भुंई आमला (भूम्यामलकी) का वानस्पतिक नाम: फिलान्थुस एरेक्टा (Phyllanthus niruri)
हिन्दी नाम: भुंई आमला, भूआमलकी, हजारदाना, जरमाला, जंगली आंवला
संस्कृत नाम: भूम्यामलकी, भूधात्री, तामलकी, बहुफला
वनस्पति का प्रकार: शाकीय
भुंई आमला का छोटा सा पौधा होता है। इसकी पत्तियों के नीचे बिल्कुल नन्हे नन्हे आंवले की तरह के फल जैसे लगे होते हैं। इसीलिये इस पौधे को भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है।
इसकी पत्तियाँ 2.5 से 8 मिमी की दूरी पर शाखाएं में आपस में विभक्त होती है। पत्तियाँ हल्की हरी, गोल, छोटी, सर्कीण और रेखीय होती है।
भुंई आमला के फूल एक लिंगीं एवं उभयलिंगी होते है। फूल हरे – पीले अक्षीय कक्षिकाओं में लगते है।
भुंई आमला का जड़, तना, पत्ती, पुष्प, फल औषधीय उपयोग का होता है।
भारत में भुंई आमला लगभग सभी क्षेत्रों में बहुतायत में खरपतवार के रूप में मिलता है |
भुंई आमला लीवर की सूजन, सिरोसिस, फैटी लिवर, बिलीरुबिन बढ़ने पर, पीलिया में, हेपेटायटिस B और C में, किडनी क्रिएटिनिन बढ़ने पर, मधुमेह आदि में चमत्कारिक रूप से उपयोगी हैं।
लीवर की सूजन में लाभ:
आपका लीवर बढ़ गया है या सूज गया है तो भुई आंवले का काढ़ा बनाकर सेवन करें|
Hepatitis -B और C में लाभ:
Hepatitis -B और C के लिए यह रामबाण है भुई आंवला, श्योनाक, पुनर्नवा इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें . ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग (जड़, तना, पत्ती, पुष्प, फल) का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी बिलकुल ठीक हो जाती है|
मुंह के छाले में लाभ:
मुंह में छाले हों तो इनके पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें | भुंई आमला मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है और मुंह पकने पर भी लाभ करता है|
ज्वर में लाभ:
भुंई आमला लें, मुलेठी लें, गिलोय लें, इन सभी को मिलाकर काढ़ा बना लें, रोजाना इस काढ़े का सेवन करें इससे आपका ज्वर ठीक हो जाएगा साथ ही आपको भूख भी लगने लगेगी|
किडनी में सूजन तथा रोग संचार में लाभ:
किडनी की सूजन तथा रोग संचार को दूर करने के लिए भुई आंवला का काढ़ा बनाकर पियें|
इसे पीने से किडनी की सूजन तो दूर हो ही जाती है साथ ही इसका रोग संचार भी दूर हो जाता है|
पेट में दर्द में लाभ:
#पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें।
पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा। ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है।
मधुमेह Sugar में लाभ:
शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो भुंई आमला का पेस्ट पीसकर लगा दें|
इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है।
आँतों का इन्फेक्शन में लाभ:
आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर भुंई आमला के साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा
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