अमलतास का लैटिन नाम: कैसिया फिस्टुला (Cassia fistula)
संस्कृत नाम: आरग्वध, राजवृक्ष, नृपद्रुम, हेमपुष्प, व्याधिघात
अंग्रेजी नाम: पुडिंग पाइप ट्री (Pudding pipeTree)
हिंदी नाम: अमलतास, धनबहेड़ा
अमलतास के आयुर्वेदिक गुण: अमलतास के रस में मधुरता, तासीर में शीतल, भारी, स्वादिष्ठ, स्निग्ध, कफ़ नाशक, पेट साफ करने वाला है। साथ ही यह ज्वर, दाह, हृदय रोग, रक्तपित्त,वात व्याधि, शूल, गैस, प्रमेह एवं मूत्र कष्ट नाशक है। यह गठिया रोग, गले की तकलीफ, आंतों का दर्द, रक्त की गर्मी और नेत्र रोगों में उपयोगी होता है।
#अमलतास के रासायनिक संघटन: इसके फल के गूदे में शर्करा 60%, पिच्छिल द्रव्य, ग्लूटीन, पेकटीन, रंजक द्रव्य, कैलशियम, आक्जलेट, क्षार, निर्यास तथा जल होते हैं।
अमलतास का वृक्ष मध्यम आकृति का 25 से 30 फीट ऊँचा होता है |
इसके पेड़ की छाल मटमैली और कुछ लालिमा लिए होती है।
भारत के सभी प्रान्तों में आप अमलतास देख सकते है|
इसके पत्ते लगभग 1 फुट लम्बे होते हैं, जो 12 से 18 इच्च तक की लम्बी सींको पर 8 से 16 जोड़े पत्रकों में लगे होते हैं।
मार्च-अप्रैल में इसकी पत्तियां झड़ जाती हैं।
फूल पीले रंग के पत्तों के समान ही लम्बे और सुगंधित डंठल पर लगते हैं।
अमलतास की फली 1-3 फुट लम्बी और 1 इच्च गोल, कच्ची अवस्था में हरी, पकने पर काली और बेलन के आकार की होती हैं।
सर्दी जुकाम में लाभ:
जलती अमलतास जड़ का धुआं बहती नाक का इलाज करने में सहायक होता है। यह धुआं बहती नाक को उत्तेजित करने के लिए जाना जाता है, और तुरंत राहत प्रदान करता है।
एसिडिटी में लाभ:
फल के गूदे को पानी मे घोलकर हलका गुन्गुना करके नाभी के चारों ओर 10-15 मिनट तक मालिस करें। यह प्रयोग नियमित करने से स्थायी लाभ होता है ।
बवासीर में लाभ:
अमलतास का काढ़ा बनाकर उसमें सेंधानमक और घी मिलाकर उस काढ़ा को पीने से खून का बहना बंद होता है तथा रोग ठीक होता है।
अमलतास का गूदा 40 ग्राम 400 मिलीलीटर पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में पकायें। पानी का रंग लाल होने पर उसे उतारकर छान लें और उसके पानी में सेंधानमक 6 ग्राम तथा गाय का घी 20 ग्राम मिलाकर ठण्डा करके पीयें।
मधुमेह का रोग में लाभ:
अमलतास के गुदे को गर्म करके उसकी गोलियां बना लें। 2-2 गोली रोजाना सुबह-शाम पानी के साथ लेने से मधुमेह में बहुत आराम मिलता है।
अस्थमा में लाभ:
अस्थमा के रोगी में कफ को निकालने और कब्ज को दूर करने के लिये फलों का गूदा दो ग्राम पानी में घोलकर गुनगुना सेवन करना चहिये ।
खांसी में लाभ:
अमलतास की गिरी 5-10 ग्राम को पानी में घोटकर उसमें तिगुना बूरा डालकर गाढ़ी चाशनी बनाकर चटाने से सूखी खांसी मिटती है।
10 ग्राम अमलतास के फूल तथा 20 ग्राम गुलकन्द को मिलाकर खाने से छाती (सीने) में जमा हुआ कफ निकल जाता है तथा खांसी में बहुत लाभ मिलता है।
अमलतास को औषधि के रूप में प्रयोग करने से पेट में दर्द तथा मरोड़ पैदा होती है, अत: इसके प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए।
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