूसी पानी के संपर्क में आते ही चिकना लुआब बना लेती है जो बिना गंध और स्वाद का होता है|
आयुर्वेद के अनुसार- ईसबगोल (Isabgol) मधुर, शीतल, स्निग्ध, चिकनी, मृदु, विपाक में मधुर, कफ व पित्त नाशक, पौष्टिक कसैली, थोड़ी वातकारक, रक्तपित्त व रक्तातिसार नाशक, कब्ज दूर करने वाली, अतिसार, पेचिश में लाभप्रद, श्वास व कास में गुणकारी, मूत्र रोग में लाभकारी है|
कब्जियत दूर करे:
इसबगोल (Isabgol) में नेचुरल लैक्सटिव गुण पाया जाता है और यह फाइबर से भरपूर होता है। इसमें पाया जाना वाला जेलाटिन नेचुरल बोअल मूवमेंट में मदद करता है।
उपयोग: इसबगोल को पानी में 5 से 6 घंटे तक फुला लें। रात को सोने से पहले आप इसे गुनगुने दूध के साथ ले सकते हैं।
आंव, दस्त, मरोड़ का इलाज:
एक से दो चम्मच की मात्रा में इसबगोल (Isabgol) की भूसी, दही के साथ दिन में तीन बार लें. इससे आपके दस्त मरोड़ और आंव में काफी लाभ होगा|
बवासीर (अर्श) में लाभ:
इसबगोल (Isabgol) को ठण्डे पानी में भिगोकर उसका शर्बत बनाकर छान लें। इसको पीने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) में लाभ होता है।
#ईसबगोल की भूसी को गर्म दूध में मिलाकर रात को सोते समय पीयें। इससे कब्ज ठीक होता है और बवासीर में आराम मिलता है।
ईसबगोल की भूसी से दमे का इलाज:
इसबगोल (Isabgol) की भूसी एक-एक चम्मच दूध के साथ सुबह-शाम नियमित रूप से लगभग छह माह तक लेने से दमा रोग ठीक हो जाता है|
पायरिया का उपचार:
#ईसबगोल को सिरके में मिलाकर दांतों पर मालिश करने से पायरिया के रोग में लाभ मिलता है।
ईसबगोल से आंव (पेचिश, संग्रहणी) में लाभ:
इसबगोल (Isabgol) 3 भाग, हरड़ और बेल का सूखा गूदा बराबर मात्रा में मिलाकर तीनों को बारीक पीसकर 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
1 चाय की चम्मच इसबगोल (Isabgol) गर्म दूध में फुलाकर रात्रि को सेवन करें। प्रात: दही में भिगोकर, फुलाकर उसमें सोंठ, जीरा मिलाकर 4 दिन तक लगातार सेवन करने से आंव निकलना बंद हो जाएगा।
सिर दर्द में लाभ:
इसबगोल (Isabgol) को बादाम के तेल में मिलाकर मस्तक पर लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता है।
गैस्ट्रिक अल्सर में लाभ:
#ईसबगोल की भूसी 5 से 6 ग्राम तक को गर्म दूध में डालकर पीने से अधिक कब्ज के कारण होने वाली गैस्ट्रिक अल्सर में आराम होता है।
ईसबगोल डायबिटीज को कंट्रोल करता है:
इसबगोल (Isabgol) एक पतला और मुलायम हर्बल औषधि है जो की आसानी से टूट जाता है और यह हमारी बॉडी से ग्लूकोज को रोकने में मदद करता है जिससे आपकी बॉडी में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है और इस प्रकार ईसबगोल आपके डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद करता है|
डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आपको इसबगोल (Isabgol) को अपने खाने के बाद में पानी के साथ लेना होगा|
चार चम्मच इसबगोल (Isabgol) को आठ चम्मच ताजा दही के साथ मिला लें और भोजन के बाद खाएं। अच्छे परिणाम के लिए दिन में दो बार इसका सेवन करें।
वजन घटाने में मददगार:
इसबगोल (Isabgol) की मदद से आप खाने की इच्छा को नियंत्रित कर सकते हैं। चूंकि यह कोलोन को साफ रखता है, ऐसे में यह भोजन के पाचन में भी मददगार साबित होता है।
इसबगोल को पानी में मिलाकर मिक्सचर तैयार कर लें और इसमें नींबू का रस मिला दें। सुबह खाली पेट इसका सेवन करें|
दिल की बीमारी को रोके:
इसबगोल (Isabgol) फाइबर से युक्त होता है। चूंकि इसकी प्रकृति हाइग्रोस्कोपिक होती है, इसलिए यह कोलेस्टरोल को एब्जाॅर्ब करता है। यह पेट और आंत पर टाॅक्सिन व तैलीय पदार्थ के अत्याधिक जमाव को रोकता है। साथ ही यह भोजन के फैट को एब्जॉर्ब होने से भी रोककता है। दिन में दो बार भोजन के तुरंत बाद इसबगोल (Isabgol) का सेवन करें।
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good and very useful article. thank you mam
Good information about isabgol.