योगी आदित्यनाथ जी उत्तर प्रदेश की गोरखपुरसे सांसद है…लोकसभा चुनाव में उन्होंने लगातार पांचवी बार जीत दर्ज किया है लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश के 21वे मुख्यमंत्री हैं|
आदित्यनाथ बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। उस समय उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी।
26साल की उम्र से ही सांसद हैं सातवें बार संसद पहुंचे हैं,लेकिन उनकी इस चमत्कारी जीत के पीछे उनका कट्टर हिंदुत्व का एजेंडा हैं | यह एक ऐसा एजेंडा जिससे उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई.
इतनी कि आखिरकार गोरखपुर में जो योगी कहे वही नियम है, वही कानून है.तभी तो उनके समर्थक नारा भी लगाते हैं,’गोरखपुर में रहना है तो योगी- योगी कहना होगा.
आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड में हुआ था|
आदित्यनाथ के पिता का नाम जानने के लिए आवश्यक है हिन्दू धर्म के सन्यास की परंपरा को जानना | सन्यासी, जन्म मरण और सांसारिक संबंधों से परे होता है और उसका दीक्षा गुरु ही इस संसार में सम्बन्धी के रूप में होता है | इस आधार पर श्री महंत अवैद्यनाथ जी ही उनके पिता हैं |
योगी आदित्यनाथ जी का मूल नाम था अजय सिंह नेगी था जो नाथ पंथ में दीक्षित होने के बाद बदल गया.
योगी आदित्यनाथ जी मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं.
योगी आदित्यनाथ जी ने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित विषय से बी.एस.सी किया है।
प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया।
गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें दीक्षा देकर योगी बनाया था अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी
आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.
नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।
साल 2014 में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ की मौत के बाद वे यहां के महंत यानी पीठाधीश्वर चुन लिए गए और अब वो “महंत आदित्यनाथ” बन गए |
1998 में गोरखपुर से12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई थी. संसद पहुंचे तो वह सबसे कमउम्र के सांसद थे|
योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया|
वे 1999, 2004, 2009 व 2014 में भी सांसद चुने गए। और सबसे अच्छी बात यह की उनकी जीत में मतों का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है|
राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने हिंदुत्व को मुखर किया.
योगी आदित्यनाथ जी ने अप्रैल २००२ मे हिन्दु युवा वाहिनी बनायी जिसके कार्यकर्ता पूरे देश मे हिन्दु धर्म विरोधी कार्यो को रोकने का काम कर रहे है।
वह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है।
योगी आदित्यनाथ को गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया गया।
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण आपको केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य रहे|
अब तक योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई कि जहां वो खड़े होते, वहाँ सभा शुरू हो जाती.वो जो बोल देते, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता.
यही नहीं,होली और दीपावली जैसे त्योहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से फरमान जारी करते हैं |
अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण योगी आदित्यनाथ जी लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।
उन्होंने धर्मांतरण और गौ वध रोकने की दिशा में सार्थक कार्य किये हैं।
योगी आदित्यनाथ के तौर-तरीकों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने गोरखपुर के कई ऐतिहासिक मुहल्लों के नाम बदलवा दिए. इसके तहत उर्दू बाजार हिंदी बाजार बन गया.अलीनगर आर्यनगर हो गया. मियां बाजार माया बाजार हो गया.
योगी आदित्यनाथ तो आजमगढ़ का नाम भी बदलवाना चाहते हैं.इसके पीछे आदित्यनाथ का तर्क है कि देश की पहचान हिंदी से है उर्दू से नहीं, आर्य से है अली से नहीं. गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है.
7 सितंबर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था. इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे, यह हमला इतना बड़ा था कि 100 अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया.
योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई. 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया. गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा.योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए.
योगी आदित्यनाथ पर कार्यवाही का असर हुआ कि मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए और हज़ारों लोगों ने गिरफ्तारियां दिया | अंत में समाजवादी पार्टी सर्कार को झुकना पड़ा |
योगी आदित्यनाथ की अभिरुचि धर्म, अध्यात्म, शिक्षा, समाज सेवा, सांस्कृतिक चिंतन, लेखन, हिन्दुत्वनिष्ठ राष्ट्रवादी राजनीति एवं गोरक्षा में है।
कम लोगों को पता है की योगी आदित्यनाथ जी लेखन में भी प्रवीण हैं | प्रकाशित पुस्तकें – यौगिक षट्कर्म, हठयोग: स्वरूप एवं साधना, राजयोग: स्वरूप एवं साधना, हिन्दू राष्ट्र नेपाल – अतीत एवं वर्तमान।
योगी आदित्यनाथ जी को विश्व हिन्दु महासंघ जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया गया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया।
बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है.इसका प्रमाण यह है कि पिछले लोकसभा चुनावों और 2o17 के विधानसभा चुनाव में भी प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने हेलीकॉप्टर और विमान मुहैया करवाया था
2017 में चुनावों में बड़े स्तर पर प्रचार किया गया की उत्तर प्रदेश को इस्लामिकरण से बचाना है तो बाबा योगी आदित्य नाथ को मुख्यमंत्री बनाना है।
और अंततः योगी आदित्यनाथ को 18 मार्च को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया |
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Great Article Keep It up. Ab to Yogi ji Mukhyamantri ban gye hain.